देहरादून: उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले एचआईवी संक्रमित मरीजों को अब उनके नजदीकी अस्पतालों में ही दवाएं मिल सकेंगी. ऐसे में मरीजों को दवाई के लिए हल्द्वानी या फिर देहरादून नहीं जाना पड़ेगा.
दरअसल, उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग अल्मोड़ा, टनकपुर, श्रीनगर और कर्णप्रयाग में एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर खोलने जा रहा है. ऐसे में प्रदेश में दुरस्त क्षेत्रों में रह रहे एचआईवी संक्रमित मरीजों को इन केंद्रों पर ही दवाएं मिल सकेंगी. एआरटी सेंटर में सभी एचआईवी संक्रमित मरीजों को नि:शुल्क दवाएं दी जाती हैं.
बता दे कि हालही में स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने टनकपुर के उप जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया था. उस दौरान उन्हें जानकारी मिली थी कि टनकपुर क्षेत्र के करीब 50-60 एचआईवी संक्रमित मरीजों को दवाई लेने के लिए एआरटी केंद्र हल्द्वानी जाना पड़ता है. ऐसे में मरीजों की समस्या को देखते हुए शासन ने निर्णय लिया कि एआरटी को स्थानीय अस्पताल से लिंक किया जाएं. जिस संबंध में आदेश जारी होने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने लगभग सारी कागजी कार्रवाही पूरी कर ली हैं. लिहाजा, टनकपुर में एआरटी सेंटर बनने के बाद यहां के एचआईवी संक्रमित मरीजों को हल्द्वानी नहीं जाना पड़ेगा.
इसके अलावा स्वास्थ्य सचिव में आदेश पर राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल और उप जिला चिकित्सालय कर्णप्रयाग और चमोली में एआरटी केन्द्र की स्थापना हो चुकी है. राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर और उप जिला चिकित्सालय कर्णप्रयाग में एआरटी केंद्र शुरू होने से करीब 350 मरीजों को फायदा पहुंचेगा.
दरअसल, एआरटी केन्द्रों में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को निशुल्क दवाईयां, नियमित जांच की सुविधा, परामर्श और अन्य सुविधाएं दी जाती है. वर्तमान में चमोली और पौड़ी जिलों के करीब 350 मरीजों को दवाई के लिए हर महीने देहरादून स्थित एआरटी केन्द्रों में जाना पड़ता है, लेकिन एआरटी केंद्र शुरू होने के बाद उन्हें वही दवाइयां मिल सकेंगी.
इसके अलावा अल्मोड़ा जिले के सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज में भी जल्द ही एआरटी केन्द्र की स्थापना हो जाएगी, जिससे करीब 300 मरीजों को एआरटी केंद की सुविधा का लाभ मिल सकेगा. मौजूदा समय में अल्मोड़ा जिले के करीब 300 एचआईवी संक्रमित मरीजों को दवा के लिए सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में बने एआरटी केन्द्र में जाना पड़ता है, लेकिन एआरटी केन्द्र बन जाने के बाद इन मरीजों को न सिर्फ स्थानीय स्तर भी दवा मिल सकेगी बल्कि, मरीजों को आर्थिक नुकसान नही होगा साथ उनकी सेहत में भी सुधार आयेगा
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