नई दिल्ली/नोएडाः गौतमबुद्ध नगर के किसानों ने अपनी मांगों के चलते आंदोलन किया और उसके बाद किसानों को जेल भेज दिया गया. अब सभी किसान जेल से बाहर आ गए हैं. अब किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दोबारा आंदोलन की रणनीति बनाई है. उनका कहना है कि अधिकारी उनकी मांगों को जल्द पूरा करें नहीं तो आंदोलन का रास्ता फिर अपनाया जाएगा.
दरअसल, किसानों के जेल से बाहर आने के बाद किसानों का एक 15 सदस्य प्रतिनिधिमंडल पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह और डीएम मनीष कुमार वर्मा से मिला. डेलिगेशन ने पुलिस कमिश्नर से किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने एवं वादे के अनुसार 10% आबादी प्लॉट और नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुद्दे पर मुख्य सचिव से वार्ता करने की मांग की. पुलिस कमिश्नर ने डीएम गौतमबुद्ध नगर की उपस्थिति में कहा कि मुकदमे वापस करने पर जरूर विचार किया जाएगा. वहीं जिला अधिकारी गौतमबुद्ध नगर ने किसानों को जल्द ही मुख्य सचिव व तीनों प्राधिकरण के अधिकारियों से वार्ता करने का आश्वासन दिया है.
किसान आंदोलन: किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ रुपेश वर्मा ने बताया कि किसानों ने अधिकारियों से स्पष्ट कहा है कि शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करना किसानों का हक है. किसानों का दमन व उत्पीड़न करने से समस्याएं हल होने वाली नहीं है. हम अपनी समस्याओं को लेकर गंभीर एवं संकल्प बाध्य है, कोई भी सरकार डीएम अथवा कमिश्नर संविधान और कानून से ऊपर नहीं है. समस्याओं का निस्तारण हुए बिना धरना प्रदर्शनों से निजात नहीं पाई जा सकती.
पुलिस अपने वादे से मुकर गई: वहीं, किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने कहा कि हमें पुलिस प्रशासन ने दलित प्रेरणा स्थल पर जगह आवंटित की थी. पुलिस व प्रशासन ने 7 दिन में मुख्य सचिव स्तर पर वार्ता करने का आश्वासन दिया, परंतु पुलिस प्रशासन ने अपने वादे से मुकरते हुए बिना किसी वजह के किसानों को जबरन बदसलूकी करते हुए धरना स्थल से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसके साथ ही किसानों पर 307 जैसी संगीन धाराओं में आंदोलन का दमन करने एवं कुचलने के इरादे से जेल भेजा गया, जो स्पष्ट रूप से पुलिस प्रशासन द्वारा सत्ता के दुरुपयोग का मामला है. किसान अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए लगातार धरना प्रदर्शन करते रहेंगे.
भूमि अधिग्रहण कानून को लागू किया जाए: इसके साथ ही किसान एकता संघ के सोरन प्रधान ने बताया कि अधिकारियों से पूरी तरह साफ और स्पष्ट रूप से बातचीत हो गई है. बातचीत सकारात्मक रही है. अधिकारियों ने प्रथम चरण में तीनों प्राधिकरणों के अधिकारियों एवं जिलाधिकारी के साथ बातचीत करने एवं उसके तुरंत बाद मुख्य सचिव स्तर पर बातचीत करने का आश्वासन दिया है. किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने स्पष्ट रूप से कहा कि हम किसी भी दबाव में आने वाले नहीं है. शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है. किसान आंदोलन को दबाया जाना गलत है, हमारी सरकार और अधिकारियों से अपील है कि किसानों के 10 प्रतिशत प्लॉट नई भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करें.
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