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हाईकोर्ट का आदेश, तथ्य छिपाकर हासिल की गई अनुकंपा नियुक्ति अवैध, विशेष अपील खारिज - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

याची ने सहायक शिक्षक पद प्राप्त करने के लिए चौकीदार के रूप में अपनी पिछली नियुक्ति को छुपाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2025, 8:21 PM IST

Updated : Jan 17, 2025, 10:33 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्य छिपाकर प्राप्त की गई अनुकंपा नियु​क्ति अवैध है. कोर्ट ने कहा गलत तरीके से प्राप्त की गई नियुक्ति अनुकंपा नियुक्ति के उद्देश्य को विफल करती है. कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ बुलंदशहर के ​शिवदत्त शर्मा की विशेष अपील खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया.

याची अपने पिता के निधन के बाद 1981 में अनुकंपा के आधार पर चौकीदार के रूप में नियुक्त हुआ था. इसके बाद उसने विभागीय अनुमति से बीएड में प्रवेश लिया. 1986 में बीएड योग्यता के आधार पर वह सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था. सेवानिवृत्ति से कुछ समय पहले 2019 में विवाद खड़ा हो गया. आरोप सामने आए कि याची ने सहायक शिक्षक पद प्राप्त करने के लिए चौकीदार के रूप में अपनी पिछली नियुक्ति को छिपाया था. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बुलंदशहर ने इस पर याची से स्पष्टीकरण मांगा. जांच के बाद आरोप सही पाए गए. उसकी नियुक्ति को रद्द कर दिया. इसके ​खिलाफ याचिका दा​खिल की, जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया गया. इसके बाद विशेष अपील दायर की गई.

खंडपीठ ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि किसी भी महत्वपूर्ण तथ्य को छुपाने से अनुकंपा नियुक्तियों की वैधता खराब हो जाती है. अपीलकर्ता ने अपनी प्रारंभिक नियुक्ति को छुपाकर अनुकंपा नियुक्ति के उद्देश्य को विफल किया है. कोर्ट ने अपीलकर्ता की नियुक्ति रद्द करने के फैसले को बरकरार रखते हुए अपील खारिज कर दी है.

यह भी पढ़ें : 'रेप पीड़िता के बयान को हमेशा पूरा सच नहीं माना जा सकता', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी - RAPE CASE HEARING

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्य छिपाकर प्राप्त की गई अनुकंपा नियु​क्ति अवैध है. कोर्ट ने कहा गलत तरीके से प्राप्त की गई नियुक्ति अनुकंपा नियुक्ति के उद्देश्य को विफल करती है. कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ बुलंदशहर के ​शिवदत्त शर्मा की विशेष अपील खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया.

याची अपने पिता के निधन के बाद 1981 में अनुकंपा के आधार पर चौकीदार के रूप में नियुक्त हुआ था. इसके बाद उसने विभागीय अनुमति से बीएड में प्रवेश लिया. 1986 में बीएड योग्यता के आधार पर वह सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था. सेवानिवृत्ति से कुछ समय पहले 2019 में विवाद खड़ा हो गया. आरोप सामने आए कि याची ने सहायक शिक्षक पद प्राप्त करने के लिए चौकीदार के रूप में अपनी पिछली नियुक्ति को छिपाया था. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बुलंदशहर ने इस पर याची से स्पष्टीकरण मांगा. जांच के बाद आरोप सही पाए गए. उसकी नियुक्ति को रद्द कर दिया. इसके ​खिलाफ याचिका दा​खिल की, जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया गया. इसके बाद विशेष अपील दायर की गई.

खंडपीठ ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि किसी भी महत्वपूर्ण तथ्य को छुपाने से अनुकंपा नियुक्तियों की वैधता खराब हो जाती है. अपीलकर्ता ने अपनी प्रारंभिक नियुक्ति को छुपाकर अनुकंपा नियुक्ति के उद्देश्य को विफल किया है. कोर्ट ने अपीलकर्ता की नियुक्ति रद्द करने के फैसले को बरकरार रखते हुए अपील खारिज कर दी है.

यह भी पढ़ें : 'रेप पीड़िता के बयान को हमेशा पूरा सच नहीं माना जा सकता', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी - RAPE CASE HEARING

Last Updated : Jan 17, 2025, 10:33 PM IST
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