सरगुजा: अंबिकापुर नगर निगम ने निर्माण कार्यों से निकलने वाले मलबा को दौबारा उपयोंग में लाने का तरीका खोज निकाला है. अंबिकापुर नगर निगम शहर में चल कचरा प्रबंधन के तहत मलबे का संधारण कर रहा है. निगम द्वारा लगाए गए सीएंडडी वेस्ट प्लांट में मलबे को तोड़कर उससे गिट्टी, लोहे और अन्य सामग्रियों को अलग किया जा रहा है. मलबे की प्रोसेसिंग के बाद निकलने वाली गिट्टी और मेटल को बेचकर स्वच्छता दीदियां कमाई कर रही हैं. वहीं स्टोन डस्ट से पेवर ब्लॉक बनाने की तैयारी भी की जा रही है.
निर्माण कार्यों से निकला मलबा बना सिरदर्द: शहर में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य होते है. शासकीय और निजी भवनों के निर्माण कार्य, भवनों को डिस्मेंटल करने के दौरान मलबा निकलता है. अब तक इस मलबा को नगर निगम द्वारा उठाकर खाली पड़ी जमीनों पर डंप कर दिया जाता था. सीएंडडी वेस्ट को ट्रकों के जरिए गड्ढो में भरने का काम किया जाता था. इस कार्य में नगर निगम के वाहन लगते थे, जिससे निगम को आमदनी के बजाए पेट्रोल डीजल का खर्च उठाना पड़ता था.
स्वच्छता अभियान के तहत बनाई योजना: अंबिकापुर नगर निगम द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. इसी के अंतर्गत सीएंडडी के संधारण की योजना बनाई गई है. नगर निगम द्वारा एक साल पहले शहर के पुराना बस स्टैंड स्थित निगम के डीपो में सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की स्थापना की गई है.
ऐसे मलबे केो किया जाता है संधारण: स्थापित की गई मशीन के जरिए शहर में निकलने वाले मलबे को निगम द्वारा एकत्रित कर प्लांट में लाया जाता है. जहां स्वच्छता दीदियां इस मलबे को मशीन में डालकर उसे टुकड़ों में बांट देती है. मशीन के जरिए मलबे से गिट्टी और लोहा अलग कर लिया जाता है. मलबे में निर्माण सामग्री के साथ ही प्लास्टिक, लकड़ी समेत अन्य कचरा भी होता है. दीदियां संधारण के दौरान मलबे से लकड़ी, प्लास्टिक समेत अन्य कचरे को भी अलग कर लेती है और बाद में इनकी बिक्री कर दी जाती है. इस कार्य के माध्यम से स्वच्छता दीदियों की आय में वृद्धि हुई है.
शहर से प्रतिदिन डेढ़ से दो टन मलबा निकलता है. इस मलबे को प्लांट में लाया जाता है. प्लांट में लगभग 20 लाख रुपए की लागत से पेवर मशीन, क्रशिंग मशीन, दो कन्वेयर सहित अन्य मशीनें लगाई गई हैं. इन मशीनों के जरिए मलबे को तुकड़ों में बांटकर कन्वेयर के माध्यम से क्रशिंग मशीन में भेजा जाता है, जहां बड़े बड़े टुकड़े टूटकर छोटी गिट्टी के रूप में परिवर्तित हो जाते है. इन गिट्टियों को जाली के जरिए छानकर मशीन से अलग कर दिया जाता है. इससे निकलने वाला स्टोन डस्ट, प्लास्टिक, लकड़ी सभी अलग हो जाते हैं. - रितेश सैनी, नोडल अधिकारी, अंबिकापुर नगर निगम
मलबे को प्रोसेसिंग कर करते हैं उपयोग: अब तक शहर से निकलने वाले मलबा का उपयोग सिर्फ गड्ढों को भरने में ही किया जाता था. इस नए मशीन के उपयोग से मलबे को प्रोसेसिंग कर कंक्रीट, गिट्टी और अन्य निर्माण सामग्रियों को अलग किया जाता है. प्रोसेसिंग के बाद निकलने वाली गिट्टी और निर्माण सामग्रियों का उपयोग फिर से निर्माण कार्यों में किया जा सकता है. इस निर्माण सामग्री से बड़े निर्माण कार्य तो नहीं, लेकिन नालियों के स्लैब, नालियों के बेस और अन्य बेस तैयार करने का काम किया जा सकता है.
स्टोन डस्ट से पेवर ब्लॉक बनाने की भी तैयारी: सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की स्थापना के बाद स्वच्छता दीदियां 3 हजार रुपए प्रति ट्रिप प्रोसेस किए गए मलबे को बेच रही हैं. इससे उन्हें एक हजार रुपए तक की बचत हो रही है. साथ ही उनकी आय में वृद्धि भी हो रही है. सीएंडडी प्लांट में पेवर ब्लॉक बनाने की यूनिट भी मौजूद है. मलबे की प्रोसेसिंग करने के दौरान क्रशिंग से बड़े पैमाने पर स्टोन डस्ट निकलता है. इस स्टोन डस्ट का उपयोग भविष्य में पेवर ब्लॉक बनाने में किया जाएगा.