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अंबेडकर विश्वविद्यालय ने भर्तियों में गड़बड़ी के आरोप साबित होने पर दो प्रोफेसरों की सेवा समाप्त की, 'आइसा' ने किया प्रदर्शन का ऐलान

-दोनों प्रोफेसरों अनियमितताओं के लिए पाया गया जिम्मेदार. -कुछ छात्र संगठनों ने जताया विरोध.

डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली
डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: राजधानी में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय ने गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में नियमों का पालन न करने के मामले में दो प्रोफेसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है. कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रो. सलिल मिश्रा और प्रो. अस्मिता काबरा की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि यह निर्णय उच्च शिक्षा निदेशालय, एनसीटी दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई एक गहन जांच और पूछताछ के बाद लिया गया है, जिसमें अनधिकृत नियुक्तियों सहित कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ था.

विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) ने मामले की जांच के लिए एक जांच समिति का गठन किया, जिसने दोनों प्रोफेसरों को अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार पाया. बाद में सीसीएस (सीसीए) नियम 1965 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई. जांच रिपोर्ट, लिखित अभ्यावेदन और सतर्कता प्रभाग के इनपुट पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट ने दोनों प्रोफेसरों को तुरंत प्रभाव से सेवा से हटाने का निर्णय किया. एक अधिकारी ने बताया कि 2019 में विश्वविद्यालय में 39 गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी.

आइसा ने की प्रदर्शन की घोषणा: इसमें नियमों का उल्लंघन हुआ था और कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया था और मनमाने तरीके से भर्तियां की गईं थीं. मामला सामने आने पर जांच की गई और नियुक्तियां सही नहीं पाईं गईं. इसके बाद 2020 में सभी कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया गया. नियुक्तियां करने वाले सक्षम अधिकारियों के खिलाफ जांच बैठाई गई थी, जिसमें अब फैसला आया है. उधर, विश्वविद्यालय के फैसले के विरोध में कुछ छात्र संगठन उतर आए हैं. इस निर्णय के विरोध में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने 11 नवंबर को विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन की घोषणा की है.

नई दिल्ली: राजधानी में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय ने गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में नियमों का पालन न करने के मामले में दो प्रोफेसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है. कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रो. सलिल मिश्रा और प्रो. अस्मिता काबरा की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि यह निर्णय उच्च शिक्षा निदेशालय, एनसीटी दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई एक गहन जांच और पूछताछ के बाद लिया गया है, जिसमें अनधिकृत नियुक्तियों सहित कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ था.

विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) ने मामले की जांच के लिए एक जांच समिति का गठन किया, जिसने दोनों प्रोफेसरों को अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार पाया. बाद में सीसीएस (सीसीए) नियम 1965 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई. जांच रिपोर्ट, लिखित अभ्यावेदन और सतर्कता प्रभाग के इनपुट पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट ने दोनों प्रोफेसरों को तुरंत प्रभाव से सेवा से हटाने का निर्णय किया. एक अधिकारी ने बताया कि 2019 में विश्वविद्यालय में 39 गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी.

आइसा ने की प्रदर्शन की घोषणा: इसमें नियमों का उल्लंघन हुआ था और कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया था और मनमाने तरीके से भर्तियां की गईं थीं. मामला सामने आने पर जांच की गई और नियुक्तियां सही नहीं पाईं गईं. इसके बाद 2020 में सभी कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया गया. नियुक्तियां करने वाले सक्षम अधिकारियों के खिलाफ जांच बैठाई गई थी, जिसमें अब फैसला आया है. उधर, विश्वविद्यालय के फैसले के विरोध में कुछ छात्र संगठन उतर आए हैं. इस निर्णय के विरोध में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने 11 नवंबर को विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन की घोषणा की है.

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