जयपुर. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को लंबी कतार से मुक्ति दिलाने के लिए जल्द ही क्यू मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जाएगा. इसे लेकर एक एक्शन प्लान तैयार किया गया है और चिकित्सा विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजा गया है. दरअसल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों को आर्टिशिफियल इंटेलीजेंस आधारित तकनीकों से सुदृढ़ एवं पेशेंट फ्रेंडली बनाया जाएगा.
हाल ही में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का एक दल चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे आधुनिकतम कार्यों एवं तकनीकों का अध्ययन करने के लिए नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पहुंचा था. चिकित्सा शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि प्रदेश में विभिन्न नवाचारों के माध्यम से चिकित्सा सेवाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है, ताकि रोगियों को चिकित्सा संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध हो तथा परिजनों को भी किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. हमारा प्रयास है कि चिकित्सा संस्थानों में पंजीयन, परामर्श, जांच एवं दवा प्राप्त करने के लिए रोगियों एवं परिजनों को कतारों में खड़ा होकर इंतजार नहीं करना पड़े. इसके लिए एआई एवं आईटी आधारित क्यू मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया जाएगा.
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खाका किया तैयार: एम्स से लौटने के बाद चिकित्सकों के दल ने इसे लेकर एक एक्शन प्लान तैयार किया है और चिकित्सा विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजा है. माना जा रहा है कि जल्द ही इस एक्शन प्लान को प्रारंभिक तौर पर प्रदेश के कुछ अस्पतालों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा. अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि दिल्ली एम्स आधुनिकतम चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक अग्रणी चिकित्सा संस्थान है. वहां मरीजों एवं परिजनों की सुविधा के लिए क्यू मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया गया है.
प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों में भी यह सुविधा विकसित करने की दृष्टि से चिकित्सा शिक्षा विभाग से अधिकारियों का एक दल हाल ही में दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली एम्स गया था. जिसमें अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन, राजमेस संजू शर्मा, उप निदेशक राजमेस डॉ वंदना शर्मा, एसएसएमस हॉस्पिटल के उप अधीक्षक एवं सहायक नोडल अधिकारी आईटी डॉ अनिल दुबे, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ प्रदीप शर्मा एवं एसीपी-आईटी अशोक कुमावत शामिल थे.