नई दिल्ली: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का काफी महत्व है. प्रत्येक माह दो एकादशी व्रत आते हैं, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में. इस तरह साल में कुल 24 एकादशी व्रत आते हैं और प्रत्येक एकादशी का अपना खास महत्व होता है. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी या आंवला एकादशी कहा जाता है. इस व्रत में आंवले का पूजन किया जाता है और भगवान विष्णु की अराधना की जाती है. इस बार आमलकी एकादशी 20 मार्च को है.
आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त (auspicious time of Amalaki Ekadashi) : हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 20 मार्च दोपहर 12:21 बजे शुरू होगी. यह तिथि 21 मार्च की सुबह 2:22 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि के आधार पर आमलकी एकादशी का व्रत 20 मार्च, बुधवार को रखा जाएगा. 20 मार्च को रंगभरी एकादशी भी है.
आमलकी एकादशी पूजा विधि: आमलकी एकादशी के दिन स्नान आदि कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें. इसके लिए भगवान विष्णु को पीला फूल, पीला चंदन, भोग लगाने के साथ तुलसी दल चढ़ाएं. इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर एकादशी व्रत कथा का पाठ करें. अंत में विधिवत आरती कर लें भूल चूक के लिए माफी मांग लें. दिनभर व्रत रखने के बाद दूसरे दिन मुहूर्त में पारण कर लें.
![आमलकी एकादशी पूजा विधि](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-03-2024/20965854_aa.jpg)
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आवले के पेड़ की पूजा: आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. श्रीहरि को प्रसाद के रूप में आंवला अर्पित किया जाता है. आंवले को देव वृक्ष भी कहा जाता है, क्योंकि इसके अंदर सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है. मान्यता है कि आमलकी एकादशी का व्रत रखते हैं और आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं, उनके सभी पाप और कष्ट मिट जाते हैं. उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
व्रत पारण का समय: आमलकी एकादशी का व्रत 21 मार्च गुरुवार को खोला जाएगा. उस दिन पारण का समय दोपहर 01:07 से शाम 03:32 तक है. इस दौरान आप पारण कर व्रत पूरा कर सकते हैं.