प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के अपराध में 22 साल से जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे दो भाइयों शालू उर्फ मंजीत पांडेय व लिटिल पांडेय की रिहाई की संस्तुति भेजने की मांग में दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सेंट्रल जेल वाराणसी के अधीक्षक को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने या 12 सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एके सांगवान एवं न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने शालू पांडेय व अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अधिवक्ता आदर्श शुक्ल व राजीव शुक्ल को सुनकर दिया है. अधिवक्ताद्वय ने कोर्ट को बताया कि याची चेतगंज थाने के हत्या के मामले में पिछले 22 साल से जेल में बंद हैं. जेल नियमों व सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आधार पर उनकी रिहाई की जानी चाहिए लेकिन जेल प्रशासन ने इसके लिए राज्य सरकार को कोई संस्तुति नहीं भेजी है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार व जेल अधीक्षक से जवाब मांगा था. सरकारी वकील ने जवाब के लिए फिर समय मांगा तो कोर्ट ने उक्त आदेश दिया.
हाई कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर जवाब दाखिल नहीं कर रहे बीएसए : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दाखिल याचिकाओं पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा समय से जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराज़गी जताई है. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा सचिव लखनऊ को आदेश दिया है कि वह प्रदेश भर के बीएसए को एक निर्देश जारी करें कि अदालत की ओर से मांगी गई जानकारी तत्काल मुहैया कराई जाए. याचिका दाखिल होने की जानकारी होते ही बीएसए अपने अधिवक्ता को निर्देश भेजें. कोर्ट ने सचिव को इस संबंध में उठाए गए कदम की जानकारी अगली सुनवाई पर अदालत में देने का निर्देश दिया है. मिर्जापुर की पूजा की याचिका पर न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने यह आदेश दिया.
पूजा ने बीएसए के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उसके आवेदन पर आदेश पारित करने का बीएसए को निर्देश देने की मांग की. हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मिर्ज़ापुर को 8 अगस्त 2024 को नोटिस जारी किया था, मगर अगली सुनवाई पर बीएसए के अधिवक्ता ने कोई जवाब दाखिल नहीं किया. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह हर दिन देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्या में दाखिल होने वाली याचिकाओं में बीएसए के अधिवक्ताओ को नोटिस दिया जाता है, मगर किसी में भी समय पर जवाब दाखिल नहीं होता.