ETV Bharat / state

हाईकोर्ट ने कहा, सहमति वापस लेने के बाद दी गई तलाक की डिक्री मान्य नहीं - Allahabad High Court - ALLAHABAD HIGH COURT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पूर्व में तलाक के लिए (Allahabad High Court) सहमति देने के बाद इसे वापस ले लिया गया हो तो पूर्व में दी गई सहमति के आधार पर तलाक की डिक्री मंजूर नहीं की जा सकती है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo credit: ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2024, 10:48 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सहमति से तलाक की डिक्री तभी दी जा सकती है, जब डिक्री पास करते समय यह सहमति जारी रहे. यदि पूर्व में तलाक के लिए सहमति देने के बाद इसे वापस ले लिया गया हो तो पूर्व में दी गई सहमति के आधार पर तलाक की डिक्री मंजूर नहीं की जा सकती है. इस आदेश के साथ न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने निचली अदालत द्वारा लगभग 14 वर्ष पूर्व दी गई तलाक की डिक्री को रद्द कर दिया है.

अधीनस्थ न्यायालय से नए सिरे से इस मामले में सुनवाई करने का निर्देश दिया है. बुलंदशहर की महिला की अपील पर कोर्ट ने यह आदेश उनके अधिवक्ता महेश शर्मा को सुनने के बाद पारित किया. अपीलार्थी का विवाह विपक्षी पुष्पेंद्र के साथ हुआ था. पुष्पेंद्र ने 2008 में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक की याचिका यह आरोप लगाते हुए दाखिल की कि उनकी पत्नी संतान उत्पन्न करने में अक्षम है. शुरुआती बयान में अपीलार्थी ने भी इस पर अपनी सहमति दे दी, लेकिन जून 2010 में अपने लिखित बयान में उसने यह सहमति वापस ले ली और यह दावा किया कि उसने दो बच्चों को जन्म दिया है. अपर जिला जज बुलंदशहर ने याची के दूसरे बयान को नजर अंदाज करते हुए पहले बयान के आधार पर सहमति से तलाक की डिक्री मंजूर कर ली. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

अपीलार्थी के अधिवक्ता का कहना था कि अधीनस्थ न्यायालय ने सहमति वापस लिए जाने को नजर अंदाज करके गलती की है. तलाक की डिक्री को निस्तारित करने में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. अपीलार्थी को अपनी बात रखने का पूरा अवसर नहीं दिया गया. हाईकोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि अधीनस्थ न्यायालय ने कई प्रक्रियागत गलतियां की हैं. उन्होंने बदली हुई परिस्थितियों को नजरअंदाज किया. कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय ने सेना अधिकारियों के बीच दोनों पक्षों में बनी सहमति और दूसरे बच्चे के जन्म की बात को भी नजर अंदाज किया. कोर्ट ने कहा कि एक हिंदू विवाह को सिर्फ पूर्व में दी गई सहमति जिसे कि बाद में वापस ले लिया गया हो के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सहमति से तलाक की डिक्री तभी दी जा सकती है, जब डिक्री पास करते समय यह सहमति जारी रहे. यदि पूर्व में तलाक के लिए सहमति देने के बाद इसे वापस ले लिया गया हो तो पूर्व में दी गई सहमति के आधार पर तलाक की डिक्री मंजूर नहीं की जा सकती है. इस आदेश के साथ न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने निचली अदालत द्वारा लगभग 14 वर्ष पूर्व दी गई तलाक की डिक्री को रद्द कर दिया है.

अधीनस्थ न्यायालय से नए सिरे से इस मामले में सुनवाई करने का निर्देश दिया है. बुलंदशहर की महिला की अपील पर कोर्ट ने यह आदेश उनके अधिवक्ता महेश शर्मा को सुनने के बाद पारित किया. अपीलार्थी का विवाह विपक्षी पुष्पेंद्र के साथ हुआ था. पुष्पेंद्र ने 2008 में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक की याचिका यह आरोप लगाते हुए दाखिल की कि उनकी पत्नी संतान उत्पन्न करने में अक्षम है. शुरुआती बयान में अपीलार्थी ने भी इस पर अपनी सहमति दे दी, लेकिन जून 2010 में अपने लिखित बयान में उसने यह सहमति वापस ले ली और यह दावा किया कि उसने दो बच्चों को जन्म दिया है. अपर जिला जज बुलंदशहर ने याची के दूसरे बयान को नजर अंदाज करते हुए पहले बयान के आधार पर सहमति से तलाक की डिक्री मंजूर कर ली. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

अपीलार्थी के अधिवक्ता का कहना था कि अधीनस्थ न्यायालय ने सहमति वापस लिए जाने को नजर अंदाज करके गलती की है. तलाक की डिक्री को निस्तारित करने में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. अपीलार्थी को अपनी बात रखने का पूरा अवसर नहीं दिया गया. हाईकोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि अधीनस्थ न्यायालय ने कई प्रक्रियागत गलतियां की हैं. उन्होंने बदली हुई परिस्थितियों को नजरअंदाज किया. कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय ने सेना अधिकारियों के बीच दोनों पक्षों में बनी सहमति और दूसरे बच्चे के जन्म की बात को भी नजर अंदाज किया. कोर्ट ने कहा कि एक हिंदू विवाह को सिर्फ पूर्व में दी गई सहमति जिसे कि बाद में वापस ले लिया गया हो के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें : निकाह के महज 9 महीने बाद ही पति ने लंदन से दिया तीन तलाक, कहा- अब तुम्हारी जरूरत नहीं, दूसरी शादी करूंगा - triple talaq from London

यह भी पढ़ें : गोंडा में बेटी पैदा होने पर फोन पर दिया तीन तलाक, दहेज के लिए घर से निकाला - triple talaq in gonda

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.