कोरबा: पशुधन विभाग की तरफ से जानवरों के लिए विशेष वैक्सीनेशन ड्राइव चलाया जा रहा है. इसके अंतर्गत पशुपालकों के पालतू जानवरों को सुरक्षा का टीका लगाया जाएगा. विभाग का टारगेट है कि 3 लाख 68000 गाय और भैंसों को टीका दिया जा सके. ताकि वह किसी भी तरह के संक्रमण के चपेट में ना आएं. कुछ विशेष मामलों में जानवरों में संक्रमण फैलने से बीमारियां भी जानवरों से होते हुए इंसानों तक पहुंचती हैं. कोरोना जैसी महामारी के बाद अब जानवरों के टीकाकरण पर भी खास फोकस है.
संक्रमण से बचने नि:शुल्क दिया जाता है सरकारी टीका: खासतौर पर ऐसे जानवर जिनसे मिलने वाले दूध का सेवन लोग करते हैं. उनका टीकाकरण जरूरी हो जाता है. संक्रमित गाय या भैंस का दूध पीना सेहत के लिए भी ठीक नहीं होता. विभाग की माने तो खुरहा, चपका, लंपी जैसी संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए जानवरों का टीकाकरण किया जाता है. टीका पूरी तरह से नि:शुल्क होता है. पशुपालकों से डोर टू डोर भी संपर्क किया जा रहा है. यदि कोई पशुपालक विभाग के पशु अस्पताल या औषधालय में आता है. तब भी उसे टीका नि:शुल्क टीका दिया जा रहा है.
80 टीम बनी, विभाग का दावा टीका पूरी तरह से कारगर : पशुधन विभाग ने जिले भर में टीकाकरण के लिए 80 दल का गठन किया है. जो डोर टू डोर जाकर पशुपालकों से संपर्क कर रहे हैं और जानवरों को सुरक्षा टीका लगाया जा रहा हैं. फिलहाल वैक्सीनेशन ड्राइव सिर्फ गाय और भैंस के लिए है. आने वाले समय में बकरी और अन्य जानवरों का टीकाकरण किया जाएगा.
जानवरों को संक्रमण से बचाने टीकाकरण अभियान: पशु विभाग के उपसंचालक एसपी सिंह ने बताया कि जानवरों को संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया गया है. जिले भर में 3 लाख 68000 गाय और भैंसों को टीका दिया जाएगा. यह पूरी तरह से नि:शुल्क है. पशुपालक जहां चाहे टीका लगवा सकते हैं. टीका पूरी तरह से कारगर होता है.
पशुओं को इसलिए जरूरी है टीका लगाना: एसपी सिंह बताते हैं कि समय रहते जानवरों को यदि टीका लग जाता है, तो वह बीमार नहीं पड़ते. संक्रमण की चपेट में आने के बाद दूध का उत्पादन भी काम हो जाता है और खेती किसानी के काम के लिए भी जानवरों का उपयोग नहीं किया जा सकता. जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है. इसलिए जानवरों का टीकाकरण ठीक समय पर करवा लेना चाहिए.
पशुपालकों किसी तरह की भ्रांति में ना आए: अधिकारी यह भी कहते हैं कि सरकारी टीका असर नहीं करता यह केवल एक भ्रांति है. वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की संख्या बेहद कम है. जो कंपनियां वैक्सीन बनाती है. उनके द्वारा निजी और सरकारी दोनों को ही एक समान दवा सप्लाई किया जाता है. इसलिए सरकारी वैक्सीन पूरी तरह से कारगर है. टीकाकरण के पहले कोल्ड चेन मेंटेन किया जाता है.