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सरकार ने शुरू नहीं की सोयाबीन व उड़द की MSP खरीद, किसान हर दिन उठा रहे करोड़ों का घाटा - KOTA MANDI

सोयाबीन और उड़द लेकर मंडी पहुंच रहे किसानों को एमएसपी पर खरीद का इंतजार है. हर दिन करोड़ों का घाटा उठाना पड़ रहा है.

Agriculture Commodity  in Kota Mandi
सरकार ने शुरू नहीं की सोयाबीन व उड़द की MSP खरीद (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 10, 2024, 8:48 PM IST

कोटाः किसान मंडियों में नई सोयाबीन को लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. बीते सालों से दाम काफी कम है. वहीं, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी खरीद की घोषणा सरकार ने अभी तक नहीं की है. इसका खामियाजा किसानों को हजार रुपए प्रति क्विंटल तक कम दाम पर अपनी फसल को बेचकर उठाना पड़ रहा है.

इस एमएसपी से कम दाम मिलने के चलते सोयाबीन में जहां 1.2 करोड़ रोज का घाटा किसानों को अकेले कोटा मंडी में हो रहा है. इस तरह से उड़द खरीद पर 50 लाख रोज का घाट उठा रहे हैं. हाड़ौती की बात की जाए तो 3 से 4 करोड़ से ज्यादा का नुकसान किसानों को रोज हो रहा है. बारां जिले के पापड़ली गांव से उड़द बेचने आए सुखजीत सिंह का उड़द 5600 रुपए प्रति क्विंटल बिका है, जबकि एमएसपी 7400 रुपए है. सुखजीत का कहना है कि 8 बीघा में महज 6 क्विंटल उड़द हुआ है, इसमें भी दाम कम होने से एमएसपी के चलते 1200 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हो गया.

किसानों को बड़ा नुकसान, सुनिए क्या कहा... (ETV Bharat Kota)

नई फसल की तैयारी करने के लिए माल बेचना जरूरीः कनवास निवासी किसान प्रेम बिहारी प्रजापत यादव का कहना है कि मजबूरी है कि आने वाली रबी सीजन की फसल के लिए बीज और खाद की व्यवस्था करनी है. समय पर अगली फसल तैयार करना चुनौती भरा होता है. खरीफ की फसल का बकाया भी चुकाना है. ट्रैक्टर और मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों का पैसा देना है. इसके अलावा त्यौहार भी आने वाला है. जिसके चलते मजबूरी में किसान अपनी फसल का कुछ हिस्सा बेचने के लिए मंडी में पहुंच रहे हैं. दूसरी तरफ इसी समय सीमा का सरकार फायदा उठा रही है और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं करके किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रही है.

इस तरह से है करोड़ों का रोज का घाटाः भामाशाह कृषि उपज मंडी की बात की जाए तो 4000 क्विंटल से ज्यादा उड़द की आवक रोज हो रही है. इनमें 5800 से लेकर 7600 रुपए प्रति क्विंटल के भाव हैं, जबकि औसत भाव 6300 रुपए के आसपास बने हुए हैं. यह न्यूनतम समर्थन मूल्य 7400 रुपए प्रति क्विंटल से करीब 1000 से 1400 रुपए कम है. ऐसे में किसानों को प्रति क्विंटल 1000 से 1400 रुपए का घाटा हो रहा है. रोज की बात की जाए तो केवल भामाशाह कृषि उपज मंडी में ही 50 लाख का घाटा वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने के चलते किसान उठा रहे हैं. इसी तरह से सोयाबीन की बात की जाए तो मंडी में सोयाबीन के दाम 3900 से 4600 रुपए के बीच बने हुए हैं. औसत दाम 4300 रुपए के आसपास है.

पढ़ें : केंद्रों पर व्यवस्था नहीं, कई जगह सरसों और चने की खरीद अटकी, जहां हुई वहां एक किसान आया

वहीं, इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य से यह 600 से लेकर 900 तक कम है. इसी के चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. रोज मंडी में 20 हजार क्विंटल से ज्यादा की आवक हो रही है और किसानों को इस हिसाब से 1.2 करोड रुपए का रोज नुकसान हो रहा है. हाड़ौती के चारों जिले कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ की कृषि उपज मंडियों की बात की जाए तो वहां पर करीब 40 हजार क्विंटल के आसपास सोयाबीन की आवक हो रही है. वहीं, उड़द की आवक 6 हजार क्विंटल के आसपास है, जिसके चलते यह नुकसान करोड़ों रुपए में पहुंच रहा है.

एमएसपी बढ़ी, लेकिन खरीद की नहीं घोषणाः बीते साल 2023 में सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4600 और उड़द का 6950 था. इस बार 2024 में सरकार ने सोयाबीन में 6.35 फीसदी यानी 292 रुपए की बढ़ोतरी करते हुए 4892 रुपए कर दिया है. वहीं, उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.5 फीसदी यानी 450 बढ़ाते हुए 7400 रुपए किया है. इधर, साल 2017 और 2018 में अक्टूबर महीने में ही खरीद हो जाया करती थी, लेकिन इसके बाद दाम ज्यादा होने के चलते 2019 से 2023 तक किसानों ने माल नहीं बेचा, लेकिन सरकार ने खरीद की प्रक्रिया शुरू की थी. जिसमें नवंबर महीने में खरीद आमतौर पर शुरू हुई थी. इस बार अभी सरकार ने खरीद के आदेश जारी नहीं किए हैं.

5 सालों से नहीं हो रही थी खरीद इस बार उम्मीदः राजफैड के कार्यवाहक क्षेत्रीय प्रबंधक विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि साल 2017 और 2018 में सोयाबीन और उड़द की खरीद हुई थी. साल 2017 में जहां पर उड़द 8.84 लाख में क्विंटल और सोयाबीन 1.23 लाख क्विंटल खरीद की गई थी. इसी तरह से 2018 में उड़द 3.84 लाख क्विंटल और सोयाबीन 25705 क्विंटल खरीद हुई थी. इसके बाद 2019 से 2023 तक कोई खरीद नहीं हुई है, इन 5 सालों में सरकार ने प्रयास भी किया लेकिन किसानों को मंडी में ज्यादा दाम मिलने के चलते हुए बेचने कम ही आए.

सरकार सोचे- किसान परेशान हो रहे हैं: भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष जगदीश शर्मा कलमंडा का कहना है कि वह लगातार समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए मांग उठाते रहे हैं, लेकिन सरकार बात नहीं मान रही है. हाल ही में सरकार के खिलाफ विधानसभा का घेराव हमने 7 अक्टूबर को रखा था, लेकिन सरकार ने वार्ता के लिए बुलाया है. जिसमें हमारी प्रमुख रूम से मांग सोयाबीन, उड़द, मूंग और मक्का की एमएसपी पर खरीद तुरंत शुरू करने की है. उन्होंने कहा कि हम सरकार को फिर चेतावनी दे रहे हैं, अगर किसानों को नुकसान हुआ तो आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी. बूंदी जिले के तीर्थ निवासी किसान गोपाल लाल का कहना है कि किसानों के सामने माल बेचने की मजबूरी है. सरकार अगर समय से खरीद शुरू कर देगी तो किसानों को फायदा हो जाएगा. इस बार सोयाबीन के दाम काफी गिरे हुए हैं. यहां तक कि 4 हजार रुपए से नीचे सोयाबीन बिक रहा है, जबकि यह 5 हजार से ज्यादा मिलने चाहिए.

डीओसी के निर्यात की डिमांड कम होने से दाम पर पड़ा असरः भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव का कहना है कि बीते सालों में किसान ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन इसलिए नहीं बेची, क्योंकि उचित दाम मंडी में मिल रहा था. विदेश में सोयाबीन से तेल निकालने के बाद बचने वाली खली (डीओसी) की काफी मात्रा में डिमांड थी, लेकिन यह डिमांड खत्म हो गई है. इसी के चलते सोयाबीन की कीमतों में भी कमी आई है. सोयाबीन में करीब 20 से 22 फीसदी ही तेल निकलता है. शेष पैसा इसका फैक्ट्री मालिक को डीओसी से मिलता है ऐसे में तेल मिलों ने सस्ते दाम पर ही सोयाबीन को खरीदना शुरू कर दिया है, क्योंकि निर्यात नहीं हो रहा है. स्थानीय मार्केट में इसकी इतनी खपत भी नहीं है.

पंजीयन 15 से शुरू, खरीद की तारीख तय नहींः सरकार ने अभी तक खरीद की घोषणा नहीं की है, जबकि किसानों को रजिस्ट्रेशन भी करना होगा और उसके बाद ही खरीद केंद्र पर व्यवस्था भी होगी. जिनके लिए बारदाना से लेकर ट्रांसपोर्टेशन, हैंडलिंग और सभी तरह की टेंडर प्रक्रिया होगी. सरकार ने अभी केवल खरीद केंद्र के संबंध में जानकारी साझा की है. राजफैड के कार्यवाहक क्षेत्रीय प्रबंधक विष्णु दत्त शर्मा के अनुसार 40 केंद्र की घोषणा हाड़ौती में हुई है. इसमें झालावाड़ में 11, बूंदी में 13, बारां में 7 और कोटा में 9 केंद्र हैं. ऐसे में इन 40 केंद्र पर खरीद होनी है. उनका कहना है कि 15 अक्टूबर से किसानों के रजिस्ट्रेशन को शुरू कर दिया है, वहीं जल्द ही खरीद को लेकर चर्चा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में की गई थी. हमें भी खरीद से संबंधित सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए निर्देशित किया है.

कोटाः किसान मंडियों में नई सोयाबीन को लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. बीते सालों से दाम काफी कम है. वहीं, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी खरीद की घोषणा सरकार ने अभी तक नहीं की है. इसका खामियाजा किसानों को हजार रुपए प्रति क्विंटल तक कम दाम पर अपनी फसल को बेचकर उठाना पड़ रहा है.

इस एमएसपी से कम दाम मिलने के चलते सोयाबीन में जहां 1.2 करोड़ रोज का घाटा किसानों को अकेले कोटा मंडी में हो रहा है. इस तरह से उड़द खरीद पर 50 लाख रोज का घाट उठा रहे हैं. हाड़ौती की बात की जाए तो 3 से 4 करोड़ से ज्यादा का नुकसान किसानों को रोज हो रहा है. बारां जिले के पापड़ली गांव से उड़द बेचने आए सुखजीत सिंह का उड़द 5600 रुपए प्रति क्विंटल बिका है, जबकि एमएसपी 7400 रुपए है. सुखजीत का कहना है कि 8 बीघा में महज 6 क्विंटल उड़द हुआ है, इसमें भी दाम कम होने से एमएसपी के चलते 1200 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हो गया.

किसानों को बड़ा नुकसान, सुनिए क्या कहा... (ETV Bharat Kota)

नई फसल की तैयारी करने के लिए माल बेचना जरूरीः कनवास निवासी किसान प्रेम बिहारी प्रजापत यादव का कहना है कि मजबूरी है कि आने वाली रबी सीजन की फसल के लिए बीज और खाद की व्यवस्था करनी है. समय पर अगली फसल तैयार करना चुनौती भरा होता है. खरीफ की फसल का बकाया भी चुकाना है. ट्रैक्टर और मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों का पैसा देना है. इसके अलावा त्यौहार भी आने वाला है. जिसके चलते मजबूरी में किसान अपनी फसल का कुछ हिस्सा बेचने के लिए मंडी में पहुंच रहे हैं. दूसरी तरफ इसी समय सीमा का सरकार फायदा उठा रही है और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं करके किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रही है.

इस तरह से है करोड़ों का रोज का घाटाः भामाशाह कृषि उपज मंडी की बात की जाए तो 4000 क्विंटल से ज्यादा उड़द की आवक रोज हो रही है. इनमें 5800 से लेकर 7600 रुपए प्रति क्विंटल के भाव हैं, जबकि औसत भाव 6300 रुपए के आसपास बने हुए हैं. यह न्यूनतम समर्थन मूल्य 7400 रुपए प्रति क्विंटल से करीब 1000 से 1400 रुपए कम है. ऐसे में किसानों को प्रति क्विंटल 1000 से 1400 रुपए का घाटा हो रहा है. रोज की बात की जाए तो केवल भामाशाह कृषि उपज मंडी में ही 50 लाख का घाटा वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने के चलते किसान उठा रहे हैं. इसी तरह से सोयाबीन की बात की जाए तो मंडी में सोयाबीन के दाम 3900 से 4600 रुपए के बीच बने हुए हैं. औसत दाम 4300 रुपए के आसपास है.

पढ़ें : केंद्रों पर व्यवस्था नहीं, कई जगह सरसों और चने की खरीद अटकी, जहां हुई वहां एक किसान आया

वहीं, इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य से यह 600 से लेकर 900 तक कम है. इसी के चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. रोज मंडी में 20 हजार क्विंटल से ज्यादा की आवक हो रही है और किसानों को इस हिसाब से 1.2 करोड रुपए का रोज नुकसान हो रहा है. हाड़ौती के चारों जिले कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ की कृषि उपज मंडियों की बात की जाए तो वहां पर करीब 40 हजार क्विंटल के आसपास सोयाबीन की आवक हो रही है. वहीं, उड़द की आवक 6 हजार क्विंटल के आसपास है, जिसके चलते यह नुकसान करोड़ों रुपए में पहुंच रहा है.

एमएसपी बढ़ी, लेकिन खरीद की नहीं घोषणाः बीते साल 2023 में सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4600 और उड़द का 6950 था. इस बार 2024 में सरकार ने सोयाबीन में 6.35 फीसदी यानी 292 रुपए की बढ़ोतरी करते हुए 4892 रुपए कर दिया है. वहीं, उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.5 फीसदी यानी 450 बढ़ाते हुए 7400 रुपए किया है. इधर, साल 2017 और 2018 में अक्टूबर महीने में ही खरीद हो जाया करती थी, लेकिन इसके बाद दाम ज्यादा होने के चलते 2019 से 2023 तक किसानों ने माल नहीं बेचा, लेकिन सरकार ने खरीद की प्रक्रिया शुरू की थी. जिसमें नवंबर महीने में खरीद आमतौर पर शुरू हुई थी. इस बार अभी सरकार ने खरीद के आदेश जारी नहीं किए हैं.

5 सालों से नहीं हो रही थी खरीद इस बार उम्मीदः राजफैड के कार्यवाहक क्षेत्रीय प्रबंधक विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि साल 2017 और 2018 में सोयाबीन और उड़द की खरीद हुई थी. साल 2017 में जहां पर उड़द 8.84 लाख में क्विंटल और सोयाबीन 1.23 लाख क्विंटल खरीद की गई थी. इसी तरह से 2018 में उड़द 3.84 लाख क्विंटल और सोयाबीन 25705 क्विंटल खरीद हुई थी. इसके बाद 2019 से 2023 तक कोई खरीद नहीं हुई है, इन 5 सालों में सरकार ने प्रयास भी किया लेकिन किसानों को मंडी में ज्यादा दाम मिलने के चलते हुए बेचने कम ही आए.

सरकार सोचे- किसान परेशान हो रहे हैं: भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष जगदीश शर्मा कलमंडा का कहना है कि वह लगातार समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए मांग उठाते रहे हैं, लेकिन सरकार बात नहीं मान रही है. हाल ही में सरकार के खिलाफ विधानसभा का घेराव हमने 7 अक्टूबर को रखा था, लेकिन सरकार ने वार्ता के लिए बुलाया है. जिसमें हमारी प्रमुख रूम से मांग सोयाबीन, उड़द, मूंग और मक्का की एमएसपी पर खरीद तुरंत शुरू करने की है. उन्होंने कहा कि हम सरकार को फिर चेतावनी दे रहे हैं, अगर किसानों को नुकसान हुआ तो आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी. बूंदी जिले के तीर्थ निवासी किसान गोपाल लाल का कहना है कि किसानों के सामने माल बेचने की मजबूरी है. सरकार अगर समय से खरीद शुरू कर देगी तो किसानों को फायदा हो जाएगा. इस बार सोयाबीन के दाम काफी गिरे हुए हैं. यहां तक कि 4 हजार रुपए से नीचे सोयाबीन बिक रहा है, जबकि यह 5 हजार से ज्यादा मिलने चाहिए.

डीओसी के निर्यात की डिमांड कम होने से दाम पर पड़ा असरः भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव का कहना है कि बीते सालों में किसान ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन इसलिए नहीं बेची, क्योंकि उचित दाम मंडी में मिल रहा था. विदेश में सोयाबीन से तेल निकालने के बाद बचने वाली खली (डीओसी) की काफी मात्रा में डिमांड थी, लेकिन यह डिमांड खत्म हो गई है. इसी के चलते सोयाबीन की कीमतों में भी कमी आई है. सोयाबीन में करीब 20 से 22 फीसदी ही तेल निकलता है. शेष पैसा इसका फैक्ट्री मालिक को डीओसी से मिलता है ऐसे में तेल मिलों ने सस्ते दाम पर ही सोयाबीन को खरीदना शुरू कर दिया है, क्योंकि निर्यात नहीं हो रहा है. स्थानीय मार्केट में इसकी इतनी खपत भी नहीं है.

पंजीयन 15 से शुरू, खरीद की तारीख तय नहींः सरकार ने अभी तक खरीद की घोषणा नहीं की है, जबकि किसानों को रजिस्ट्रेशन भी करना होगा और उसके बाद ही खरीद केंद्र पर व्यवस्था भी होगी. जिनके लिए बारदाना से लेकर ट्रांसपोर्टेशन, हैंडलिंग और सभी तरह की टेंडर प्रक्रिया होगी. सरकार ने अभी केवल खरीद केंद्र के संबंध में जानकारी साझा की है. राजफैड के कार्यवाहक क्षेत्रीय प्रबंधक विष्णु दत्त शर्मा के अनुसार 40 केंद्र की घोषणा हाड़ौती में हुई है. इसमें झालावाड़ में 11, बूंदी में 13, बारां में 7 और कोटा में 9 केंद्र हैं. ऐसे में इन 40 केंद्र पर खरीद होनी है. उनका कहना है कि 15 अक्टूबर से किसानों के रजिस्ट्रेशन को शुरू कर दिया है, वहीं जल्द ही खरीद को लेकर चर्चा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में की गई थी. हमें भी खरीद से संबंधित सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए निर्देशित किया है.

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