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यूपी में सड़क-फुटपाथों के अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट सख्त, नगर निगम से पूछा- क्या कदम उठाए - Allahabad High Court Encroachment

उत्तर प्रदेश में सड़क-फुटपाथों के अतिक्रमण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर निगम से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने नगर निगम से पूछा है कि अतिक्रमण हटाने के लिए क्या कदम उठाए गये.

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यूपी में अतिक्रमण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 31, 2024, 7:37 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज नगर निगम के अधिकारियों से पूछा है कि पब्लिक रोड, फुटपाथ आदि से अतिक्रमण हटाने को लेकर उसने क्या कदम उठाए हैं. कोर्ट ने नगर निगम से यह भी जानना चाहा कि सड़कों, फुटपाथों आदि से अतिक्रमण हटाने को लेकर 14 दिसंबर 2012 को जारी शासनादेश का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. राजेंद्र प्रसाद मिश्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने शनिवार को दिया.

याची जो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का अधिवक्ता हैं, का मकान दारागंज क्षेत्र के अलोपीबाग में जीटी रोड पर स्थित है. याची का कहना है कि उनके मकान और आसपास के सारे फुटपाथ और सड़क पर ठेले, खोमचे की और गुमटी वालों ने अतिक्रमण कर लिया है. तमाम कोशिशों के बावजूद वह अतिक्रमण हटाने को तैयार नहीं है. याची ने इसकी शिकायत नगर निगम से की थी. मगर नगर निगम ने भी कोई कदम नहीं उठाया. याची ने आइजीआरएस पोर्टल पर भी अतिक्रमण की शिकायत की. फिर भी नगर निगम प्रयागराज अपने वैधानिक दायित्व का पालन करने में असफल रहा.

याची का पक्ष का रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा का कहना था कि प्रदेश सरकार ने 14 दिसंबर 2012 को शासनादेश जारी कर सभी सड़कों और फुटपाथों से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. नगर निगम इस शासनादेश का पालन नहीं कर रहा है. कोर्ट ने इस मामले में कोई आदेश देने से पूर्व नगर निगम प्रयागराज से जानकारी मांगी है कि उसने इस शासनादेश के पालन को लेकर के क्या कदम उठाए हैं. अदालत ने नगर निगम को 5 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

ये भी पढ़ें- नमामि गंगे प्रोजेक्ट में यूपी को मिली 73.39 करोड़ की लागत वाली पांच परियोजनाओं की मंजूरी - Namami Gange Projects in UP

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज नगर निगम के अधिकारियों से पूछा है कि पब्लिक रोड, फुटपाथ आदि से अतिक्रमण हटाने को लेकर उसने क्या कदम उठाए हैं. कोर्ट ने नगर निगम से यह भी जानना चाहा कि सड़कों, फुटपाथों आदि से अतिक्रमण हटाने को लेकर 14 दिसंबर 2012 को जारी शासनादेश का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. राजेंद्र प्रसाद मिश्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने शनिवार को दिया.

याची जो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का अधिवक्ता हैं, का मकान दारागंज क्षेत्र के अलोपीबाग में जीटी रोड पर स्थित है. याची का कहना है कि उनके मकान और आसपास के सारे फुटपाथ और सड़क पर ठेले, खोमचे की और गुमटी वालों ने अतिक्रमण कर लिया है. तमाम कोशिशों के बावजूद वह अतिक्रमण हटाने को तैयार नहीं है. याची ने इसकी शिकायत नगर निगम से की थी. मगर नगर निगम ने भी कोई कदम नहीं उठाया. याची ने आइजीआरएस पोर्टल पर भी अतिक्रमण की शिकायत की. फिर भी नगर निगम प्रयागराज अपने वैधानिक दायित्व का पालन करने में असफल रहा.

याची का पक्ष का रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा का कहना था कि प्रदेश सरकार ने 14 दिसंबर 2012 को शासनादेश जारी कर सभी सड़कों और फुटपाथों से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. नगर निगम इस शासनादेश का पालन नहीं कर रहा है. कोर्ट ने इस मामले में कोई आदेश देने से पूर्व नगर निगम प्रयागराज से जानकारी मांगी है कि उसने इस शासनादेश के पालन को लेकर के क्या कदम उठाए हैं. अदालत ने नगर निगम को 5 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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