सरगुजा : ऐसे में अंबिकापुर नगर सरकार में समीकरणों पर एक नजर डालते हैं. अंबिकापुर नगर निगम निर्माण से अब तक यहां जातिगत समीकरण हावी रहे हैं. मेयर के पद पर हमेशा ही यहां इसाई समाज के लोगों का ही कब्जा रहा है. पहले बीजेपी के प्रबोध मिंज यहां दो बार मेयर रहे. उनके बाद यहां कांग्रेस के डॉ अजय तिर्की मेयर बने वो भी लगातार दो पंचवर्षीय से मेयर हैं. बड़ी बात ये है कि ये दोनों ही प्रत्याशी ईसाई समाज से हैं. अंबिकापुर शहर में ईसाई आदिवासी समाज के लोगों की संख्या अधिक है लेकिन यहां ओबीसी आबादी भी काफी अधिक है. चुनाव में इन दोनों में से जिस जाति के मतदाता एक मत होकर मतदान करते हैं. उस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित हो जाती है.
कैसी है शहर की तस्वीर : अंबिकापुर शहर के 5 वार्ड मुस्लिम बाहुल्य है. इन 5 वार्डों के अलावा आसपास के करीब 4 वार्डों में कांग्रेस नेता शफी अहमद का प्रभाव है. इन क्षेत्रों में उनके समर्थन वाले पार्षद प्रत्याशी लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. बीते निकाय चुनाव में अंबिकापुर नगर निगम में 48 वार्ड में से 27 पर कांग्रेस को जीत मिली थी. जबकि 20 में बीजेपी और एक में निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस के अजय तिर्की को महापौर चुना गया था. उन्होंने बीजेपी के प्रबोध मिंज को 9 वोटों से हराया था. डॉ. अजय तिर्की को 28, जबकि प्रबोध मिंज को 19 वोट मिले थे. एक वोट रिजेक्ट हो गया था.
निगम में कितने मतदाता ?: नगर निगम क्षेत्र के 48 वार्डों में 1 लाख 13 हजार 766 मतदाता दर्ज थे. तो वहीं नगर पंचायत लखनपुर 14 वार्ड में 4 हजार 594 तथा नगर पंचायत सीतापुर 15 वार्ड में 6 हजार 276 मतदाता थे. नगरीय निकाय चुनाव में तीनों निकायों में 167 मतदान केन्द्रों बनाए गए थे. इनमे 668 मतदान कर्मी मतदान संपन्न करने के लिए तैनात किए गए थे. नगरीय निकाय चुनाव के लिए नगर निगम अंबिकापुर के 48 वार्डों में 137 पोलिंग बूथ बनाए गए थे. जिनमें 5 सहायक मतदान केंद्र थे. जबकि लखनपुर और सीतापुर नगर पंचायत के 15-15 वार्डों के लिए 15-15 मतदान केंद्र बनाए गए थे.
पिछले नगरीय निकाय चुनाव में अंबिकापुर नगर निगम के 48 वार्डों के लिए 137 मतदान केन्द्रों में 1 लाख 13 हजार 766 मतदाता दर्ज थे. जिनमें 56 हजार 661 पुरूष, 57 हजार 109 महिला एवं अन्य 6 शामिल थे. इसी प्रकार नगर पंचायत लखनपुर के 14 वार्ड के पार्षद प्रत्याशियों के लिए 4 हजार 594 तथा नगर पंचायत सीतापुर के लिए 15 वार्ड के पार्षद प्रत्याशियों के लिए 6 हजार 276 वैध मतदाता थे.
चुनाव में नगर पंचायत लखनपुर में होने वाले चुनाव में वार्ड क्रमांक 7 में चुनाव नहीं हुआ था. यहां नामांकन प्रक्रिया के दौरान बीजेपी के प्रत्याशी ने अंतिम समय में नाम वापस ले लिया था.जिसके बाद कांग्रेस की प्रभादेवी को निर्विरोध निर्वाचित किया गया था. ऐसे में लखनपुर में 15 में से सिर्फ 14 वार्डों में मतदान हुए थे. नगर निगम अंबिकापुर के लिए 48 वार्डों में होने वाले मतदान के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के 48-48 प्रत्याशियों के साथ ही जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के 9, आप पार्टी के 2 प्रत्याशी भी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे थे.अंबिकापुर नगर निगम में बीजेपी कांग्रेस के अलावा एक निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी. आप और जनता कांग्रेस जे को एक भी सीट हाथ नहीं लगी थी.
अबकी बार किसकी नगर सरकार : एक बार फिर निकाय चुनाव होने हैं, नगर निगम अम्बिकापुर के मेयर के लिए 3 बार प्रत्यक्ष, 1 बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से निर्वाचन हो चुका है. प्रदेश की पिछली सरकार ने मेयर के निर्वाचन की प्रणाली बदल दी थी. जिसके बाद जनता सीधे मेयर को वोट नहीं की थी. मतदाताओं ने पार्षद चुने थे और पार्षदों ने मेयर का चुनाव किया था. अब देखना यह होगा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार इसे नियम को ही आगे बढ़ाती है. फिर पहले की तरह जनता को अपना मेयर खुद चुनने का अधिकार मिलेगा. क्योंकि जातिगत समीकरण चुनाव में तभी प्रभावी होंगे. जब सीधे मतदाता मेयर को मतदान करेंगे. वरना पार्षदों के चयन के बाद मेयर के चयन की प्रक्रिया में सामाजिक और जातिगत समीकरण का रोल ना के बराबर ही बचता है.
कांग्रेस और बीजेपी में कौन दावेदार : अंबिकापुर में कांग्रेस के पास अजेय चेहरा है. अजय तिर्की के रूप में तो वही बीजेपी के पास भी नगर निगम में प्रबोध मिंज जैसा अनुभवी नाम था. लेकिन अब प्रबोध मिंज जिले की लुंड्रा सीट से विधायक है. जाहिर है कि वो अब मेयर या पार्षद का चुनाव लड़ने में रुचि नहीं रखेंगे. ऐसे में बीजेपी के सामने प्रत्याशी चयन भी एक बड़ा विषय है. माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से इस बार भी अजय तिर्की ही लीड करेंगे. अजय तिर्की एक सौम्य सरल व्यक्ति हैं. पेशे से डाक्टर हैं, सरकारी डॉक्टर रहते उन्होंने लोगों की खूब सेवा की है. शहर की बड़ी आबादी वाली जाति ईसाई समाज से भी आते हैं. लेकिन प्रबोध मिंज के बाद बीजेपी के पास कोई इस तरह का चेहरा नहीं दिखता है. इसलिए कयास लगाये जा रहे हैं कि बीजेपी किसी युवा और हिंदुत्व की सियासत में आगे रहने वाले चेहरे को मैदान में उतार सकती है.