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'रेप पीड़िता के बयान को हमेशा पूरा सच नहीं माना जा सकता', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी - RAPE CASE HEARING

कोर्ट ने कहा- पीड़िता का युवक के प्रति झुकाव था, वह स्वेच्छा से उसके साथ गई.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2025, 8:44 AM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि रेप के मामले में पीड़िता के बयान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन हमेशा उसे ही पूरा सच नहीं माना जा सकता. यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने की. वह बरेली के विशारतगंज थाने में दर्ज रेप के मामले की सुनवाई कर रहे थे. उन्होंने आरोपी अभिषेक भारद्वाज को जमानत दे दी.

कोर्ट ने कहा कि मामले की रिकॉर्ड से पता चलता है कि पीड़िता का याची के प्रति झुकाव था. वह स्वेच्छा से उसके साथ गई थी. याची के प्रति अपने प्यार और जुनून के कारण पीड़िता ने यौन संबंध बनाने की सहमति व्यक्त की. कोर्ट ने कहा कि रेप के मामले में निस्संदेह पीड़िता के बयान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि आजकल यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि सभी मामलों में पीड़िता हमेशा पूरी कहानी सच-सच बताएगी.

नौकरी का झांसा देकर रेप करने का कराया था मुकदमा : तथ्यों के अनुसार पीड़िता ने याची व 4 अन्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई. इसमें आरोप लगाया कि उसकी शादी 5 वर्ष पूर्व हुई थी. याची उसके घर आता-जाता था. इसी बीच याची ने उसे अपने कार्यालय में नौकरी दिलाने का झांसा दिया, जहां वह काम करने लगी. याची ने पीड़िता से कहा कि वह उसकी सरकारी नौकरी लगवा देगा. इसके बाद 5 लाख रुपये के सोने के जेवरात ले लिए. नौकरी का झांसा देकर कृष्णा रेजीडेंसी होटल में ले जाकर उसके साथ जबरन संबंध बनाए. पीड़िता के विरोध करने पर उसने उससे शादी करने का वादा किया.

इसके बाद नौकरी का झांसा देकर उसे कई बार लखनऊ स्थित होटल में ले गया. वहां उसके साथ रेप किया. उसने करगैना स्थित अपने कार्यालय में भी उसके साथ रेप किया. याची के कहने पर पीड़िता अपने मायके में रहने लगी. याची ने अपने विशारतगंज स्थित कार्यालय में भी उसका शारीरिक शोषण किया. इसके बाद पीड़िता अपने जेवरात वापस लेने के लिए याची के घर गई तो उसे बंधक बना लिया और मारा-पीटा. कहा कि जेवरात भूल जाओ, नहीं तो जान से मार देंगे. जब उसने एसएसपी से शिकायत की तो संबंधित थाने की पुलिस समझौता करने का दबाव बनाने लगी.

पीड़िता और आरोपी के चैट ने खोले राज : दूसरी ओर याची का कहना था कि पीड़िता विवाहित है. याची उसे लंबे समय से जानता है. वह पीड़िता के घर आता-जाता था. यह दलील दी गई कि विवाहित होने के बावजूद पीड़िता का याची के साथ विवाहेतर संबंध था, यह रेप का नहीं बल्कि संबंधित पक्षों के बीच सहमति से संबंध का मामला था. पीड़िता और याची के बीच विभिन्न चैट का हवाला देते हुए यह दर्शाया गया कि पीड़िता स्वेच्छा से याची के प्रति गहरी चिंता और झुकाव रखती थी. यह भी दलील दी गई कि जब पीड़िता के पति और परिवार के अन्य सदस्यों को याची के साथ पीड़िता के संबंध के बारे में पता चला तो पीड़िता ने खुद को बचाने के लिए झूठी और मनगढ़ंत कहानियों पर डेढ़ साल की देरी से प्राथमिकी दर्ज कराई.

यह भी दलील दी गई कि पीड़िता पहले से ही विवाहित है, इसलिए याची की ओर से पीड़िता से शादी का वादा करने का कोई सवाल ही नहीं उठता. जहां तक ​​पीड़िता की तस्वीरें वायरल करने के आरोप का सवाल है, तो दलील दी गई कि उक्त तस्वीरों में कोई अश्लीलता नहीं है. कोर्ट ने माना कि अभियुक्त के प्रति पीड़िता के झुकाव को साबित करने के लिए रिकार्ड में सामग्री उपलब्ध है, इसलिए इस मामले में उसके बयान पर विश्वास नहीं किया जा सकता.

यह भी पढ़ें : बर्खास्तगी के खिलाफ टीचर की अपील खारिज करने पर हाईकोर्ट नाराज, बीएसए से मांगा हलफनामा

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि रेप के मामले में पीड़िता के बयान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन हमेशा उसे ही पूरा सच नहीं माना जा सकता. यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने की. वह बरेली के विशारतगंज थाने में दर्ज रेप के मामले की सुनवाई कर रहे थे. उन्होंने आरोपी अभिषेक भारद्वाज को जमानत दे दी.

कोर्ट ने कहा कि मामले की रिकॉर्ड से पता चलता है कि पीड़िता का याची के प्रति झुकाव था. वह स्वेच्छा से उसके साथ गई थी. याची के प्रति अपने प्यार और जुनून के कारण पीड़िता ने यौन संबंध बनाने की सहमति व्यक्त की. कोर्ट ने कहा कि रेप के मामले में निस्संदेह पीड़िता के बयान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि आजकल यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि सभी मामलों में पीड़िता हमेशा पूरी कहानी सच-सच बताएगी.

नौकरी का झांसा देकर रेप करने का कराया था मुकदमा : तथ्यों के अनुसार पीड़िता ने याची व 4 अन्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई. इसमें आरोप लगाया कि उसकी शादी 5 वर्ष पूर्व हुई थी. याची उसके घर आता-जाता था. इसी बीच याची ने उसे अपने कार्यालय में नौकरी दिलाने का झांसा दिया, जहां वह काम करने लगी. याची ने पीड़िता से कहा कि वह उसकी सरकारी नौकरी लगवा देगा. इसके बाद 5 लाख रुपये के सोने के जेवरात ले लिए. नौकरी का झांसा देकर कृष्णा रेजीडेंसी होटल में ले जाकर उसके साथ जबरन संबंध बनाए. पीड़िता के विरोध करने पर उसने उससे शादी करने का वादा किया.

इसके बाद नौकरी का झांसा देकर उसे कई बार लखनऊ स्थित होटल में ले गया. वहां उसके साथ रेप किया. उसने करगैना स्थित अपने कार्यालय में भी उसके साथ रेप किया. याची के कहने पर पीड़िता अपने मायके में रहने लगी. याची ने अपने विशारतगंज स्थित कार्यालय में भी उसका शारीरिक शोषण किया. इसके बाद पीड़िता अपने जेवरात वापस लेने के लिए याची के घर गई तो उसे बंधक बना लिया और मारा-पीटा. कहा कि जेवरात भूल जाओ, नहीं तो जान से मार देंगे. जब उसने एसएसपी से शिकायत की तो संबंधित थाने की पुलिस समझौता करने का दबाव बनाने लगी.

पीड़िता और आरोपी के चैट ने खोले राज : दूसरी ओर याची का कहना था कि पीड़िता विवाहित है. याची उसे लंबे समय से जानता है. वह पीड़िता के घर आता-जाता था. यह दलील दी गई कि विवाहित होने के बावजूद पीड़िता का याची के साथ विवाहेतर संबंध था, यह रेप का नहीं बल्कि संबंधित पक्षों के बीच सहमति से संबंध का मामला था. पीड़िता और याची के बीच विभिन्न चैट का हवाला देते हुए यह दर्शाया गया कि पीड़िता स्वेच्छा से याची के प्रति गहरी चिंता और झुकाव रखती थी. यह भी दलील दी गई कि जब पीड़िता के पति और परिवार के अन्य सदस्यों को याची के साथ पीड़िता के संबंध के बारे में पता चला तो पीड़िता ने खुद को बचाने के लिए झूठी और मनगढ़ंत कहानियों पर डेढ़ साल की देरी से प्राथमिकी दर्ज कराई.

यह भी दलील दी गई कि पीड़िता पहले से ही विवाहित है, इसलिए याची की ओर से पीड़िता से शादी का वादा करने का कोई सवाल ही नहीं उठता. जहां तक ​​पीड़िता की तस्वीरें वायरल करने के आरोप का सवाल है, तो दलील दी गई कि उक्त तस्वीरों में कोई अश्लीलता नहीं है. कोर्ट ने माना कि अभियुक्त के प्रति पीड़िता के झुकाव को साबित करने के लिए रिकार्ड में सामग्री उपलब्ध है, इसलिए इस मामले में उसके बयान पर विश्वास नहीं किया जा सकता.

यह भी पढ़ें : बर्खास्तगी के खिलाफ टीचर की अपील खारिज करने पर हाईकोर्ट नाराज, बीएसए से मांगा हलफनामा

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