सरगुजा: पर्यावरण के संरक्षण के लिए अंबिकापुर नगर निगम स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगातार नवाचार करता रहता है. अब एक और बड़ा प्रयास छत्तीसगढ़ सरकार करने जा रही है. अंबिकापुर समेत धमतरी और रायगढ़ में भी ये नवाचार देखने को मिलेगा. इस योजना से पर्यावरण को मीथेन गैस के खतरे से बचाया जा सकेगा. शहर से निकलने वाले गीले कचरे से गैस और कम्पोस्ट का निर्माण कर ना सिर्फ लाभ कमाया जाएगा बल्कि अभी तक गीले कचरे के प्रबंधन से होने वाले पर्यावरणीय नुक्सान को भी कम किया सकेगा.
कंप्रेस्ड बायो गैस संयत्र की स्थापना जल्द: अंबिकापुर नगर निगम के कमिश्नर डीएन कश्यप बताते हैं कि भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय की ये योजना है. अंबिकापुर नगर निगम ने इस काम के लिए भूमि के आबंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जल्द ही पेट्रोलियम कंपनी गेल इंडिया और नगर निगम के बीच अनुबंध होगा और फिर एक अत्याधुनिक कंप्रेस्ड बायो गैस संयत्र यहां स्थापित किया जाएगा.
तीन शहरों में लगेगा कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट: स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी रितेश सैनी बताते हैं कि गेल इंडिया के द्वारा छत्तीसगढ़ में कंप्रेस्ड बायो गैस संयत्र स्थापित किया जा रहा है. ये छत्तीसगढ़ के तीन शहरों में लगना है. धमतरी, रायगढ़ और अंबिकापुर में, जो प्लांट की क्षमता है वो प्रति दिन 150 टन है. हर रोज शहर से गीला कचरा निकलता है उसे बायो गैस संयंत्र भेजा जाएगा. शेष कचरा ये लोग कृषि विभाग से पैडी वेस्ट का संग्रहण करेंगे. इन दोनों का उपयोग कर वो बायोगैस बनायेंगे जो गैस बनेगी उसका उपयोग पेट्रोलियम एजेंसी गेल इंडिया की तरफ से करेगी. नगर निगम को भूमि चिन्हाकन करके उनको देना था वो जमीन बिलासपुर रोड में दी गई है.
गीला कचरा का प्रबंधन नहीं आसान: रितेश सैनी कहते हैं जिस तरह अंबिकापुर और आसपास का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है. इससे गीले कचरे की मात्रा बढ़ती जा रही है. पहले जब हम लोग शुरुआत किये थे तो करीब 25 टन गीला कचरा आता था, आज 35 टन आ रहा है और ये धीरे धीरे बढ़ता ही जाएगा. गीले कचरे का प्रबंधन करना बेहद कठिन होता है. इसको पिट में डालना पड़ता है. बार बार उसको पलटना पड़ता है. मैन पावर भी लगता है और कम्पोस्ट तैयार होने में समय भी लगता है. इतना मेहनत करने के बाद हमको कम्पोस्ट मिलता है. इस प्रक्रिया के तहत हम उनको 35 टन कचरा देंगे और वो उससे बायो गैस बनायेंगे. इससे गीले कचरे का प्रबंधन आसानी से हो सकेगा. इस गैस का विक्रय पेट्रोलियम एजेंसी खुद गाड़ियों में गैस के लिए करेगी.
गैस के साथ साथ इसमें कम्पोस्ट का भी निर्माण होगा जो हमको खेती में काम आयेगा, जब कभी भी हम गीले कचरे का संग्रहण खुले में करते हैं तो उसमें से मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है और मीथेन पर्यावरण के लिए हानिकारक है. कम्प्रेस बायो गैस प्लांट मीथेन को ही कन्वर्ट करके गैस का निर्माण करेगा जो जलने के बाद कार्बन डाई आक्साइड गैस उत्सर्जित करेगी जो एक प्रकार से कार्बन क्रेडिट भी होगा और पर्यावरण के लिए फ्रेंडली होगा, गीले कचरे का सबसे बेहतर प्रबंधन बायो मीथेनेशन ही होता है: रितेश सैनी, नोडल एसबीएम
मीथेन गैस से पर्यावरण की रक्षा: मौसम विज्ञानी एएम भट्ट बताते है कि घरों से निकलने वाला गीला कचरा या अवशिष्ट जो हम घर से फेंकते हैं उसके निदान के समय में ऐसी वस्तुएं बनती हैं जो हमारे कृषि व अन्य कार्य के उपयोग में आती हैं लेकिन उस प्रक्रिया में कार्बन, सल्फर, मीथेन, फास्फोरस की गैसे निकलती हैं. ये पर्यावरण को दूषित करती हैं.
नगर निगम का प्रयास है कि इन गैसों को पर्यावरण में मिलने से रोका जाये और इसका उपयोग कर लिया जाये तो सराहनीय पहल है, इससे हमारा आस पास का वातारण प्रदूषित होने से बचेगा: एएम भट्ट, मौसम विज्ञानी
साल 2014 में अंबिकापुर नगर निगम में अदानी ने सीएसआर मद से एक बायो गैस संयत्र लगाया था. इसकी सफलता के बाद अन्य निकायों में इसका उपयोग किया जाता लेकिन पुरानी टेक्नोलाजी का यह संयत्र असफल रहा. इसमें आय से अधिक खर्चा और मेन पवार की अधिकता के कारण इसे बंद कर दिया गया. लेकिन बदलती तकनीक के कारण अब अत्याधुनिक कंप्रेस्ड बायोगैस संयत्र लगाया जा रहा है.