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असंध विधानसभा के इतिहास में बीजेपी केवल 1 ही बार खिला पाई है कमल, एक नजर में जानें सीट का मौजूदा समीकरण - Asandh Assembly Political history

Asandh Assembly Political history: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियां पूरी तैयारी के साथ रण में जुटी हुई है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम भी ग्राउंड जीरो पर विधानसभा सीटों पर विश्लेषण करने में जुटी है. इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं करनाल की चर्चित विधानसभा सीट असंध का इतिहास और मौजूदा समीकरण क्या कुछ बन रहे हैं, इस पर भी एक नजर डालेंगे.

Asandh Assembly Political history
Asandh Assembly Political history (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 29, 2024, 4:17 PM IST

करनाल: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए महज एक महीने का समय शेष रह गया है. जिसके चलते राजनीतिक पार्टियों ने अपना चुनावी प्रचार तेज कर दिया है. इसी के चलते ईटीवी भारत की टीम 90 विधानसभा सीटों का विश्लेषण कर रही है. मौजूदा समय में क्या समीकरण बन रहे हैं, इसको लेकर भी ग्राउंड जीरो पर जाकर हमारी नजर बनी हुई है. विधानसभा चुनाव के चलते आज हम करनाल जिले के असंध विधानसभा का विश्लेषण करने जा रहे हैं. यह विधानसभा करनाल शहर से करीब 40-50 किलोमीटर की दूरी पर पड़ती है. जो जींद, कैथल, करनाल तीन जिलों के बिल्कुल बीच में स्थित है. इस सीट को काफी अहम माना जाता है और यहां पर बीजेपी केवल एक बार कमल खिलाने में कामयाब रही है.

असंध विधानसभा का राजनीतिक इतिहास: असंध विधानसभा पर पहली बार 1977 में विधानसभा चुनाव हुआ था. तब से लेकर अब तक वहां पर करीब 10 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. यह करनाल जिले की मुख्य विधानसभा सीट मानी जाती है. जहां पर मौजूदा समय में कांग्रेस पार्टी के शमशेर सिंह गोगी विधायक है. जो करनाल जिले में पांच विधानसभा सीटों में से एकमात्र सीट कांग्रेस के खाते में है. लेकिन अब यहां पर मुकाबला काफी दिलचस्प होता हुआ नजर आ रहा है. क्योंकि यहां पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने चुनावी रण में है.

इतिहास में केवल एक ही बार खिला कमल: करनाल जिले को मुख्यमंत्री का गृह जिला माना जाता है. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के दो मुख्यमंत्री करनाल जिले की विधानसभा सीट करनाल से विधायक बन के मुख्यमंत्री बने हैं. राजनीतिक इतिहास में भारतीय जनता पार्टी का एक बार ही यहां से विधायक बन पाया है. जब 2014 लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की लहर थी. लोग मोदी के नाम पर वोट दे रहे थे. उस समय 2014 में यहां से सरदार बक्शी सिंह विधायक बने थे. लेकिन उसके बाद फिर से वहां पर 2019 में कांग्रेस के विधायक चुने गए. यहां पर आईएनएलडी के तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं. कांग्रेस और जनता दल के दो-दो बार विधायक बन चुके हैं. जबकि हरियाणा जनहित कांग्रेस, समता पार्टी, बीजेपी पार्टी के एक-एक बार यहां से विधायक चुने जा चुके हैं. इस सीट पर आईएनएलडी का काफी प्रभाव रखा है.

पिछले दो प्लान का राजनीति विवरण: 2014 विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बख्शीश सिंह ने 30723 वोट लेकर जीत हासिल की थी. जबकि दूसरे नंबर पर बीएसपी पार्टी से मराठा वीरेंद्र वर्मा रहे थे. जिनको 26115 वोट प्राप्त हुए थे. तीसरे नंबर पर आईएनएलडी से यशवीर राणा रहे थे. जिनका 23191 वोट मिले थे. चौथे नंबर पर एचजेसी पार्टी से जिले राम रहे थे. जिनको कुल 20266 वोट प्राप्त हुई थी. जबकि पांचवें नंबर पर यशपाल सिंह राणा आजाद प्रत्याशी रहे थे. जिनको 17098 वोट प्राप्त हुई थी.

2019 में कांग्रेस की हुई जीत: वहीं, अगर 2019 विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर कांग्रेस पार्टी से शमशेर सिंह विधायक बने थे. जिनको कुल 32114 वोट प्राप्त हुए थे. दूसरे नंबर पर बीएसपी से नरेंद्र सिंह 30411 वोट प्राप्त हुए थे. तीसरे नंबर पर बीजेपी से बख्शीश सिंह को 28518 वोट प्राप्त हुए थे. जबकि चौथे नंबर पर जिले राम आजाद को 25137 वोट मिले थे.

कौन सी जाति का क्या है वोट प्रभाव: असंध विधानसभा में करीब 23000 के करीब वोट है. वैसे तो यहां पर 36 बिरादरी का वोट बैंक है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभाव रखने वाला वोट बैंक सिख समाज, ब्राह्मण समाज, रोड समाज और राजपूत समाज का माना जाता है. यहां पर ओबीसी और एससी समाज का वोट बैंक भी है. इसके साथ-साथ 36 बिरादरी का वोट यहां पर है. लेकिन यह चार बिरादरी ऐसी हैं, जिनके ही ज्यादातर यहां पर विधायक बनाए जाते हैं. इन समाज के प्रभाव से ही किसी भी विधायक की हार जीत तय होती है.

मौजूदा समीकरणों पर एक नजर: मौजूदा समय में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में सीधी टक्कर दिखाई देती है. लेकिन कहीं ना कहीं इस सीट के ऊपर आईएनएलडी के सबसे ज्यादा विधायक बनने का भी रिकॉर्ड है. इसके साथ-साथ बीएसपी के समर्थन से कई बार विधायक यहां पर बने हैं. जब यहां पर बीएसपी के खाते में है. सीट आई है तो यहां पर उनको जीत बेशक न मिली हो लेकिन उन्होंने अच्छा वोट यहां पर प्राप्त किया है. ऐसे में अब विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी पार्टी की बीएसपी के साथ गठबंधन हो चुका है. कहीं ना कहीं तीसरे मोर्चे के तौर पर आईएनएलडी पार्टी का उम्मीदवार भी यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला खड़ा कर सकता है. जो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए बड़ी समस्या हो सकती है.

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करनाल: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए महज एक महीने का समय शेष रह गया है. जिसके चलते राजनीतिक पार्टियों ने अपना चुनावी प्रचार तेज कर दिया है. इसी के चलते ईटीवी भारत की टीम 90 विधानसभा सीटों का विश्लेषण कर रही है. मौजूदा समय में क्या समीकरण बन रहे हैं, इसको लेकर भी ग्राउंड जीरो पर जाकर हमारी नजर बनी हुई है. विधानसभा चुनाव के चलते आज हम करनाल जिले के असंध विधानसभा का विश्लेषण करने जा रहे हैं. यह विधानसभा करनाल शहर से करीब 40-50 किलोमीटर की दूरी पर पड़ती है. जो जींद, कैथल, करनाल तीन जिलों के बिल्कुल बीच में स्थित है. इस सीट को काफी अहम माना जाता है और यहां पर बीजेपी केवल एक बार कमल खिलाने में कामयाब रही है.

असंध विधानसभा का राजनीतिक इतिहास: असंध विधानसभा पर पहली बार 1977 में विधानसभा चुनाव हुआ था. तब से लेकर अब तक वहां पर करीब 10 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. यह करनाल जिले की मुख्य विधानसभा सीट मानी जाती है. जहां पर मौजूदा समय में कांग्रेस पार्टी के शमशेर सिंह गोगी विधायक है. जो करनाल जिले में पांच विधानसभा सीटों में से एकमात्र सीट कांग्रेस के खाते में है. लेकिन अब यहां पर मुकाबला काफी दिलचस्प होता हुआ नजर आ रहा है. क्योंकि यहां पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने चुनावी रण में है.

इतिहास में केवल एक ही बार खिला कमल: करनाल जिले को मुख्यमंत्री का गृह जिला माना जाता है. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के दो मुख्यमंत्री करनाल जिले की विधानसभा सीट करनाल से विधायक बन के मुख्यमंत्री बने हैं. राजनीतिक इतिहास में भारतीय जनता पार्टी का एक बार ही यहां से विधायक बन पाया है. जब 2014 लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की लहर थी. लोग मोदी के नाम पर वोट दे रहे थे. उस समय 2014 में यहां से सरदार बक्शी सिंह विधायक बने थे. लेकिन उसके बाद फिर से वहां पर 2019 में कांग्रेस के विधायक चुने गए. यहां पर आईएनएलडी के तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं. कांग्रेस और जनता दल के दो-दो बार विधायक बन चुके हैं. जबकि हरियाणा जनहित कांग्रेस, समता पार्टी, बीजेपी पार्टी के एक-एक बार यहां से विधायक चुने जा चुके हैं. इस सीट पर आईएनएलडी का काफी प्रभाव रखा है.

पिछले दो प्लान का राजनीति विवरण: 2014 विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बख्शीश सिंह ने 30723 वोट लेकर जीत हासिल की थी. जबकि दूसरे नंबर पर बीएसपी पार्टी से मराठा वीरेंद्र वर्मा रहे थे. जिनको 26115 वोट प्राप्त हुए थे. तीसरे नंबर पर आईएनएलडी से यशवीर राणा रहे थे. जिनका 23191 वोट मिले थे. चौथे नंबर पर एचजेसी पार्टी से जिले राम रहे थे. जिनको कुल 20266 वोट प्राप्त हुई थी. जबकि पांचवें नंबर पर यशपाल सिंह राणा आजाद प्रत्याशी रहे थे. जिनको 17098 वोट प्राप्त हुई थी.

2019 में कांग्रेस की हुई जीत: वहीं, अगर 2019 विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर कांग्रेस पार्टी से शमशेर सिंह विधायक बने थे. जिनको कुल 32114 वोट प्राप्त हुए थे. दूसरे नंबर पर बीएसपी से नरेंद्र सिंह 30411 वोट प्राप्त हुए थे. तीसरे नंबर पर बीजेपी से बख्शीश सिंह को 28518 वोट प्राप्त हुए थे. जबकि चौथे नंबर पर जिले राम आजाद को 25137 वोट मिले थे.

कौन सी जाति का क्या है वोट प्रभाव: असंध विधानसभा में करीब 23000 के करीब वोट है. वैसे तो यहां पर 36 बिरादरी का वोट बैंक है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभाव रखने वाला वोट बैंक सिख समाज, ब्राह्मण समाज, रोड समाज और राजपूत समाज का माना जाता है. यहां पर ओबीसी और एससी समाज का वोट बैंक भी है. इसके साथ-साथ 36 बिरादरी का वोट यहां पर है. लेकिन यह चार बिरादरी ऐसी हैं, जिनके ही ज्यादातर यहां पर विधायक बनाए जाते हैं. इन समाज के प्रभाव से ही किसी भी विधायक की हार जीत तय होती है.

मौजूदा समीकरणों पर एक नजर: मौजूदा समय में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में सीधी टक्कर दिखाई देती है. लेकिन कहीं ना कहीं इस सीट के ऊपर आईएनएलडी के सबसे ज्यादा विधायक बनने का भी रिकॉर्ड है. इसके साथ-साथ बीएसपी के समर्थन से कई बार विधायक यहां पर बने हैं. जब यहां पर बीएसपी के खाते में है. सीट आई है तो यहां पर उनको जीत बेशक न मिली हो लेकिन उन्होंने अच्छा वोट यहां पर प्राप्त किया है. ऐसे में अब विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी पार्टी की बीएसपी के साथ गठबंधन हो चुका है. कहीं ना कहीं तीसरे मोर्चे के तौर पर आईएनएलडी पार्टी का उम्मीदवार भी यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला खड़ा कर सकता है. जो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए बड़ी समस्या हो सकती है.

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