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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषपूर्ण जांच पर बिजली विभाग के जेई की बर्खास्तगी रद्द की, बहाल करने का दिया निर्देश - HIGH COURT NEWS

कोर्ट ने यह फैसला आशीष कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर सुनाई हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 23, 2025, 8:23 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के जूनियर इंजीनियर की बर्खास्त करने के आदेशों को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने याची को वेतन सहित तत्काल बहाल करने का निर्देश भी दिया है. साथ ही विभाग को नियमानुसार विभागीय जांच करने की छूट दी है. कोर्ट ने कहा कि जितने दिन याची सेवा से बाहर रहा, उसका बकाया वेतन जांच के परिणाम पर निर्भर करेगा. कोर्ट ने जांच चार माह में पूरी करने का आदेश दिया है. साथ ही कहा कि यदि विभाग जांच नहीं करता तो याची 50 फीसदी बकाया वेतन का हकदार होगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने आशीष कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है. याची जब प्रयागराज के फूलपुर उपकेंद्र पर तैनात था तो उपभोक्ताओं से नकद बिल भुगतान लेकर खाते में जमा न कर गबन करने का आरोप लगाया गया और जांच कमेटी गठित की गई. जांच कमेटी ने जांच प्रक्रिया का पालन नहीं किया. किसी की गवाही नहीं ली. कमेटी की रिपोर्ट पर याची को पदावनत कर दिया गया. अपील पर चेयरमैन ने सजा बढ़ाकर बर्खास्त करने का आदेश दिया.

याची के अधिवक्ता ऋतेश श्रीवास्तव व श्वेता सिंह का कहना था कि आरोप निराधार है. जितने का बिल जमा किया गया, उतनी राशि खाते में जमा की गई है. किसी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं की गई है. फंड में कोई कमी नहीं पाई गई है. इसके बावजूद याची के जवाब पर विचार किए बगैर मनमानी जांच रिपोर्ट पर उसे बर्खास्त कर दिया गया. कोर्ट ने जांच में कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने के कारण की गई पूरी कार्यवाही रद्द कर दी और तत्काल बहाली का निर्देश दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के जूनियर इंजीनियर की बर्खास्त करने के आदेशों को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने याची को वेतन सहित तत्काल बहाल करने का निर्देश भी दिया है. साथ ही विभाग को नियमानुसार विभागीय जांच करने की छूट दी है. कोर्ट ने कहा कि जितने दिन याची सेवा से बाहर रहा, उसका बकाया वेतन जांच के परिणाम पर निर्भर करेगा. कोर्ट ने जांच चार माह में पूरी करने का आदेश दिया है. साथ ही कहा कि यदि विभाग जांच नहीं करता तो याची 50 फीसदी बकाया वेतन का हकदार होगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने आशीष कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है. याची जब प्रयागराज के फूलपुर उपकेंद्र पर तैनात था तो उपभोक्ताओं से नकद बिल भुगतान लेकर खाते में जमा न कर गबन करने का आरोप लगाया गया और जांच कमेटी गठित की गई. जांच कमेटी ने जांच प्रक्रिया का पालन नहीं किया. किसी की गवाही नहीं ली. कमेटी की रिपोर्ट पर याची को पदावनत कर दिया गया. अपील पर चेयरमैन ने सजा बढ़ाकर बर्खास्त करने का आदेश दिया.

याची के अधिवक्ता ऋतेश श्रीवास्तव व श्वेता सिंह का कहना था कि आरोप निराधार है. जितने का बिल जमा किया गया, उतनी राशि खाते में जमा की गई है. किसी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं की गई है. फंड में कोई कमी नहीं पाई गई है. इसके बावजूद याची के जवाब पर विचार किए बगैर मनमानी जांच रिपोर्ट पर उसे बर्खास्त कर दिया गया. कोर्ट ने जांच में कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने के कारण की गई पूरी कार्यवाही रद्द कर दी और तत्काल बहाली का निर्देश दिया है.

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