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कमजोर होने के बाद बैकफुट पर माओवादी, बदलनी पड़ी वोट बहिष्कार की नीति - MAOISTS CHANGED POLICY

Votes boycott during election.चुनाव के दौरान झारखंड पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के कारण भाकपा माओवादियों को अपनी नीति में बदलाव किया है.

Maoists Changed Policy
बैकफुट पर माओवादी. (कॉन्सेप्ट इमेज-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 28, 2024, 1:15 PM IST

पलामूः झारखंड-बिहार में कमजोर होने के बाद भाकपा माओवादी संगठन ने अपनी नीतियों में बदलाव किया है. पुलिस और सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के कारण विधानसभा चुनाव के दौरान माओवादियों ने वोट बहिष्कार की घोषणा नहीं की. पिछले तीन दशक में चुनाव के दौरान यह पहला मौका था, जब माओवादियों के तरफ से वोट बहिष्कार का फरमान जारी नहीं किया गया. झारखंड में विधानसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद माओवादियों के झारखंड-बिहार स्पेशल एरिया कमेटी के तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी किया गया है.

माओवादी संगठन के एरिया कमेटी के प्रवक्ता ने यह रिलीज जारी किया है. जिसमें माओवादी संगठन की ओर से कहा गया है कि वर्तमान हालात में चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार करना या ठुकराना संभव नहीं है. इस लिए विधानसभा चुनाव का बहिष्कार नहीं किया गया है. प्रेस रिलीज में एक राष्ट्रीय पार्टी का जिक्र किया गया है और कहा गया है कि उसके खिलाफ अपील की गई थी.माओवादी संगठन की ओर से जारी प्रेस रिलीज में चुनाव को लेकर कई बातों का जिक्र किया गया है.

बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान माओवादियों ने वोट बहिष्कार को लेकर कई जगह पोस्टरबाजी की थी. लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव में माओवादी कहीं भी वोट बहिष्कार से संबंधित पोस्टर नहीं लगा पाए. हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान माओवादियों ने कई हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया था. पलामू के पिपरा में प्रखंड प्रमुख के पति को बीच बाजार में माओवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. वहीं वोट बहिष्कार को लेकर कई जगह पोस्टरबाजी भी की गई थी.

गौरतलब हो कि माओवादी लगातार वोट बहिष्कार को लेकर हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे. लेकिन पिछले पांच वर्षों में झारखंड के हालात बदले हैं और माओवादी अधिक कमजोर हो गए है. इनके कई ठिकानों पर पुलिस और सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया है. इनकी संख्या सैकड़ों से दर्जन में सिमट गई है.

पलामूः झारखंड-बिहार में कमजोर होने के बाद भाकपा माओवादी संगठन ने अपनी नीतियों में बदलाव किया है. पुलिस और सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के कारण विधानसभा चुनाव के दौरान माओवादियों ने वोट बहिष्कार की घोषणा नहीं की. पिछले तीन दशक में चुनाव के दौरान यह पहला मौका था, जब माओवादियों के तरफ से वोट बहिष्कार का फरमान जारी नहीं किया गया. झारखंड में विधानसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद माओवादियों के झारखंड-बिहार स्पेशल एरिया कमेटी के तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी किया गया है.

माओवादी संगठन के एरिया कमेटी के प्रवक्ता ने यह रिलीज जारी किया है. जिसमें माओवादी संगठन की ओर से कहा गया है कि वर्तमान हालात में चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार करना या ठुकराना संभव नहीं है. इस लिए विधानसभा चुनाव का बहिष्कार नहीं किया गया है. प्रेस रिलीज में एक राष्ट्रीय पार्टी का जिक्र किया गया है और कहा गया है कि उसके खिलाफ अपील की गई थी.माओवादी संगठन की ओर से जारी प्रेस रिलीज में चुनाव को लेकर कई बातों का जिक्र किया गया है.

बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान माओवादियों ने वोट बहिष्कार को लेकर कई जगह पोस्टरबाजी की थी. लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव में माओवादी कहीं भी वोट बहिष्कार से संबंधित पोस्टर नहीं लगा पाए. हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान माओवादियों ने कई हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया था. पलामू के पिपरा में प्रखंड प्रमुख के पति को बीच बाजार में माओवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. वहीं वोट बहिष्कार को लेकर कई जगह पोस्टरबाजी भी की गई थी.

गौरतलब हो कि माओवादी लगातार वोट बहिष्कार को लेकर हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे. लेकिन पिछले पांच वर्षों में झारखंड के हालात बदले हैं और माओवादी अधिक कमजोर हो गए है. इनके कई ठिकानों पर पुलिस और सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया है. इनकी संख्या सैकड़ों से दर्जन में सिमट गई है.

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