रायपुर : अपरा एकादशी एक विशेष एकादशी मानी जाती है. अपरा एकादशी का महत्व भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को भी बताया था. इस शुभ दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी कामनाएं पूरी होती है. अपरा एकादशी सर्व समाज द्वारा मनाई जाती हैं. उत्तर प्रदेश में इसे जल क्रीड़ा एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है.
अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त : यह एकादशी अपने आप में एक अद्भुत योग बनाती हैं. इस साल अपरा एकादशी 2 जून 2024 रविवार को मनया जाएगा. इस शुभ दिन रेवती नक्षत्र, आयुष्मान और प्रवर्धमन योग करण और सर्वार्थ सिद्धि योग का सुंदर संयोग बन रहा है. इस शुभ दिन पंचक निवृत्ति रात्रि 1:39 पर होगी.
अपरा एकादशी व्रत की विधि : पंडित विनीत शर्मा ने बताया, "आज के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना, परिक्रमा, कलवा बांधना और यज्ञोपवीत बांधने का काम किया जाता है. आज के शुभ दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने और फिर आचमन लेकर पूजा करने का विधान है. इस दिन सृष्टि के संचालक श्री हरि विष्णु जी का जल से अभिषेक किया जाता है. जिसके बाद श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है."
"भगवान श्री हरि विष्णु को गंगाजल, शुद्ध जल और अनेक तरह के जल से स्नान कराया जाता है. इसके साथ ही पीले फूल, कमल के फूल, अष्ट चंदन, रक्त चंदन आदि से भगवान विष्णु जी का अभिषेक किया जाता है. आज के शुभ दिन दिव्यांगजनों, गरीबों को दान करना अत्यंत शुभ माना गया है. आज के शुभ दिन निर्जला उपवास रखने का विधान अथवा एकाशना उपवास किया जा सकता है." - पंडित विनीत शर्मा, ज्योतिष एवम वास्तुविद
अपरा एकादशी व्रत का महत्व : आज के शुभ दिन राम रक्षा स्त्रोत, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु जी की आरती, रामायण और भागवत गीता का पाठ किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि अपरा एकादशी का दीर्घकाल तक पालन करने पर स्वर्ग लोक में स्थान मिलता है. अपरा एकादशी समस्त बिगड़े कार्यों को बनाने वाली होती है. आज के शुभ दिन उपवास करने पर जातक के जीवन की बाधाएं समाप्त हो जाती है. अपरा एकादशी समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाली मानी जाती है.
नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.