आगरा : नगर निगम ने रविवार को आगरा के बहुचर्चित जमीनकांड में असली मालिक सरदार टहल सिंह का फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कराने में शामिल लोगों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की. नगर निगम ने मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदक, गवाह और सेनेटरी सुपरवाइजर सहित 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया है. तत्कालीन जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार, सफाई निरीक्षक और लिपिक के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के आदेश किए गए हैं.
मामले में जिले के 2 माननीय आमने-सामने आ गए हैं. बेशकीमती जमीन पर खाकी, खादी और भूमाफिया की नजर थी. इसलिए, एसआईटी ने मामले की जांच की तो खुलासा हुआ कि इस मामले में जो वादी और पीड़ित हैं, वही साजिशकर्ता हैं. इस पर पुलिस ने वादी उमादेवी समेत 6 को दबोच कर जेल भेजा है.
बता दें कि 26 अगस्त 2023 में पुलिस ने टहल सिंह के बाड़े में रहने वाले केयरटेकर और उसके भाई को एनडीपीएस एक्ट में जेल भेजा था. 9 अक्टूबर 2023 को आबकारी ने कार्रवाई की. इस पर दिसंबर 2023 में मामले की शिकायत डीजीपी से हुई. इस पर सात जनवरी 2024 को उमा देवी की तहरीर पर जगदीशपुरा थाना के तत्कालीन एसओ, बिल्डर कमल चौधरी, धीरू चौधरी समेत 15 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
मामले में डीएम भानु चंद्र गोस्वामी ने नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल को सरदार टहल सिंह के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र की जांच के आदेश दिए थे. नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने अपर नगर आयुक्त से जांच कराई. इसके बाद ही हरीपर्वत जोन (जन्म-मृत्यु) को आठ लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
2019 में बनाया गया था फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र : चार जुलाई 2019 को नगर निगम से सरदार टहल सिंह का फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुआ था. नगर निगम के जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर ही सदर तहसील से फर्जी वारिसान प्रमाणपत्र बना. इस मामले में वारिसान पर आख्या देने वाली लेखपाल आरती शर्मा निलंबित हो चुकी हैं. वारिसान प्रमाणपत्र पर तहसीलदार की जगह हस्ताक्षर करने वाले वाले नायब तहसीलदार अभय प्रताप सिंह के विरुद्ध विभागीय जांच हो रही है.
इनके खिलाफ हुआ मुकदमा : नगर निगम ने रविवार को सरदार टहल सिंह का भतीजा बनकर आवेदन करने वाले फ्रीगंज निवासी किशन मुरारी पुत्र रामबाबू, मृत्यु की गवाही देने वाले रवि कुशवाह पुत्र दीनानाथ और किशोरपुरा निवासी सरला देवी पत्नी गणेश शर्मा के साथ ही तीसरे गवाह सोरा वाली गली निवासी दीनानाथ पुत्र काशीराम के विरुद्ध केस दर्ज कराया. इस मुकदमे में मृत्यु प्रमाण पत्र के संबंध में नगर निगम के तत्कालीन सेनेटरी सुपरवाइजर ओम प्रकाश ने स्थलीय जांच कर गवाहों के बयान दर्ज किए थे. इसलिए, सेनेटरी सुपरवाइजर के खिलाफ भी नगर निगम ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
इन पर भी लटकी कार्रवाई की तलवार : नगर निगम की ओर से इस बहुचर्चित मामले को लेकर क्षेत्रीय सेनेटरी सुपरवाइजर की आख्या पर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले सफाई एवं खाद्य निरीक्षक रोहित सिंह के विरुद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई है.
इसके साथ ही सफाई एवं खाद्य निरीक्षक रोहित सिंह की जांच सहायक नगर आयुक्त को सौंपी है. सुपरवाइजर और निरीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर जन्म-मृत्यु लिपिक रागिनी शिवहरे की भूमिका की जांच पुलिस को करने के निर्देश दिए हैं.
सीएमओ करेंगे कार्रवाई : जगदीशपुरा जमीनकांड में शामिल जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार एवं नगर स्वास्थ्य अधिकारी पर भी गाज गिरना तय है. नगर आयुक्त ने नगर निगम में तैनात क्षेत्रीय सुपरवाइजर, निरीक्षक व लिपिक की आख्या के आधार पर तत्कालीन जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार एवं नगर स्वास्थ्य अधिकारी विमल कुमार सिंघल के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश मुख्य चिकित्सा अधिकारी अरुण श्रीवास्तव को दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी विमल कुमार 2019 में नगर निगम में जन्म- मृत्यु रजिस्ट्रार के पद पर तैनात थे. अब विमल कुमार मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में तैनात हैं.
सुपरवाइजर, लिपिक सेवानिवृत्त : जमीनकांड के फर्जी आख्या देने वाले क्षेत्रीय सेनेटरी सुपरवाइजर ओम प्रकाश और लिपिकीय कार्य करने वाली रागिनी शिवहरे दोनों नगर निगम से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. जांच में दोनों के बयान शामिल गए हैं. प्रपत्र व अन्य दस्तावेजों की जांच में सुपरवाइजर और लिपिक की लापरवाही सामने आई है. इसके आधार पर दोनों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की गई.
टहल सिंह ने दी थी जिंदा होने की गवाही : जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में बैनारा फैक्ट्री के पास 10 हजार वर्ग गज भूमि के मालिक सरदार टहल सिंह ने लुधियाना से आगरा आकर खुद अपने जिंदा होने की गवाही दी थी. तहसीलदार सदर, एसआईटी और अदालत में अपने बयान दर्ज कराए थे. एसआईटी ने जांच के बाद इस मामले में वादी बने साजिशकर्ता जेल भेजे हैं. जिन्होंने पूरा फर्जीवाड़ा किया था.
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