बहरोड. मनुष्य जब कुछ कर गुजरने की सोच लेता है तो फिर आगे बढ़ने में चाहे कितनी ही परेशानियां क्यों ना आए, वह उनको पार करता हुआ अपना लक्ष्य प्राप्त कर ही लेता है. बहरोड के रहने वाले बस्ती राम यादव ऐसे ही व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने प्यासों को पानी पिलाना ही अपने जीवन का लक्ष्य मान लिया है. बस्तीराम की मानव सेवा संस्था पिछले 31 सालों से निशुल्क जल सेवा उपलब्ध करा रही है.
इस बारे में बस्तीराम यादव ने बताया कि उनकी जिंदगी में एक ऐसा पल आया कि जिसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव सेवा में लगा दिया. वे पुरानी यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि बात 31 साल पहले की है. गांव में एक चौपाल पर सत्संग का कार्यक्रम चल रहा था. गांव के लोग सत्संग में आए सैकड़ों लोगों को मटकों से पानी पिला रहे थे. बार बार मटके भरकर लाने से पानी की पूर्ति नहीं हो रही थी. यह नजारा देखकर बस्तीराम ने उसी समय ठान लिया कि आगे की जिंदगी मानव सेवा में ही लगानी है. तब से उन्होंने निशुल्क जल सेवा शुरू की, जो आज तक कर रहे हैं.
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उधार का लिया ट्रैक्टर, करने लगे पानी सप्लाई: यादव ने बताया कि साल 1993 में पटवारी की नौकरी छोड़कर उन्होंने प्यासों को पानी पिलाने और समाज में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में टैंकरों से पानी पहुंचाने की ठान ली. उसके बाद उन्होंने मानव सेवा संस्था नाम से एक संस्था बना ली. धीरे धीरे आस पास के इलाकों में होने वाले भंडारे, सत्संग, मेलों में टैंकरों से पानी पहुंचाने लग गए. आज मानव सेवा संस्था के पास करीब एक दर्जन टैंकर हैं, जो बहरोड क्षेत्र में जगह जगह पर लगने वाली प्याउ और वाटर कूलरों में पानी सप्लाई करते हैं. जहां कहीं से भी उनके पास फोन आता है या फिर सूचना लग जाती है तो वे अपनी निजी आय से पानी का टैंकर पहुंचाया जाते हैं.
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पहले जुड़े सैकड़ों लोग, लेकिन अब तीन चार लोग ही: यादव ने बताया कि जब उन्होंने जल सेवा का कार्य शुरू किया था, तब इस संस्था के साथ सैकड़ों लोग जुड़ गए थे. वे अपनी निजी आय से पानी के टैंकर भिजवाने के सहयोग करते थे, लेकिन अब सिर्फ तीन चार लोग ही बचे हैं. हमारी संस्था बिना शुल्क लिए जल सेवा करती हैं, यदि कोई हमें दान स्वरूप रुपए भी देता है तो हम लोग उसे वहीं खर्च कर देते हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि अब उम्र का तकाजा हो गया है, लेकिन जब तक जीवन है तब तक पीछे नहीं हटूंगा और निरंतर सेवा करता रहूंगा.