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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा-पत्नी के नाम से खरीदी गई संपत्ति मानी जाएगी पारिवारिक - हाईकोर्ट पारिवारि संपत्ति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंदू पति द्वारा पत्नी के नाम से खरीदी गई संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 22, 2024, 9:11 PM IST

Updated : Feb 22, 2024, 10:12 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंदू पति द्वारा पत्नी के नाम से खरीदी गई संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी. कोर्ट ने कहा कि पत्नी जो कि गृहणी है और जिसकी अपनी कोई स्वतंत्र आमदनी नहीं है, उसके नाम पर खरीदी गई संपत्ति परिवार की संपत्ति होगी. हिंदू परिवारों में बड़ा सामान्य चलन है कि पति अपनी पत्नी के नाम से संपत्ति खरीदते हैं. बेटे की ओर से मृतक पिता की संपत्ति में हिस्सेदार घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने दिया.

कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत कोर्ट यह मानकर चलती है कि गृहणी पत्नी, जिसकी अपनी कोई आमदनी नहीं है, के नाम से पति ने संपत्ति खरीदी होगी और वह परिवार की संपत्ति है. कोर्ट ने कहा कि जब तक यह साबित न कर दिया जाए कि संपत्ति पत्नी की आमदनी से खरीदी गई है, उसे पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा.

पुत्र ने सिविल सूट दाखिल कर अपने पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति में एक चौथाई का हिस्सेदार घोषित करने की मांग की थी. कहा गया कि संपत्ति पिता द्वारा खरीदी गई है, इसलिए वह भी अपनी मां के साथ इसमें हिस्सेदार है. बेटे ने संपत्ति तीसरे पक्ष को स्थानांतरित करने पर रोक लगाने की मांग की थी. पत्नी का कहना था कि यह संपत्ति उसके पति ने उसे उपहार में दी है, उसके पास अपनी कोई आमदनी नहीं थी. इस आधार पर ट्रायल कोर्ट ने बेटे द्वारा अंतरिम रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंदू पति द्वारा पत्नी के नाम से खरीदी गई संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी. कोर्ट ने कहा कि पत्नी जो कि गृहणी है और जिसकी अपनी कोई स्वतंत्र आमदनी नहीं है, उसके नाम पर खरीदी गई संपत्ति परिवार की संपत्ति होगी. हिंदू परिवारों में बड़ा सामान्य चलन है कि पति अपनी पत्नी के नाम से संपत्ति खरीदते हैं. बेटे की ओर से मृतक पिता की संपत्ति में हिस्सेदार घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने दिया.

कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत कोर्ट यह मानकर चलती है कि गृहणी पत्नी, जिसकी अपनी कोई आमदनी नहीं है, के नाम से पति ने संपत्ति खरीदी होगी और वह परिवार की संपत्ति है. कोर्ट ने कहा कि जब तक यह साबित न कर दिया जाए कि संपत्ति पत्नी की आमदनी से खरीदी गई है, उसे पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा.

पुत्र ने सिविल सूट दाखिल कर अपने पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति में एक चौथाई का हिस्सेदार घोषित करने की मांग की थी. कहा गया कि संपत्ति पिता द्वारा खरीदी गई है, इसलिए वह भी अपनी मां के साथ इसमें हिस्सेदार है. बेटे ने संपत्ति तीसरे पक्ष को स्थानांतरित करने पर रोक लगाने की मांग की थी. पत्नी का कहना था कि यह संपत्ति उसके पति ने उसे उपहार में दी है, उसके पास अपनी कोई आमदनी नहीं थी. इस आधार पर ट्रायल कोर्ट ने बेटे द्वारा अंतरिम रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

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Last Updated : Feb 22, 2024, 10:12 PM IST
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