जयपुर: गैस लीक के बाद विवादों में आए कोचिंग सेंटर को छात्र संगठनों के प्रोटेस्ट के चलते सोमवार को ग्रेटर नगर निगम की टीम ने उत्कर्ष कोचिंग को सील कर दिया. इससे पहले यहां एफएसएल, पुलिस प्रशासन और निगम प्रशासन की टीम ने बिल्डिंग की जांच की और सीवरेज के पानी और डस्ट का सैंपल भी लिया. छात्रों संगठनों की चेतावनी के चलते सोमवार को गोपालपुरा बाईपास के 90 फ़ीसदी कोचिंग सेंटर बंद रहे. हालांकि उत्कर्ष कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले छात्रों ने कोचिंग सेंटर को सील करने की कार्रवाई का विरोध किया है. छात्रों के बेहोश होने के कारणों का अब तक भी खुलासा नहीं हो पाया है.
बता दें कि 15 दिसंबर शाम को गोपालपुरा बायपास स्थित उत्कर्ष कोचिंग सेंटर में संस्कृत विषय की क्लास के दौरान किसी अनजानी गैस की वजह से 10 छात्र बेहोश हो गए थे. इसके बाद से कोचिंग सेंटर के संचालन में हो रही अनियमितताओं को लेकर सवाल उठाते हुए छात्र संगठनों ने यहां प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन सोमवार सुबह भी जारी रहा. छात्रों ने यहां धरना देते हुए कोचिंग संचालकों पर कार्रवाई करने, सभी कोचिंग सेंटर्स की जांच करने, मापदंड निर्धारित करने, कक्षा कक्ष की कैपेसिटी के अनुसार छात्रों की संख्या निर्धारित करने और फायर एनओसी- बिल्डिंग बायलॉज जैसे नियमों की पालना सुनिश्चित करने की मांग की.
छात्र नेता निर्मल चौधरी ने आरोप लगाया कि जहां 200 छात्रों के बैठने की जगह है, वहां 800 छात्रों को बैठाया जाता है.और सरकार प्रशासन मूक दर्शक बने बैठे हुए हैं.वहीं एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ ने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर कोचिंग संचालित होते हैं.जहां छात्रों से मनमानी फीस वसूल की जाती है और उन्हें पर्याप्त सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई जाती.
नगर निगम ने जांच शुरू की: इस दौरान मौके पर पहुंची ग्रेटर नगर निगम की टीम, एफएसएल की टीम और पुलिस प्रशासन की ओर से बिल्डिंग की जांच की गई. यहां से डस्ट और सीवरेज पानी के सैंपल भी लिए गए. इन्हें जांच के लिए भेजा गया है. हालांकि एफएसएल की टीम ने फिलहाल जांच के बाद ही हादसे के कारणों का खुलासा हो सकेगा. एसीपी सोडाला योगेश चौधरी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है, तब तक कोचिंग सेंटर सीज रहेगा. निगम में मानसरोवर जोन के उपायुक्त लक्ष्मीकांत कटारा ने आश्वस्त किया है कि बिल्डिंग बायलॉज, फायर एनओसी और दूसरे मापदंडों के अनुसार इन्वेस्टिगेशन किया जाएगा. नियमों के विपरीत जो भी कोचिंग संचालित हो रहे हैं उन पर कार्रवाई की जाएगी.
कोचिंग के छात्रों ने किया सीज का विरोध: कोचिंग सेंटर पर की गई इस कार्रवाई से उत्कर्ष कोचिंग सेंटर के छात्र नाखुश दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि यदि कोचिंग बंद होता है, तो उनका करियर खराब हो जाएगा. प्रत्यक्षदर्शी छात्रों ने बताया कि रविवार शाम को संस्कृत की क्लास के दौरान अजीब सी बदबू आ रही थी. जब ये बदूब बढ़ी तो छात्रों को क्लास से बाहर निकाला गया. इस बीच कुछ छात्रों की तबीयत खराब हो गई, उन्हें उल्टी आने लगी और उनमें से कुछ बेहोश भी हो गए. इन्हें अस्पताल पहुंचाया गया. इनमें से कुछ को रात को ही डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि कुछ का अभी भी इलाज चल रहा है. कोचिंग में पढ़ने वाले छात्रों ने मांग की कि उन्हें इस मामले में किसी तरह की राजनीति नहीं चाहिए. वे यहां पढ़ने आए हैं, अपना करियर बनाने आए हैं. ऐसे में जांच जरूर की जाए, लेकिन कोचिंग सेंटर को सीज नहीं किया जाए.
राज्य मानवाधिकार आयोग ने मामले में लिया प्रसंज्ञान : जयपुर में कोचिंग में छात्र-छात्राओं के बेहोश होने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. आयोग ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, पुलिस कमिश्नर, जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी किया है. जिसमें कोचिंग सेंटर में स्टूडेंट्स के स्वास्थ्य को सुरक्षित-संरक्षित रखने के लिए निर्देश जारी करने के लिए कहा गया है. इसके अलावा कोचिंग संस्थान प्रबंधन के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने पीड़ित छात्रों को सम्यक निशुल्क चिकित्सा सुविधा और क्षतिपूर्ति प्रदान करना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. इस प्रकार से संबंधित सारी रिपोर्ट आयोग के समक्ष पेश करने के लिए निर्देश तथा आयोग में इस मामले की सुनवाई अब 15 जनवरी को होगी. आयोग ने कोचिंग में इस तरह गैस से छात्रों के मूर्छित होने को गंभीर विषय माना है.
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आपको बता दें कि इससे पहले जुलाई में दिल्ली कोचिंग हादसे के बाद ग्रेटर नगर निगम प्रशासन की ओर से कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण करते हुए दो बड़े कोचिंग सेंटर्स पर फायर एनओसी नहीं होने के चलते उन्हें सीज किया गया था. उस दौरान निरीक्षण में एक कक्षा कक्ष में 600 से 700 छात्र पढ़ते पाए गए थे और किसी तरह का फायर एग्जिट नहीं होने, बिल्डिंग बायलॉज की पालना नहीं किए जाने के चलते उन्हें सीज किया गया था. इसके बाद निगम फिर 'सो' गया. नियमित निरीक्षण के अभाव में अभी भी कई कोचिंग संस्थानों में कैपेसिटी से ज्यादा छात्रों के पढ़ने और नियमों की पालना नहीं करने की तस्वीरें सामने आती हैं.