बिलासपुर : किसी जमाने में आर्चरी का खेल बिलासपुर के निवासियों के लिए सपने से कम नहीं था.लेकिन अब वक्त बदल चुका है.बिलासपुर समेत आसपास के जिलों समेत दूसरे राज्यों के युवा खिलाड़ी इस खेल के गुर सीख रहे हैं. बिलासपुर के खेलो इंडिया एक्सीलेंस सेंटर में आर्चरी खिलाड़ियों की संख्या बढ़ने लगी है. आर्चरी का खेल धैर्य और संतुलन की परिभाषा को साबित करता है.इस खेल में वही महारथी बन सकता है जो अपनी नजर को एकाग्र रखकर संतुलित होकर निशाना लगाता है.यही वजह है कि एक बार निशाना सध जाने के बाद खिलाड़ी देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी नाम कमाता है.
व्यवस्था के अभाव में ट्रेनिंग : बिलासपुर के बहताराई खेलो इंडिया एक्सीलेंस सेंटर में छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों के खिलाड़ी आर्चरी ट्रेनिंग ले रहे हैं. यहां खिलाड़ी सुबह और शाम आर्चरी की प्रैक्टिस करते हैं. आर्चरी में धनुष और बाण के माध्यम से निशाना लगाया जाता है. 30 मीटर से लेकर 50 मीटर तक का निशाना खिलाड़ी साधते हैं.लेकिन एक्सीलेंस सेंटर में जितना ध्यान दूसरे खेलों की सुविधाओं पर है,उतना आर्चरी में नहीं.क्योंकि आर्चरी की प्रैक्टिस के लिए खिलाड़ियों के पास एक अदद मैदान भी नहीं है. खिलाड़ी बिना ट्रैक और बिना लाइन के मिट्टी घास पर निशाना साधते हैं. जिस बोर्ड पर निशाना लगाया जाता है वो भी जर्जर हो चुका है.
ट्रेनिंग सेंटर में बैठने का अभाव : आर्चरी के ट्रेनिंग सेंटर में खिलाड़ियों के खड़े होने के लिए शेड और बैठने के लिए चेयर की व्यवस्था नहीं है.खिलाड़ी पटिया में बैठकर अपनी तैयारी करते हैं. ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि जिस तरह से खिलाड़ियों को व्यवस्था दी जा रही है,क्या वो अच्छे प्रदर्शन के लिए काफी है. खेलो इंडिया एक्सीलेंस सेंटर में कई खिलाड़ी स्टेट और नेशनल खेल चुके हैं. यहां नेशनल ओपन और नेशनल स्कूल गेम्स खेलने वाले खिलाड़ी ट्रेनिंग ले रहे हैं. यह खिलाड़ी व्यक्तिगत और राज्य के साथ देश का नाम रोशन करने सुबह शाम कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
''इंटरनेशनल आर्चरी कॉम्पटीशन के साथ ही ओलंपिक गेम्स की तैयारी कर रही हूं. इस खेल में धैर्य और साहस के साथ ही बॉडी कंट्रोल रखना एक चुनौती होता है. जो इस चुनौती को पूरा करता है वही अच्छा खिलाड़ी बनता है.'' अंशिका वर्मा,आर्चरी खिलाड़ी
आर्चरी के खेल में योग के साथ ही प्रैक्टिस बहुत जरूरी है. ये दोनों निरंतर करने से आर्चरी के खेल में पारंगत हासिल होता है. अंशिका और माया दोनों अच्छी खिलाड़ी हैं . यहां ट्रेनिंग भी अच्छी तरह से ले रही हैं.लेकिन व्यवस्थाओं को लेकर काफी मायूस हैं.
जल्द हो जाएगा शेड निर्माण : खेलो इंडिया एक्सीलेंस सेंटर के ज्वाइन डायरेक्टर ए. एक्का ने बताया कि उनके यहां तीन खेल के ट्रेनिंग सेंटर हैं. इन सेंटर्स में बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है. आर्चरी, हॉकी और एथलेटिक्स में इस समय बच्चे हॉस्टल में रहकर ट्रेनिंग ले रहे हैं. आर्चरी में लगभग 26 बच्चे ट्रेनिंग ले रहे हैं और उनके लिए ग्राउंड में व्यवस्थाओं को लेकर भी पत्राचार किया गया है.
''इस समय खिलाड़ी जिस टेंट के नीचे खड़े होकर निशाना लगाते हैं, वहां शेड निर्माण की मंजूरी मिल गई है और जल्द ही शेड निर्माण किया जाएगा, जिससे बच्चों को धूप में खड़े होकर ट्रेनिंग नहीं लेनी पड़ेगी, इसके साथ ही बैठने के अलावा कई और व्यवस्थाएं भी की जाएगी.'' ए.एक्का,ज्वाइन डायरेक्टर
युवाओं का निशाना कैसे लगेगा ? : छत्तीसगढ़ सरकार समेत केंद्रीय मद से खेलो को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है.लेकिन बिलासपुर के एक्सीलेंस सेंटर मे ऑर्चरी के खिलाड़ी इतने खुशकिस्मत नहीं हैं.खिलाड़ी दिन रात ट्रेनिंग में पसीना बहा रहे हैं.लेकिन इस पसीने की असली कीमत तब होगी जब ये मैदान में जाएंगे.ऐसे में ट्रेनिंग के दौरान खिलाड़ियों को अच्छी सुविधाएं नहीं मिली तो ये मेहनत भी पानी होते देर नहीं लगेगी.इसलिए जरूरत है, समय रहते व्यवस्थाएं दुरुस्त करके खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की,ताकि जब ये खिलाड़ी मैदान में उतरे तो किसी भी तरह से कमजोर ना रहे.