अनूपपुर: बिजुरी के ऊर्जा नगर कॉलोनी निवासी रमेश चंद्र चतुर्वेदी के बीमार होने पर उनकी डॉक्टर बेटी ने ना सिर्फ उनकी देखभाल की बल्कि आवश्यकता पड़ने पर अपना लिवर भी पिता को देने से पीछे नहीं हटीं. बेटी प्रतिभा के इस फैसले की लोग सराहना कर रहे हैं. विवाहित होने के बावजूद अपने पिता को बचाने के लिए खुद ही इसके लिए तैयार हो गईं. गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में सफल ऑपरेशन होने के बाद पिता और पुत्री दोनों ही स्वस्थ हालत में हैं.
लिवर सिरोसिस बीमारी से थे पीड़ित
बिजुरी निवासी 55 साल के रमेश चन्द्र चतुर्वेदी मैकेनिकल फिटर के पद पर कार्यरत हैं. वर्ष 2019 में रमेश चतुर्वेदी को खून की उल्टियां शुरू हुईं तब इलाज कराने के लिए वह बिलासपुर पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने उन्हें लिवर सिरोसिस बीमारी से ग्रसित बताया. बीते कई साल से उनका उपचार चल रहा था.
लिवर डोनेट के अलावा नहीं बचा था कोई रास्ता
लगभग 1 महीने पहले रमेश चन्द्र चतुर्वेदी की तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तब परिजन उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने कहा कि लिवर पूरी तरह से खराब हो चुका है और जीवन बचाने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट जरूरी है. अब ऐसे समय में रमेश चतुर्वेदी के दो पुत्री और एक पुत्र सभी ने ट्रांसप्लांट के लिए अपना चेकअप कराया. जहां बेटे को फैटी लीवर की शिकायत होने की बात सामने आई. इसके बाद उनकी विवाहित बड़ी बेटी प्रतिभा चतुर्वेदी ने पिता को बचाने के लिए अपना लिवर चेकअप कराया. उनका लिवर पिता से मैच होने के साथ ही ट्रांसप्लांट के योग्य पाया गया. 39 साल की प्रतिभा पेशे से जबलपुर में होम्योपैथिक डॉक्टर हैं.
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29 नवंबर को एडमिट, 14 दिसंबर को हुआ ऑपरेशन
रमेश चन्द्र चतुर्वेदी के पुत्र मयंक चतुर्वेदी ने बताया कि "29 नवंबर को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए पिता को मेदांता अस्पताल गुड़गांव में एडमिट कराया गया था. जहां आवश्यक जांच के बाद एडमिट करते हुए 14 दिसंबर को ऑपरेशन किया गया. 10 घंटे तक यह ऑपरेशन चला. इसके बाद पिता और पुत्री दोनों को एक दिन के लिए आईसीयू में रखा गया. वर्तमान में अब दोनों स्वस्थ हालत में हैं."