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अपना घर आश्रम की बेमिसाल पहल, गैस मशीन से अंत्येष्टि करने पर साल भर में बचेंगे 125 पेड़ - APNA GHAR ASHRAM SAVE TREE

अपना घर आश्रम अब गैस मशीन से अंत्येष्टि कर 1 साल में 125 पेड़ों को कटने से बचाएगा.

APNA GHAR ASHRAM
अपना घर आश्रम की बेमिसाल पहल (ETV BHARAT BHARATPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 5, 2024, 4:50 PM IST

भरतपुर : मानव सेवा और जीव सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला अपना घर आश्रम अब पर्यावरण सुरक्षा में भी योगदान देगा. आश्रम में देह त्यागने वाले प्रभुजन का अब गैस शवदाह गृह में अंत्येष्टि की जाएगी. ऐसे में अब यहां अंत्येष्टि के लिए लकड़ी और ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इससे हर साल करीब 400 टन लकड़ी की बचत की जा सकेगी. यानी अपना घर आश्रम अब लकड़ी का इस्तेमाल बंद कर पेड़ों को कटने से बचाएगा. वहीं, लकड़ी के जलने से फैलने वाला प्रदूषण भी नहीं होगा. आइए जानते हैं आश्रम किस तरह हर साल करीब 125 से अधिक पेड़ों को कटने से बचाएगा.

आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि अपना घर आश्रम भरतपुर की ओर से गैस से संचालित शवदाह गृह का निर्माण कराया गया है. यह शवदाह गृह करीब 20 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ है. उन्होंने बताया कि अपना घर आश्रम में हर माह 250 से 300 प्रभुजनों का प्रवेश होता है, जिनमें कई प्रभुजन विशेष गंभीर स्थिति में आते हैं तो कई रास्ते में दम तोड़ देते हैं.

अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज (ETV BHARAT BHARATPUR)

इसे भी पढ़ें - बेमिसाल : पहले आश्रय और फिर उपचार, बीते 24 साल में 26 हजार से अधिक बिछड़ों को उनके अपनों से मिलाया

कम खर्च में अंत्येष्टि : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अपना घर में सेवा उपचार के बावजूद गंभीर हालत और उम्र के चलते हर माह करीब 70 प्रभुजन का देहांत हो जाता है. अब तक इनका अंतिम संस्कार लकड़ी व ईंधन से किया जाता था, लेकिन अब गैस शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इस मशीन से एक प्रभुजन के अंतिम संस्कार पर औसतन 15 किलो पीएनजी गैस खर्च होती है. इसकी करीब 1 हजार लागत आती है, जबकि ईंधन व लकड़ी से अंत्येष्टि करने पर अंतिम संस्कार में करीब 3 हजार रुपए का खर्च होता है.

APNA GHAR ASHRAM
साल भर में बचेंगे 125 पेड़ (ETV BHARAT BHARATPUR)

प्रदूषण मुक्त अंत्येष्टि : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि लकड़ी और ईंधन से अंत्येष्टि करने पर धुंआ निकलता है, जिससे प्रदूषण फैलता है. जबकि गैस शवदाह गृह में अंत्येष्टि करने पर किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता है. साथ ही सिर्फ 40 से 50 मिनट में अंत्येष्टि हो जाती है. इसके अलावा ईंधन से अंत्येष्टि करने पर करीब तीन गुना अधिक खर्चा होता है.

भरतपुर : मानव सेवा और जीव सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला अपना घर आश्रम अब पर्यावरण सुरक्षा में भी योगदान देगा. आश्रम में देह त्यागने वाले प्रभुजन का अब गैस शवदाह गृह में अंत्येष्टि की जाएगी. ऐसे में अब यहां अंत्येष्टि के लिए लकड़ी और ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इससे हर साल करीब 400 टन लकड़ी की बचत की जा सकेगी. यानी अपना घर आश्रम अब लकड़ी का इस्तेमाल बंद कर पेड़ों को कटने से बचाएगा. वहीं, लकड़ी के जलने से फैलने वाला प्रदूषण भी नहीं होगा. आइए जानते हैं आश्रम किस तरह हर साल करीब 125 से अधिक पेड़ों को कटने से बचाएगा.

आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि अपना घर आश्रम भरतपुर की ओर से गैस से संचालित शवदाह गृह का निर्माण कराया गया है. यह शवदाह गृह करीब 20 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ है. उन्होंने बताया कि अपना घर आश्रम में हर माह 250 से 300 प्रभुजनों का प्रवेश होता है, जिनमें कई प्रभुजन विशेष गंभीर स्थिति में आते हैं तो कई रास्ते में दम तोड़ देते हैं.

अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज (ETV BHARAT BHARATPUR)

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कम खर्च में अंत्येष्टि : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अपना घर में सेवा उपचार के बावजूद गंभीर हालत और उम्र के चलते हर माह करीब 70 प्रभुजन का देहांत हो जाता है. अब तक इनका अंतिम संस्कार लकड़ी व ईंधन से किया जाता था, लेकिन अब गैस शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इस मशीन से एक प्रभुजन के अंतिम संस्कार पर औसतन 15 किलो पीएनजी गैस खर्च होती है. इसकी करीब 1 हजार लागत आती है, जबकि ईंधन व लकड़ी से अंत्येष्टि करने पर अंतिम संस्कार में करीब 3 हजार रुपए का खर्च होता है.

APNA GHAR ASHRAM
साल भर में बचेंगे 125 पेड़ (ETV BHARAT BHARATPUR)

प्रदूषण मुक्त अंत्येष्टि : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि लकड़ी और ईंधन से अंत्येष्टि करने पर धुंआ निकलता है, जिससे प्रदूषण फैलता है. जबकि गैस शवदाह गृह में अंत्येष्टि करने पर किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता है. साथ ही सिर्फ 40 से 50 मिनट में अंत्येष्टि हो जाती है. इसके अलावा ईंधन से अंत्येष्टि करने पर करीब तीन गुना अधिक खर्चा होता है.

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