पलामू: सुखाड़ वाले इलाके में किसानों को गैर परंपरागत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. झारखंड में मानसून दस्तक देने वाला है. मानसून के दस्तक के साथ ही किसान खेती की तैयारी शुरू कर देंगे. पलामू का इलाका सुखाड़ के लिए चर्चित है. पिछले दो वर्षों से यह इलाका सुखाड़ की चपेट में है. इस इलाके में खेती के नए-नए प्रयोग किए जा रहे है. गैर परंपरागत के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. इसी कड़ी में पलामू के किसानों को अरहर की खेती से जोड़ा जा रहा है.
2023 में पलामू के इलाके में धान की खेती का लक्ष्य 60 हजार हेक्टेयर के करीब रखा गया था. वहीं फसलों का लक्ष्य बेहद ही कम था. हालात को देखते हुए पलामू के इलाके में 2024 में 34 हजार हेक्टेयर में अरहर की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. अरहर के फसल लगाने को लेकर कृषि विभाग किसानों को ट्रेनिंग दे रहा है. किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध करवाने की तैयारी है.
200 क्विंटल बीज किसानों को करवाया जाएगा उपलब्ध
पलामू में इस बार किसानों को 200 क्विंटल अरहर की बीज उपलब्ध करवाने की योजना है.पलामू के इलाके में जमीन पठारी है. जंहा बड़े पैमाने पर दलहन की खेती होती है. पलामू के कई इलाकों में अरहर की मांग है. इसके तहत अरहर की बीज किसानों को पैक्स एवं अन्य सेंटर से उपलब्ध करवाए जाएंगे.
उपविकास आयुक्त रवि आनंद ने बताया कि पलामू में पहली बार 34000 हेक्टेयर में अरहर की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत किसानों को अनुदानित दर पर बीच उपलब्ध करवाया जाएगा. साथ ही किसानों को अरहर के फसल लगाने को लेकर जागरूक किया गया है. पलामू का इलाका रेन शैडो एरिया में आता है. इसलिए इलाके में गैर परंपरागत खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.
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