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किसानों को सब्सिडी पर बीज उपलब्ध कराने की योजना, सूखाग्रस्त इलाकों में लगाए जाएंगे ये फसल - Provide Seeds To Farmers on Subsidy - PROVIDE SEEDS TO FARMERS ON SUBSIDY

Non Traditional Farming.पलामू का इलाका पिछले दो साल से सुखाड़ की चपेट में है. जिसे देखते हुए इस बार 34 हजार हेक्टेयर में अरहर की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए कृषि विभाग द्वारा फसल लगाने को लेकर खास ट्रेनिंग दी जा रही है.

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सूखाग्रस्त इलाकों में होगी अरहर की खेती (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 11, 2024, 10:57 PM IST

पलामू: सुखाड़ वाले इलाके में किसानों को गैर परंपरागत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. झारखंड में मानसून दस्तक देने वाला है. मानसून के दस्तक के साथ ही किसान खेती की तैयारी शुरू कर देंगे. पलामू का इलाका सुखाड़ के लिए चर्चित है. पिछले दो वर्षों से यह इलाका सुखाड़ की चपेट में है. इस इलाके में खेती के नए-नए प्रयोग किए जा रहे है. गैर परंपरागत के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. इसी कड़ी में पलामू के किसानों को अरहर की खेती से जोड़ा जा रहा है.

खेती को लेकर जानकारी देते उपविकास आयुक्त (ETV BHARAT)

2023 में पलामू के इलाके में धान की खेती का लक्ष्य 60 हजार हेक्टेयर के करीब रखा गया था. वहीं फसलों का लक्ष्य बेहद ही कम था. हालात को देखते हुए पलामू के इलाके में 2024 में 34 हजार हेक्टेयर में अरहर की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. अरहर के फसल लगाने को लेकर कृषि विभाग किसानों को ट्रेनिंग दे रहा है. किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध करवाने की तैयारी है.

200 क्विंटल बीज किसानों को करवाया जाएगा उपलब्ध

पलामू में इस बार किसानों को 200 क्विंटल अरहर की बीज उपलब्ध करवाने की योजना है.पलामू के इलाके में जमीन पठारी है. जंहा बड़े पैमाने पर दलहन की खेती होती है. पलामू के कई इलाकों में अरहर की मांग है. इसके तहत अरहर की बीज किसानों को पैक्स एवं अन्य सेंटर से उपलब्ध करवाए जाएंगे.

उपविकास आयुक्त रवि आनंद ने बताया कि पलामू में पहली बार 34000 हेक्टेयर में अरहर की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत किसानों को अनुदानित दर पर बीच उपलब्ध करवाया जाएगा. साथ ही किसानों को अरहर के फसल लगाने को लेकर जागरूक किया गया है. पलामू का इलाका रेन शैडो एरिया में आता है. इसलिए इलाके में गैर परंपरागत खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: झारखंड के बेहद करीब आकर ठहर गया है मानसून! कुछ दिन और करना होगा इंतजार, कई जिलों में हीटवेव का ऑरेंज अलर्ट

ये भी पढ़ें: गिरिडीह से बिहार हो रही है स्टोन चिप्स की तस्करी, परिवहन परमिट के बगैर ओवरलोडेड ट्रक जा रहे सीमा पार

पलामू: सुखाड़ वाले इलाके में किसानों को गैर परंपरागत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. झारखंड में मानसून दस्तक देने वाला है. मानसून के दस्तक के साथ ही किसान खेती की तैयारी शुरू कर देंगे. पलामू का इलाका सुखाड़ के लिए चर्चित है. पिछले दो वर्षों से यह इलाका सुखाड़ की चपेट में है. इस इलाके में खेती के नए-नए प्रयोग किए जा रहे है. गैर परंपरागत के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. इसी कड़ी में पलामू के किसानों को अरहर की खेती से जोड़ा जा रहा है.

खेती को लेकर जानकारी देते उपविकास आयुक्त (ETV BHARAT)

2023 में पलामू के इलाके में धान की खेती का लक्ष्य 60 हजार हेक्टेयर के करीब रखा गया था. वहीं फसलों का लक्ष्य बेहद ही कम था. हालात को देखते हुए पलामू के इलाके में 2024 में 34 हजार हेक्टेयर में अरहर की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. अरहर के फसल लगाने को लेकर कृषि विभाग किसानों को ट्रेनिंग दे रहा है. किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध करवाने की तैयारी है.

200 क्विंटल बीज किसानों को करवाया जाएगा उपलब्ध

पलामू में इस बार किसानों को 200 क्विंटल अरहर की बीज उपलब्ध करवाने की योजना है.पलामू के इलाके में जमीन पठारी है. जंहा बड़े पैमाने पर दलहन की खेती होती है. पलामू के कई इलाकों में अरहर की मांग है. इसके तहत अरहर की बीज किसानों को पैक्स एवं अन्य सेंटर से उपलब्ध करवाए जाएंगे.

उपविकास आयुक्त रवि आनंद ने बताया कि पलामू में पहली बार 34000 हेक्टेयर में अरहर की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत किसानों को अनुदानित दर पर बीच उपलब्ध करवाया जाएगा. साथ ही किसानों को अरहर के फसल लगाने को लेकर जागरूक किया गया है. पलामू का इलाका रेन शैडो एरिया में आता है. इसलिए इलाके में गैर परंपरागत खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.

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