बलरामपुर : यदि आप बलरामपुर जिले के निवासी हैं और आपको गलती से भी मेडिकल बोर्ड का प्रमाण पत्र की आवश्यकता है तो समझिए आप माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाले हैं. शायद आपके लिए माउंट एवरेस्ट चढ़ाई आसान भी हो जाएं, लेकिन जिला मेडिकल बोर्ड का प्रमाण पत्र हासिल करना कतई आसान नहीं है.क्योंकि यहां आने वाले जरुरतमंदों को अपने साथ एक नहीं दो चप्पल रखनी पड़ती है.क्योंकि एक चप्पल तो कमरे के चक्कर काटते-काटते घिस जाते हैं.और दूसरी इसलिए क्योंकि जब नंबर आता है तो कभी ब्लड टेस्ट तो कभी किसी और चीज का बहाना बनाकर काम लटका दिया जाता है. कुछ अभ्यर्थियों का तो ये भी दावा है कि ओव्हरटाइम का बहाना बनाकर पैसों की डिमांड भी लोगों से हो रही है.
क्या है आरोप ?: बलरामपुर जिला अस्पताल में आयोजित मेडिकल बोर्ड में अपने बच्चे के एडमिशन के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचे अंकेश दुबे ने भी गंभीर आरोप लगाए हैं. अंकेश के मुताबिक वो अपने बच्चे का प्रयास स्कूल में चयन होने के बाद मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने आए हैं. लेकिन यहां बहुत परेशानी हो रही है. जांच के लिए दो बजे तक ही टाइम देते हैं. हम आवेदन लेकर घूम रहे हैं. लेकिन आवेदन कोई लेता नहीं है.
'' दो बजे तक टाइम खत्म होने के बाद आवेदन नहीं लेते हैं. हम लोग पीछे-पीछे घूम रहे हैं हमसे पैसे की डिमांड कर रहे हैं कि ओवरटाइम हो गया है. दो बजे के बाद हम नहीं करेंगे. जो जांच कर रहे थे उन्होंने पैसा लिया. मैं नाम नहीं जानता. मेरे अलावा भी अन्य लोगों से पैसा लिया गया. दो सौ तीन सौ रूपए तक लिया जा रहा है. ब्लड जांच के लिए कर्मियों का कहना है कि दो बजे के बाद आपका काम कराना है तो इसका पैसा लगेगा.'' अंकेश दुबे, शिकायतकर्ता
सिविल सर्जन ने कहा, जांच करके देखेंगे : इस मामले में बलरामपुर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ आरबी प्रजापति का कहना है कि मेडिकल बोर्ड के मेंबर सदस्यों के चेंबर में जांच के लिए जाना पड़ता है. वहां चेकअप कराना होता है. चेकअप के बाद फॉर्म जमा करेंगे. जिसके बाद एक साथ कंपाइल होकर सिविल सर्जन के हस्ताक्षर के लिए आता है.
''यदि मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए किसी ने पैसे का डिमांड किया है तो जांच करके देखेंगे. कोई लिप्त पाया जाता है तो उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करेंगे.''- डॉ.आरबी प्रजापति, सिविल सर्जन
हफ्ते में एक दिन होती है बैठक : आपको बता दें कि बलरामपुर जिला अस्पताल में सप्ताह में एक दिन मेडिकल बोर्ड की बैठक होती है. जिसमें मेडिकल परीक्षण एवं अन्य मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं. मेडिकल बोर्ड डॉक्टरों के जांच परीक्षण के बाद ही सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर किया जाता है.फिर सिविल सर्जन के हस्ताक्षर के बाद लोगों को प्रमाण-पत्र जारी किए जाते हैं. लेकिन जिला अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचे लोगों को इन दिनों परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां समय खत्म होने के बाद ब्लड टेस्ट करने और फिर रिपोर्ट जारी करने के लिए पैसों की डिमांड की गई है.