अंबिकापुर: 26 जनवरी के दिन राज्य सरकार की ओर से बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. सम्मान पाने वालों में सरगुजा के अरनव सिंह का नाम भी शामिल है. अरनव ने 13 नवंबर के दिन जान पर खेलकर कई लोगों की जान बचाई थी. पुलिस ने अरनव के इस बहादुरी भरे काम की तारीफ की थी. खुद एसपी ने अरनव का नाम शासन को वीरता पुरस्कार में शामिल करने के लिए भेजा था.
क्या हुआ था 13 नवंबर 2023 को: घटना वाले दिन अरनव सिंह अपने माता पिता के साथ अंबिकापुर कार से जा रहे थे. उनकी कार जब साड़बार बैरियर के पास पहुंची तो देखा कि वहां आग की उंची उंची लपटे उठ रही हैं. अरनव ने माता पिता से कहा कि वो जिस जगह पर आग लगी है वहां पर चलें. सभी लोग आग वाली दिशा में आगे बढ़ने लगे. जब उनकी गाड़ी मणिपुर थाना और स्वच्छता चेतना पार्क के पास पहुंची तो देखा कि वहां जो कचरा डंपिंग यार्ड था उसमें भीषण लपटे उठ रही हैं. जिस जगह पर आग लगी थी वहीं पर कई दुकानें और गाड़ियां खड़ी थी.
अरनव ने दिखाई बहादुरी: अरनव ने तुरंत फोन से 112 पर डायल किया और घटना की जानकारी पुलिस को दी. पुलिस जबतक पहुंचती तबतक आग कई लोगों को अपनी चपेट में ले लेती. कंचरा डंपिंग यार्ड में चौकीदार भी सो रहा था और आस पास के दुकानों में लोग सो रहे थे. अरनव ने बहादुरी दिखाते हुए डंपिंग यार्ड की दीवार फांदी और जाकर सबसे पहले चौकीदार को जगाया. बाद में चौकीदार और अरनव ने दुकानों में सो रहे सभी लोगों को मौके की नजाकत बताकर सुरक्षित जगहों पर भेजा. इसी दौरान पुलिस भी दमकल की टीम के साथ मौके पर पहुंच गई. एसपी ने अरनव सिंह की बहादुरी पर गर्व करते हुए उसे शाबाशी दी और उसका नाम वीरता पुरस्कार के लिए भेज दिया.
अरनव ने ऐसे बचाई जान: अरनव से ईटीवी भारत ने बातचीत की. अरनव ने कहा कि "दिवाली की रात मैं अपने पूरे परिवार के साथ स्वच्छता पार्क के पास से गुजर रहा था. हमने देखा की वहां भीषण आग लगी हुई है. जिसके बाद हमने सबको सूचना दी और सबने मिलकर 4 लोगों की जान बचाई. एक तो पार्क के अंदर कमरा बंद करके सो रहा था. मां के मना करने के बाद भी मैं गेट फांदकर अंदर गया. सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन बार-बार दरवाजे को पीटा और उस व्यक्ति को बाहर निकाला."
आग इतनी अधिक थी कि डर तो लग रहा था, लेकिन रात के 12 बज रहे थे और वहां कोई था भी नहीं. इसलिए हमने प्रशासन का सहयोग लिया. एसपी साहब भी वहां आ गये थे. हमने हिम्मत दिखाई. सबने मिलकर लोगों की जान बचाई. आग इतनी भीषण थी कि सुबह के 6 बज गए थे उसे बुझाने में." -सुरेश सिंह, अरनव के पिता
अरनव की मां हुई गौरवान्वित: अरनव की मां सुमन सिंह कहती हैं कि, "दीपावली की तैयारी में हम सब सुबह से थके हुए थे लेकिन जब आग देखे तो सब थकान भूल गये क्योंकि आग काफी भीषण थी. अरनव साथ था, इसने ही सबको प्रेरित किया. ये बचपन से ही हेल्पिंग नेचर का है. वहां कोई था भी नहीं. हम को ये डर था कि कहीं किसी की जान का नुकसान ना हो. उस क्षण को हम कभी भूल नहीं सकते. आज भी याद करके धड़कने बढ़ जाती हैं. बेटा कब दौड़-दौड़ कर खतरे में जा रहा था, तो मैं उसे रोक भी रही थी लेकिन उसने बहादुरी का परिचय दिया."
बता दें कि अरनव की बहादुरी के कारण उसे वीरता पुरस्कार दिया जा रहा है. अरनव की एक पहल ने कईयों की जान बचाई. वीर अरनव के माता पिता भी वीरता पुरस्कार से काफी खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.