जयपुर: शिक्षा विभाग की ओर से जारी शिविरा पंचांग के अनुसार 25 दिसंबर से 5 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश घोषित हैं, लेकिन हाल ही में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से अर्द्धवार्षिक परीक्षा के टाइम टेबल में 17 से 27 दिसंबर तक परीक्षाएं आयोजित करने के निर्देश जारी किए गए हैं. ऐसे में अब शिक्षकों और छात्रों में शीतकालीन अवकाश को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. उन्होंने 25 दिसंबर से पहले ही 26 और 27 दिसंबर को होने वाली परीक्षाएं आयोजित कराने की मांग की है. इधर, एक शिक्षक संगठन ने समान परीक्षा योजना के तहत केंद्रीयकरण के नाम पर वसूली जा रही चार गुना फीस पर भी एतराज जताया है.
प्रदेश में 9वीं से 12वीं तक की परीक्षाएं इस बार समान परीक्षा योजना के तहत राज्य स्तर पर आयोजित कराई जा रही है. इसके तहत 17 से 27 दिसंबर का शेड्यूल जारी किया गया है. हालांकि, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी इस टाइम टेबल पर शिक्षक संगठनों ने आपत्ति जताई है. राजस्थान प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ के नेता अंजनी कुमार शर्मा ने कहा कि 25 दिसंबर से स्कूलों में शीतकालीन अवकाश रहेंगे. ऐसे में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं 25 दिसंबर से पहले संपन्न कराई जाए. विभाग टाइम टेबल में परिवर्तन नहीं करना चाहता तो शिविरा पंचांग में परिवर्तन कर शीतकालीन अवकाश 2 दिन आगे बढ़ाएं. उन्होंने मांग की कि उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो जो शिविरा कैलेंडर को ताक पर रखकर टाइम टेबल जारी करते हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की गलतियों की पुनरावृत्ति ना हो.
ये बोले शिक्षा मंत्री दिलावर: इस संबंध में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि अर्द्धवार्षिक परीक्षा के दौरान शीतकालीन अवकाश की तिथियां का मामला संज्ञान में आया है. इसके लिए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि शिविरा पंचांग में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा. ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं के टाइम टेबल को रिवाइज किया जाएगा.
समान परीक्षा योजना का विरोध: अरस्तु शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने समान परीक्षा योजना का केंद्रीकरण को अभिभावकों की जेब पर डाका बताया. उन्होंने कहा कि करीब 75 साल से सभी जिलों में अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं जिला समान प्रश्न पत्र योजना के तहत होती आ रही हैं. अब 50 जिलों के समान प्रश्न योजना का केंद्रीकरण करके निदेशालय माध्यमिक शिक्षा ने मुद्रण, वितरण सब अपने हाथों में ले लिया है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि समान परीक्षा के नाम पर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय कक्षा 10वीं, 12वीं के करीब 20 लाख बच्चों से 20 रुपए प्रति छात्र और 9वीं 11वीं के 20 लाख छात्रों से 40 रुपए प्रति छात्र वसूले जाएंगे. करीब 12 करोड़ रुपए की वसूली करेगा, जबकि अब तक जिला समान प्रश्न पत्र योजना के तहत अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाओं का मिलाकर 10 रुपए शुल्क लिया जाता रहा है. केन्द्रीकरण के नाम पर निदेशालय ने परीक्षा फीस में चार गुना वृद्धि की है, जो गरीब और आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के अभिभावकों की जेब पर भार है. उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार ने निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान कर रखा है, फ्री यूनिफॉर्म निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, निःशुल्क मिड डे मील उपलब्ध कराया जा रहा है तो परीक्षा शुल्क चार्ज लेकर क्यों कुठाराघात किया जा रहा है.