पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है. जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव अली अशरफ फातमी ने नीतीश कुमार का साथ छोड़ने की घोषणा कर दी है. उन्होंने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
सांसद का चुनाव लड़ने की मंशाः आपको बता दें कि अली अशरफ फातमी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने पार्टी के सभी पदों को छोड़ने की घोषणा की है. ऐसा माना जा रहा है कि 20 मार्च को महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं. अली अशरफ फातमी पहले भी राजद के टिकट से दरभंगा से सांसद रहे हैं.
नीतीश कुमार को लिखा पत्रः मंगलवार को अली अशरफ फातमी ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को पत्र के माध्यम से इस्तीफा भेज दिया है. उन्होंने लिखा है कि "मैं नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु जनता दल यूनाइटेड के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं. कृपया स्वीकृति प्रदान की जाए."
दरभंगा या मधुबनी पर नजरः अली अशरफ दरभंगा या मधुबनी से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट की चाह रहे हैं. जदयू में रहते हुए ऐसा संभव नहीं था क्योंकि सोमवार को सीट बंटवारा में दरभंगा और मधुबनी सीट भाजपा के खाते में गयी है. चर्चा है कि इस्तीफा देने का यही कारण है. अब बुधवार को राजद में शामिल हो सकते हैं. हलांकि अभी तक उन्होंने इसकी घोषणा नहीं की है.
फातमी का राजनीतिक सफर : अली अशरफ फातमी दरभंगा सीट से चार बार सासंद रह चुके हैं. 2009 में उन्हें केन्द्र में केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया था. 2014 में उन्हें टिकट नहीं मिला. उन्होंने मधुबनी से निर्दलिय चुनाव लड़ा. साल 2019 में उन्हें आरजेडी से बर्खास्त कर दिया गया था. आरजेडी से निलंबन के बाद उन्होंने बीएसपी का दामन थामा, मधुबनी लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया. हालांकि दूसरे दिन बीएसपी ने उनकी उम्मीदवारी वापस ले ली.
किधर जाएंगे फातमी? : 29 जुलाई 2019 को अली अशरफ फातमी जेडीयू में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने जेडीयू को अल्पसंख्यकों की सबसे बड़ी हितैषी पार्टी बताया था. पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया. पांच साल बाद फातमी ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया. हालांकि उनका अगला कदम क्या होगा, इस पर उन्होंने अभी चुप्पी नहीं तोड़ी है.
बेटा भी राजद से विधायक रहेः अली अशरफ फातमी के बेटे फराज फातमी 2015 में राजद से दरभंगा के केवटी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे. फराज फातमी 26 साल की उम्र में 2010 में भी केवटी विधानसभा से पहला चुनाव लड़ा था. लेकिन भाजपा के अशोक कुमार यादव से 28 वोटों से हार गए थे. 2015 में इसी सीट से जीत मिली थी. 2020 में उन्होंने भी राजद को छोड़कर जदयू में शामिल हो गए थे.
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