नई दिल्ली: जिस वक्त कोरोना से देश दुनिया में त्राही-त्राही मची हुई थी, लोगों ने खुद को घरों में कैद कर लिया था. उस वक्त बंद कमरे में किसी का हुनर उड़ान भर रहा था. कलम कागज पर चलती थी और तस्वीर ऐसी बनती कि जो देखे देखता ही रह जाए. इनका प्रेम है गणपति और गणपति ही पूजा है. ये कहानी है दिल्ली के राजेश कुमार की. जिनके हुनर और कला से आज आपको रूबरू कराएंगे.
राजेश कुमार दिल्ली के दल्लूपुरा गांव में 15 जून 1969 को जन्मे और प्रारंभिक शिक्षा दल्लूपुरा से पूरी करने के बाद 12वीं तक की पढ़ाई शाहदरा में की. इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की. लेकिन उनमें कला के प्रति छुपा प्रेम और प्रतिभा महज 12 साल की उम्र में उस वक्त निकलकर सामने आई. जब उन्होंने पेंसिल से कई महापुरुषों के स्कैच तैयार कर डाले.
राजेश कुमार आज 3000 से ज्यादा पेंटिंग्स तैयार करने में महारथ हासिल कर चुके हैं और उनका करीब 2500 से ज्यादा पेंटिंग्स अकेले भगवान श्री गणेश के अलग-अलग रुपों को अवलोकन कराती हैं. राजेश कुमार की इस प्रतिभा का देश दुनिया में सम्मानित किया गया है. ईटीवी भारत संवाददाता भूपेन्द्र पांचाल ने आर्टिस्ट राजेश कुमार से विशेष बातचीत की
सवाल: आपके अंदर कला क्षेत्र में रूचि कब और कैसे सामने आई?
जवाब: आर्टिस्ट राजेश कुमार ने बताया कि पेंटिंग्स तैयार करने का सिलसिला 1981 में पेंसिल स्केच के जरिए शुरू किया गया था और यह 1984 में मेरे अंदर एक शौक की तरह घर गया. मैंने अपना ज्यादा वक्त और दिमाग इसकी तरफ लगाना शुरू कर दिया. 1984 से लेकर अब तक मेरे पास अलग-अलग तरह की पेंटिंग्स के कलेक्शन रखे हुए हैं. इसके बाद से लगातार में पेंटिंग्स तैयार करने का काम करता आ रहा हूं.
सवाल: अब तक कितनी पेंटिंग्स तैयार कर चुके हैं और किस पर इनका फोकस किया गया?
राजेश कुमार ने बताया कि अभी तक 2500 से ज्यादा गणेश भगवान की पेंटिंग बनाई हैं. अब तक कुल 3000 से ज्यादा पेंटिंग्स बनाई हैं. उन्होंने बताया कि गणेश भगवान की जितनी भी पेंटिंग बनाई गई हैं, वह सभी एक दूसरे से अलग हैं. कोई भी कलाकृति एक दूसरे को मैच नहीं करती है. यह सभी अलग-अलग शेप और अलग-अलग मैटेरियल व चीजों के साथ तैयार की गई हैं. इन सभी पेंटिंग में यूज किया गया मैटेरियल पूरी तरह से भिन्न है. 200 से ज्यादा मैटेरियल को इन पेंटिंग्स को तैयार करने के लिए यूज किया गया है. इन पेंटिंग्स में डिफरेंट मैटेरियल यूज करने की वजह से ही मैंने कई विश्व रिकॉर्ड भी बनाए हैं.
सवाल: किस तरह के विश्व रिकॉर्ड आपने बनाए हैं?
राजेश कुमार ने बताया कि सर्वाधिक पेंटिंग्स डिफरेंट मैटेरियल यूज करके बनाने का ही विश्व रिकॉर्ड हासिल किया है. इन रिकॉर्ड्स में वर्ल्ड वाइड बुक रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, एशिया बुक रिकॉर्ड और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड प्रमुख रूप से शामिल हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मेरी इन कलाकृतियों को भी अलग-अलग सम्मान मिले हैं. उन्होंने बताया कि इन पेंटिंग्स की विश्व ख्याति यह है कि हाल ही में मुझे बैंकॉक में बॉलीवुड की फिल्म अभिनेत्री ईशा देओल की तरफ से भी 'बेस्ट ऑफ आर्टिस्ट' का अवार्ड दिया गया. हाल ही में राष्ट्रीय स्तर की एक बड़ी संस्था ने भी मेरी कला को बड़ा सम्मान दिया था. उन्होंने बताया कि मेरी इस पहचान को तमाम संस्थाएं देश और विदेश स्तर पर सम्मान देती आ रही हैं.
सवाल: किन राज्यों और देशों में कला प्रदर्शनी आयोजित की गईं हैं?
पेंटिंग एग्जीबिशन को लेकर राजेश कुमार ने बताया कि भारत देश ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, जयपुर, नैनीताल और तमाम राज्यों में आर्ट एग्जिबिशन लगी हैं. जहां तक विदेश में प्रदर्शनी आयोजन का सवाल है तो दुबई, नेपाल और वियतनाम आदि देशों में आर्ट एग्जीबिशन का आयोजन किया जा चुका है.
सवाल: पेंटिंग्स बनाने का सबसे अच्छा समय कौन सा रहा है?
आर्टिस्ट राजेश कुमार ने बताया कि जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी तो मैं भी कोरोना पॉजिटिव हो गया था. 17 दिन तक अस्पताल में एडमिट रहा था और घर में क्वॉरेंटाइन भी रहा. जब मैं इसकी रिकवरी की तरफ जा रहा था तो मेरे पैर में फ्रैक्चर हो गया था. उस वक्त मैं घर में पूरी तरीके से कैद हो गया था. वह ऐसा कालखंड था जिसमें मैंने सर्वाधिक पेंटिंग्स रात दिन तैयार कीं. उस कोरोना काल के दौरान सिर्फ 'मैं और मेरे गणेशा और ब्रश' साथ होता था, उसे दौरान में मैंने सर्वाधिक पेंटिंग्स बनाने का खुद एक रिकॉर्ड बनाया था.
उन्होंने यह भी बताया कि भगवान श्री गणेश जी के अलावा और भी दूसरी पेंटिंग्स बनाई हैं लेकिन मेरा मूल टॉपिक गणेशा है. श्री गणेश भगवान के अलावा मैंने कुछ महापुरुषों और लैंडस्केप की पेंटिंग्स भी तैयार की हैं. सीनरी तैयार की हैं. राजेश कुमार ने इन पेंटिंग्स को तैयार करने में ज्यादातर ऐसे पदार्थ को यूज किया है जोकि एक कोने में रख दिए जाते हैं.
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