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Rajasthan: श्रीनाथजी का छप्पनभोग आदिवासी समुदाय के लोगों ने लूटा ! ये है अनोखी प्रथा

राजसमंद में 350 वर्ष पुरानी परंपरा अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया. जानिए क्या है ये परंपरा.

अन्नकूट महोत्सव
अन्नकूट महोत्सव (ETV Bharat Rajsamand)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 2, 2024, 9:06 AM IST

राजसमंद : पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के प्रधान पीठ नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में शुक्रवार रात्रि को 350 वर्ष पुरानी परंपरा अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को छप्पन भोग लगाया गया, जिसे श्रीजी सन्मुख से आदिवासी समुदाय के लोग लूट कर ले गए.

परंपरा के अनुसार अन्नकूट महोत्सव के दिन नाथद्वारा नगर के आसपास के ग्रामीण अंचलों से आदिवासी श्रीनाथजी मंदिर आते हैं और श्रीनाथजी के सन्मुख रखे छप्पन भोग को लूट कर ले जाते हैं. इसी के तहत शुक्रवार को भी श्रीनाथजी के सामने पके हुए 300 क्विंटल से अधिक चावल का भोग लगाया गया. इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समाज के लोग लूट कर ले गए.

अन्नकूट महोत्सव का आयोजन (ETV Bharat Rajsamand)

इसे भी पढ़ें. Rajasthan: 350 वर्ष पुरानी परंपरा, आदिवासी समुदाय लूटेगा प्रभु का अन्नकूट भोग

आदिवासी लोगों ने बताया कि इस चावल का उपयोग अपने सगे संबंधियों में बांटने और औषधि के रूप में करते हैं. इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं. उनकी मान्यता है कि इससे घर में धनधान्य बना रहता है व किसी प्रकार के कष्ट नहीं आते. शुक्रवार रात साढ़े 11 बजे के करीब अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई, जिसमें आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के लोगों ने अन्नकूट के चावल व छप्पनभोग की अन्य सामग्रियों को लूटा. इस परंपरा को देखने बड़ी संख्या में विभिन्न राज्यों से आए दर्शनार्थी मंदिर के बाहर खड़े रहे.

राजसमंद : पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के प्रधान पीठ नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में शुक्रवार रात्रि को 350 वर्ष पुरानी परंपरा अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को छप्पन भोग लगाया गया, जिसे श्रीजी सन्मुख से आदिवासी समुदाय के लोग लूट कर ले गए.

परंपरा के अनुसार अन्नकूट महोत्सव के दिन नाथद्वारा नगर के आसपास के ग्रामीण अंचलों से आदिवासी श्रीनाथजी मंदिर आते हैं और श्रीनाथजी के सन्मुख रखे छप्पन भोग को लूट कर ले जाते हैं. इसी के तहत शुक्रवार को भी श्रीनाथजी के सामने पके हुए 300 क्विंटल से अधिक चावल का भोग लगाया गया. इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समाज के लोग लूट कर ले गए.

अन्नकूट महोत्सव का आयोजन (ETV Bharat Rajsamand)

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आदिवासी लोगों ने बताया कि इस चावल का उपयोग अपने सगे संबंधियों में बांटने और औषधि के रूप में करते हैं. इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं. उनकी मान्यता है कि इससे घर में धनधान्य बना रहता है व किसी प्रकार के कष्ट नहीं आते. शुक्रवार रात साढ़े 11 बजे के करीब अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई, जिसमें आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के लोगों ने अन्नकूट के चावल व छप्पनभोग की अन्य सामग्रियों को लूटा. इस परंपरा को देखने बड़ी संख्या में विभिन्न राज्यों से आए दर्शनार्थी मंदिर के बाहर खड़े रहे.

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