रांची: 16 फरवरी को चंपई मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले ही प्रदेश कांग्रेस में छिड़े आंतरिक घमासान को आर-पार की शक्ल देने की तैयारी शुरू कर दी गई है. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर कांग्रेस कोटे के चारों मंत्रियों को नहीं हटाया गया तो कांग्रेस के 12 विधायक किसी भी हद तक जा सकते हैं. उनका कहना है कि आज ही जयपुर या बेंगलुरु के लिए रवानगी होगी.
इरफान अंसारी का कहना है कि यह नाराजगी झारखंड सरकार या कांग्रेस आलाकमान के प्रति नहीं है बल्कि यह नाराजगी कांग्रेस कोटे से शपथ लेने वाले चारों मंत्रियों को लेकर है. उनके मुताबिक, चारों मंत्रियों का परफॉर्मेंस बेहद निराशाजनक रहा है. इसका खामियाजा क्षेत्र में विधायकों को उठाना पड़ रहा है. सरकार में होते हुए भी उन्हीं की पार्टी के मंत्री उनकी बातें नहीं सुनते हैं.
बेंगलुरु जाने की है तैयारी
महगामा से कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडे सिंह ने कहा है कि सभी विधायकों ने प्रभारी को लिखित में अपनी भावना से अवगत करा दिया है. उनका कहना है कि कांग्रेस कोटे के चारो मंत्रियों को बदलना चाहिए. दीपिका पांडेय ने कहा कि नाराज विधायकों के दूसरे स्टेट में जाने और बजट सत्र के बहिष्कार का ऑप्शन खुला हुआ है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आलाकमान क्या फैसला लेता है.
रांची के खिजरी से कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने कहा है कि उनके साथ छलावा हुआ है. उनका कहना है कि जिस दिन एससी कोटे से 12वें मंत्री को शपथ दिलाई जाए, उसी दिन कांग्रेस कोटे के चारों मंत्रियों को हटाकर नए मंत्री बनाए जाने चाहिए. उनका कहना है कि क्षेत्र में लोगों का सामना करना मुश्किल हो रहा है. प्रदेश प्रभारी को लिखित में सभी बिंदुओं से अवगत करा दिया गया है. अब उनकी कोशिश है कि यह मामला राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल तक पहुंचे.
आज यह तय हो जाएगा कि सभी विधायक बेंगलुरु जाएंगे या जयपुर. लेकिन सूत्रों का कहना है कि बेंगलुरु जाने की तैयारी हो रही है. खास बात है कि कांग्रेस विधायकों ने ऐसे समय पर आवाज बुलंद की है जब राज्य में बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. मनी बिल के दौरान वोटिंग की जरूरत होती है, लिहाजा 12 विधायकों की नाराजगी सरकार को बैकफुट पर ला सकती है. अब देखना है कि इसको कांग्रेस आलाकमान कितनी गंभीरता से लेता है.
पहले सभी मंत्रियों को हटाए जाने की थी बात
दरअसल, चंपई मंत्रिमंडल के विस्तार की जब बात शुरू हुई थी तो कांग्रेस कोटे के चार मंत्रियों में से कुछ को बदले जाने की भी चर्चा शुरू हुई थी. बादल पत्रलेख को हटाए जाने की बात तो करीब-करीब तय मानी जा रही थी. लेकिन इसी बीच खेला हो गया. नाराज विधायकों को जब लगा कि उनकी अनदेखी हो रही है तो उन्होंने खुलकर विरोध करना शुरू किया. इसका नतीजा हुआ की 8 फरवरी को कैबिनेट विस्तार का काम टालना पड़ा.
विधायकों ने खुद को कमरे में किया बंद
दूसरी बार 16 फरवरी को कैबिनेट विस्तार की तारीख तय करने के बाद जब विधायकों को लगा की सभी पुराने मंत्रियों को कंटिन्यू कराया जा रहा है तो घमासान शुरू हो गया. सभी विधायक एक कमरे में जमा हो गए. सभी को समझाने के लिए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता आलमगीर आलम को आना पड़ा. मान मनौव्वल के बाद सभी विधायक शपथ ग्रहण समारोह में जरूर शामिल हुए लेकिन उनकी नाराजगी अभी तक खत्म नहीं हुई है.
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