प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के एक गुट के महामंत्री महंत राजेन्द्र दास ने 2025 में लगने वाले महाकुम्भ मेले में रोहिंग्या मुसलमानों के भेष बदलकर आने को लेकर चिंता जताई. उन्होंने इस पर रोक लगाने की मांग की है. महंत राजेन्द्र दास का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमान भेष बदलकर साधु संत का रूप धारण कर ऐसे धार्मिक मेलों में घूम घूमकर पैसे मांगने के साथ ही धोखेबाजी और फ्रॉड करके संतों की छवि खराब करते हैं. उन्हें रोकने के लिए अखाड़ों की तरफ से प्रमाणपत्र और पहचान पत्र जारी करने की मांग करते हुए शासन प्रशासन से मांग की है कि धार्मिक मेले में भेष बदलकर आने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को रोका जाए.
संगम नगरी प्रयागराज में जनवरी 2025 में महाकुम्भ मेला की शुरुआत होनी है. इसे लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों और प्रयागराज मेला प्राधिकरण की एक बैठक मंडलायुक्त कार्यालय में होगी. इस बैठक में 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों को शामिल होना है. उनके साथ ही प्रयागराज मेला प्राधिकरण और कुंभ मेला से जुड़े जिम्मेदार अफसरों को शामिल होना है. बैठक में कुम्भ के आयोजन को लेकर साधु संतों के साथ बातचीत कर उनके सुझाव लिए जाएंगे.
रोहिंग्या मुसलमानों के मसले को उठाएंगे राजेन्द्र दास: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में इस वक्त दो फाड़ है. साधु संतों की सबसे बड़ी ये संस्था दो गुटों में बटी हुई है.इसमें से एक गुट के महामंत्री महंत राजेन्द्र दास ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कुम्भ मेला में रोहिंग्या मुसलमानों के भेष बदलकर आने पर रोक लगाने की मांग उठायी है. महंत राजेन्द्र दास का कहना है, कि पाखंडी दुराचारी लोग सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए काम करते हैं. इसी कड़ी में बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान भेष बदलकर साधु संत का चोला पहनकर धार्मिक मेला क्षेत्र में आते हैं और यहां पर लोगों से पैसे मांगकर,फ्रॉड करके,पाखंड फैलाकर ऐसे कुकृत्य करते हैं, जिससे सनातन धर्म की बदनामी होती है.
यही नहीं उन्होंने यह भी कहाकि रोहिंग्या मुसलमान बड़ी संख्या में भिखारी का भेष धरकर मेला क्षेत्र में आते हैं और भीख मांगने के साथ ही तमाम तरह के कुकृत्य करके मेले का माहौल बिगाड़ते हैं. इसलिए उन्होंने मांग उठायी है कि महाकुंभ मेला 2025 में रोहिंग्या मुस्लिमों को भेष बदलकर आने से रोका जाए.
अखाड़े साधु संतों को प्रमाणपत्र जारी करें: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत राजेन्द्र दास ने बताया, कि रोहिंग्या मुसलमान भेष बदलकर देश भर में पैसे मांगने का काम करते हैं.वो लोग साधु संत और भिखारी का भेष बनाकर ऐसे कुकृत्य करते हैं जिससे सनातन धर्म की बदनामी होती है. इस लिए सभी अखाड़ों को उनसे जुड़े हुए साधु संतों को प्रमाणपत्र देना चाहिए. जिससे बहरूपियों की पहचान की जा सके और उनको मेले में आने से रोका जा सके. इससे धार्मिक मेले और सनातन धर्म की हानि भी नहीं होगी और सुरक्षित तरीके से मेला सम्पन्न होगा. महंत राजेन्द्र दास का यह भी कहना है, कि अखाड़े से जुड़े साधु संत बैठक करके खुद से यह फैसला लेंगे कि मेले में आने वाले सभी साधु संतों को अखाड़े की तरफ से पहचान पत्र दिया जाए. जिससे महाकुंभ मेला में भेष बदलकर आने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के साथ ही फर्जी साधु संतों पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा.
पाखंडियों के लिए साधु संत शब्द का इस्तेमाल न करने की अपील: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के एक गुटके महामंत्री महंत राजेंद्र दास ने यह भी कहा कि साधु संत शब्द का इस्तेमाल सिर्फ उन्हें संतो के लिए किया जाना चाहिए, जो सनातन धर्म से जुड़े हुए हो और जिनके द्वारा सनातन धर्म को बढ़ाने के लिए प्रचार प्रसार किया जाता हो. जो खुद सनातन धर्म को मानने वाले हो और दूसरों को भी सनातन धर्म की शिक्षा दें.उन्होंने कहा, कि सिर्फ ऐसे ही साधु संत महात्माओं को साधु संत बाबा के नाम से संबोधित करना चाहिए जो सनातन धर्म को मानने वाले हों.
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस समय देश में तमाम ऐसे लोग हैं जो पैंट शर्ट पहनकर खुद को साधु संत कहलवाते हैं. ये धर्म के नाम पर पाखंड और चमत्कार के नाम पर लोगों से पैसे कमाने का काम करते हैं. इस प्रकार के लोगों के नाम के साथ साधु बाबा शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इन विषयों पर जल्द ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से जुड़े सभी 13 अखाड़ों के संत महंत बड़ी बैठक करेंगे.जिस बैठक में सनातन धर्म को बदनाम करने वाले तमाम पाखंडियों, दुराचारियों और सनातन धर्म को न मानने वाले फर्जी बाबाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की नीति बनाकर सख्त कदम उठाए जाएंगे.