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1979 में फ्लैट के लिए किया था आवंटन, हाईकोर्ट ने पुराने रेट पर फ्लैट देने का दिया आदेश - पुराने रेट पर फ्लैट देने का आदेश

Delhi High Court: बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए डीडीए का पुराने रेट पर ही फ्लैट उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. जानें पूरा मामला...

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 28, 2024, 8:31 PM IST

नई दिल्लीः 1979 में एक व्यक्ति ने डीडीए से एलआईजी फ्लैट की बुकिंग की थी, लेकिन उसे फ्लैट का आवंटन नहीं दिया गया. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए को निर्देश दिया कि वो चार हफ्ते के अंदर याचिकाकर्ता को पुराने रेट पर ही फ्लैट का आवंटन करे. बुधवार को जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने ये आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में रहनेवाले अधिकांश लोगों का एक ही सपना होता है कि उसका अपना मकान हो. किसी मध्यम या निम्न आय वर्ग के व्यक्ति के लिए ये आसान नहीं है कि उसे एक घर हो. डीडीए समय-समय पर लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए स्कीम लेकर आती है. याचिकाकर्ता ईश्वर चंद जैन ने 3 अक्टूबर 1979 को न्यू पैटर्न रजिस्ट्रेशन (एनपीआर) के तहत एलआईजी फ्लैट के लिए डीडीए के यहां आवेदन किया था.

एनपीआर का मतलब होता है कि आवेदक का खुद का या उसके पति-पत्नी या बच्चे के नाम से दिल्ली में कोई मकान नहीं हो. डीडीए ने 8 जुलाई 1980 को याचिकाकर्ता को रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया. उसे ड्रॉ के जरिए रोहिणी में फ्लैट के आवंटन कर दिया गया. इस दौरान याचिकाकर्ता का ठिकाना बदलता रहा और वो डीडीए को अपने नये ठिकाने के बारे में सूचित करता रहा.

यह भी पढ़ेंः भाजपा और कांग्रेस की हॉट सीट रही है पूर्वी दिल्ली, इस बार कांग्रेस नहीं उतार रही उम्मीदवार

7 अक्टूबर 2013 को जब वो अपना पता बदलने की सूचना लेकर डीडीए के यहां पहुंचा तो फ्लैट के आवंटन की मांग की. डीडीए के तत्कालीन डायरेक्टर ने याचिकाकर्ता की फाइल मंगवाई तो पता चला कि फाइल नहीं मिल रही है. बाद में डीडीए का संबंधित स्टाफ रजिस्टर लेकर आया, जिससे पता चला कि याचिकाकर्ता को रोहिणी सेक्टर 22 में फ्लैट का आवंटन किया गया था.

हाईकोर्ट ने डीडीए की इस दलील को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता अपना पता बदलता रहा और उसकी फाइल नहीं मिल रही है. बता दें, याचिकाकर्ता ने इस मामले में हाईकोर्ट में 2014 में याचिका दायर की थी, जिसका फैसला अब आया है.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली में बीजेपी की महिला कार्यकर्ता की हत्या, निजी स्कूल के कार्यालय में मिला शव

नई दिल्लीः 1979 में एक व्यक्ति ने डीडीए से एलआईजी फ्लैट की बुकिंग की थी, लेकिन उसे फ्लैट का आवंटन नहीं दिया गया. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए को निर्देश दिया कि वो चार हफ्ते के अंदर याचिकाकर्ता को पुराने रेट पर ही फ्लैट का आवंटन करे. बुधवार को जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने ये आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में रहनेवाले अधिकांश लोगों का एक ही सपना होता है कि उसका अपना मकान हो. किसी मध्यम या निम्न आय वर्ग के व्यक्ति के लिए ये आसान नहीं है कि उसे एक घर हो. डीडीए समय-समय पर लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए स्कीम लेकर आती है. याचिकाकर्ता ईश्वर चंद जैन ने 3 अक्टूबर 1979 को न्यू पैटर्न रजिस्ट्रेशन (एनपीआर) के तहत एलआईजी फ्लैट के लिए डीडीए के यहां आवेदन किया था.

एनपीआर का मतलब होता है कि आवेदक का खुद का या उसके पति-पत्नी या बच्चे के नाम से दिल्ली में कोई मकान नहीं हो. डीडीए ने 8 जुलाई 1980 को याचिकाकर्ता को रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया. उसे ड्रॉ के जरिए रोहिणी में फ्लैट के आवंटन कर दिया गया. इस दौरान याचिकाकर्ता का ठिकाना बदलता रहा और वो डीडीए को अपने नये ठिकाने के बारे में सूचित करता रहा.

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7 अक्टूबर 2013 को जब वो अपना पता बदलने की सूचना लेकर डीडीए के यहां पहुंचा तो फ्लैट के आवंटन की मांग की. डीडीए के तत्कालीन डायरेक्टर ने याचिकाकर्ता की फाइल मंगवाई तो पता चला कि फाइल नहीं मिल रही है. बाद में डीडीए का संबंधित स्टाफ रजिस्टर लेकर आया, जिससे पता चला कि याचिकाकर्ता को रोहिणी सेक्टर 22 में फ्लैट का आवंटन किया गया था.

हाईकोर्ट ने डीडीए की इस दलील को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता अपना पता बदलता रहा और उसकी फाइल नहीं मिल रही है. बता दें, याचिकाकर्ता ने इस मामले में हाईकोर्ट में 2014 में याचिका दायर की थी, जिसका फैसला अब आया है.

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