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प्रसव के बाद स्तनपान आपके बच्चे को कई रोगों से करता है प्रोटेक्ट - after delivery Breast feeding

प्रसव के बाद बच्चे को स्तनपान कराने से मां के साथ ही बच्चे को भी कई रोगों से प्रोटेक्ट करता है. इससे बच्चे की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है.

AFTER DELIVERY BREAST FEEDING
प्रसव के बाद स्तनपान
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 9, 2024, 6:03 AM IST

प्रसव के बाद स्तनपान क्यों जरूरी

रायपुर: प्रसव के बाद नवजात को स्तनपान बेहद जरूरी होता है. ऐसा माना जाता है कि मां का दूध बच्चे को कई तरह की बीमारी से बचाता है. मां का दूध शिशु के लिए कितना लाभदायक है? कितने साल तक मां का दूध शिशु को दिया जाना चाहिए? प्रसव के बाद स्तनपान कराने से मां और शिशु को किस तरह का फायदा मिलता है? प्रसव के बाद मां शिशु को कितने दिनों तक दूध पिला सकती है? इस बारे में ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना से बातचीत की. आइये स्त्री रोग विशेषज्ञ से जानते हैं कि मां का दूध बच्चे के लिए क्यों और कितना जरूरी होता है...

6 माह तक स्तनपान जरूरी: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया कि, "प्रसव के बाद स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए काफी लाभदायक माना जाता है. शिशु के 6 महीने के होने तक मां का स्तनपान कराया जाना चाहिए. वैसे तो 2 साल तक भी मां का दूध शिशु को दिया जा सकता है. स्तनपान कराना मां और शिशु दोनों के लिए काफी फायदेमंद है. स्तनपान कराने से रक्तस्राव कम होने लगता है. इसके साथ ही बच्चेदानी को वापस पुराने स्थिति में लाने के साथ ही ये बच्चेदानी को छोटा करने में मदद करता है. प्रसव के बाद मां के बढ़े हुए वजन को कम करने में मां का दूध मददगार है. स्तनपान कराने से कैंसर और अंडाशय में होने वाले कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है. स्तनपान कराने से मां के साथ ही बच्चे को भी लाभ मिलता है. कई तरह की बीमारियां कम हो जाती है. मां के द्वारा शिशु को स्तनपान कराए जाने से दोनों के बीच एक भावनात्मक संबंध भी बनता है."

बच्चे का बढ़ता है आईक्यू लेवल: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया कि, "मां का दूध स्वच्छ होने के साथ ही जीवाणु रहित होता है. स्तनपान कराना आसान होता है, लेकिन बाहरी दूध पिलाना कई बार मिलावट की वजह से बच्चे को कई तरह की परेशानी भी होने लगती है. बाहरी दूध पिलाने से शिशु को उल्टी, दस्त, पेट की परेशानी के साथ ही मां के दूध पिलाई जाने से बच्चों में होने वाले कैंसर का रिस्क नहीं रहता. मां का दूध पीने से शिशु को कान से संबंधित होने वाली परेशानी भी नहीं होती. शिशु को आगे चलकर अस्थमा होने की संभावना कम होती है. मां का दूध पीने से शिशु का रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ता है. मां का स्तनपान होने से आगे चलकर बच्चा का आईक्यू भी बढ़ता है. आगे चलकर शक्कर की बीमारी से भी बचाव करने में मदद करता है. इसके साथ ही मोटापे और हृदय रोग से संबंधित समस्या को रोकने में मदद करता है."

ऐसे में स्तनपान कराना मां और बच्चा दोनों के लिए फायदेमंद है. स्तनपान कराने से बच्चा कई तरह की बीमारियों से दूर रहता है. साथ भी बच्चे की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है.

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प्रसव के बाद स्तनपान क्यों जरूरी

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6 माह तक स्तनपान जरूरी: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया कि, "प्रसव के बाद स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए काफी लाभदायक माना जाता है. शिशु के 6 महीने के होने तक मां का स्तनपान कराया जाना चाहिए. वैसे तो 2 साल तक भी मां का दूध शिशु को दिया जा सकता है. स्तनपान कराना मां और शिशु दोनों के लिए काफी फायदेमंद है. स्तनपान कराने से रक्तस्राव कम होने लगता है. इसके साथ ही बच्चेदानी को वापस पुराने स्थिति में लाने के साथ ही ये बच्चेदानी को छोटा करने में मदद करता है. प्रसव के बाद मां के बढ़े हुए वजन को कम करने में मां का दूध मददगार है. स्तनपान कराने से कैंसर और अंडाशय में होने वाले कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है. स्तनपान कराने से मां के साथ ही बच्चे को भी लाभ मिलता है. कई तरह की बीमारियां कम हो जाती है. मां के द्वारा शिशु को स्तनपान कराए जाने से दोनों के बीच एक भावनात्मक संबंध भी बनता है."

बच्चे का बढ़ता है आईक्यू लेवल: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया कि, "मां का दूध स्वच्छ होने के साथ ही जीवाणु रहित होता है. स्तनपान कराना आसान होता है, लेकिन बाहरी दूध पिलाना कई बार मिलावट की वजह से बच्चे को कई तरह की परेशानी भी होने लगती है. बाहरी दूध पिलाने से शिशु को उल्टी, दस्त, पेट की परेशानी के साथ ही मां के दूध पिलाई जाने से बच्चों में होने वाले कैंसर का रिस्क नहीं रहता. मां का दूध पीने से शिशु को कान से संबंधित होने वाली परेशानी भी नहीं होती. शिशु को आगे चलकर अस्थमा होने की संभावना कम होती है. मां का दूध पीने से शिशु का रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ता है. मां का स्तनपान होने से आगे चलकर बच्चा का आईक्यू भी बढ़ता है. आगे चलकर शक्कर की बीमारी से भी बचाव करने में मदद करता है. इसके साथ ही मोटापे और हृदय रोग से संबंधित समस्या को रोकने में मदद करता है."

ऐसे में स्तनपान कराना मां और बच्चा दोनों के लिए फायदेमंद है. स्तनपान कराने से बच्चा कई तरह की बीमारियों से दूर रहता है. साथ भी बच्चे की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है.

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