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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, अनुकंपा नियुक्ति में कर्मचारी की मृत्यु के समय लागू नियम ही मान्य - Compassionate Appointment - COMPASSIONATE APPOINTMENT

प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक आदेश में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति में कर्मचारी की मृत्यु के समय लागू नियम ही मान्य होंगे. बाद में जारी नीति का पूर्व की तिथि से प्रभाव नहीं होगा.

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Etv Bharatइलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, अनुकंपा नियुक्ति में कर्मचारी की मृत्यु के समय लागू नियम ही मान्य
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 19, 2024, 9:22 PM IST

प्रयागराज: शुक्रवार को अपने एक आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में कर्मचारी की मृत्यु के समय लागू नियुक्ति नीति ही मान्य होगी. बाद में जारी किसी नए नियम को तब तक लागू नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उसे पूर्ववर्ती तिथि से लागू न किया जाए.

कोर्ट ने कंपनी कमांडर होमगार्ड के पद पर नियुक्त कर्मचारी के आश्रित को उसकी मृत्यु के समय लागू नियम के आधार पर ही अनुकंपा नियुक्ति देने का निर्देश दिया. कानपुर के सौरभ सुचरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पड़िया ने याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह की बहस सुनकर दिया.

याचिका में कहा गया कि याची के पिता कानपुर में मानद कंपनी कमांडर होमगार्ड के पद पर तैनात थे. 18 अक्टूबर 2020 को उनकी मृत्यु हो गई. पत्नी और दो बच्चे पीछे रह गए. याची की मां ने जिला कमांडेंट होमगार्ड को प्रत्यावेदन देकर याची को उसी पद पर नियुक्ति देने की मांग की, जिस पद पर उसके पिता तैनात थे. याची ने अपने दस्तावेज जमा किए तथा मेडिकल परीक्षण में सफल रहा.

इस दौरान 3 नवंबर 2020 को एक नया शासनादेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया की अनुकंपा आधार पर सिर्फ होमगार्ड के पद पर ही नियुक्ति दी जाएगी. इस शासनादेश के आधार पर जिला कमांडेंट ने याची से होमगार्ड के पद पर नियुक्त देने के लिए सहमति मांगी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. अधिवक्ता का कहना था कि यह आदेश पूरी तरीके से वैधानिक है. विशेष कर 4 अगस्त 2013 को जारी आदेश के दृष्टिगत. इसके अनुसार यांची पर नया शासनादेश लागू नहीं होगा.

उसकी नियुक्ति में वही शासनादेश लागू होगा, जो कि उसकी पिता के मृत्यु के समय लागू था. उस समय लागू नियम के अनुसार याची कंपनी कमांडेंट के पद पर नियुक्त पाने का अधिकारी है. हाईकोर्ट ने तमाम न्यायिक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के समय वही नियम लागू होगा, जो कि कर्मचारियों की मृत्यु के समय लागू था. याची ने समय से आवेदन किया था. इसके बाद में जारी किया गया, कोई नियम तब तक प्रभावी नहीं माना जाएगा जब तक कि उसे पूर्ववर्ती तिथि से लागू न किया गया हो.

ये भी पढ़ें- बसपा ने जारी की 11 प्रत्याशियों की सूची, दो उम्मीदवार भी बदले, वाराणसी से सैयद नेयाज अली लड़ेंगे चुनाव

प्रयागराज: शुक्रवार को अपने एक आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में कर्मचारी की मृत्यु के समय लागू नियुक्ति नीति ही मान्य होगी. बाद में जारी किसी नए नियम को तब तक लागू नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उसे पूर्ववर्ती तिथि से लागू न किया जाए.

कोर्ट ने कंपनी कमांडर होमगार्ड के पद पर नियुक्त कर्मचारी के आश्रित को उसकी मृत्यु के समय लागू नियम के आधार पर ही अनुकंपा नियुक्ति देने का निर्देश दिया. कानपुर के सौरभ सुचरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पड़िया ने याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह की बहस सुनकर दिया.

याचिका में कहा गया कि याची के पिता कानपुर में मानद कंपनी कमांडर होमगार्ड के पद पर तैनात थे. 18 अक्टूबर 2020 को उनकी मृत्यु हो गई. पत्नी और दो बच्चे पीछे रह गए. याची की मां ने जिला कमांडेंट होमगार्ड को प्रत्यावेदन देकर याची को उसी पद पर नियुक्ति देने की मांग की, जिस पद पर उसके पिता तैनात थे. याची ने अपने दस्तावेज जमा किए तथा मेडिकल परीक्षण में सफल रहा.

इस दौरान 3 नवंबर 2020 को एक नया शासनादेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया की अनुकंपा आधार पर सिर्फ होमगार्ड के पद पर ही नियुक्ति दी जाएगी. इस शासनादेश के आधार पर जिला कमांडेंट ने याची से होमगार्ड के पद पर नियुक्त देने के लिए सहमति मांगी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. अधिवक्ता का कहना था कि यह आदेश पूरी तरीके से वैधानिक है. विशेष कर 4 अगस्त 2013 को जारी आदेश के दृष्टिगत. इसके अनुसार यांची पर नया शासनादेश लागू नहीं होगा.

उसकी नियुक्ति में वही शासनादेश लागू होगा, जो कि उसकी पिता के मृत्यु के समय लागू था. उस समय लागू नियम के अनुसार याची कंपनी कमांडेंट के पद पर नियुक्त पाने का अधिकारी है. हाईकोर्ट ने तमाम न्यायिक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के समय वही नियम लागू होगा, जो कि कर्मचारियों की मृत्यु के समय लागू था. याची ने समय से आवेदन किया था. इसके बाद में जारी किया गया, कोई नियम तब तक प्रभावी नहीं माना जाएगा जब तक कि उसे पूर्ववर्ती तिथि से लागू न किया गया हो.

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