कोटा: खाद्य सुरक्षा विभाग ने प्रदेश में अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक कुल 9100 लिए हैं. इनमें से 2076 नमूने फेल हुए हैं. यहां तक कि 302 नमूने अमानक पाए गए हैं. यह पूरी तरह से अनसेफ और हानिकारक थे, जिन्हें खाने से लोगों को सेहत पर नुकसान हो सकता था. जबकि 1705 नमूने सब स्टैंडर्ड कैटेगरी में हैं और 69 नमूने मिस ब्रांड हैं. ऐसे में देखा जाए तो राजस्थान में लिए गए 23 फीसदी नमूने फेल हुए हैं.
ऐसे में क्या यह माना जा सकता है कि 23 फीसदी मिलावट है? हालांकि, विभाग के उच्च अधिकारी इसे साफ इनकार कर रहे हैं. प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं ड्रग कंट्रोल कमिश्नर इकबाल खान ने इससे इनकार किया है. उनका कहना है कि विभाग का एक्शन मिलावट खोरी रोकने के लिए है. इसीलिए केवल वही नमूने ज्यादा लिए जाते हैं, जहां पर मिलावटखोरी की आशंका ज्यादा है.
नमूने फेल होने के प्रतिशत में कोटा अव्वल, धौलपुर सबसे पीछे : कोटा जिले में लिए गए नमूनों में से 39.73 फीसदी दिन नमूने फेल हुए हैं, यानी कि लिए गए 375 में से 149 नमूने अप्रैल से अक्टूबर के बीच फेल हो गए हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा फीसदी नमूने फेल होने का रिकॉर्ड कोटा के नाम ही है. दूसरे नंबर पर हाड़ौती का दूसरा जिला बारां है, जहां पर 36.46 फीसदी नमूने फेल हो गए हैं.
इसके बाद राजसमंद, डूंगरपुर और टोंक तीनों जिले 33 फीसदी नमूने फेल होने के रिकॉर्ड के आसपास हैं. जबकि धौलपुर जिले में महज 6.47, करौली में 6.53, भरतपुर में 11.7, जैसलमेर में 12.23 और चूरू में 12.86 फीसदी ही नमूने फेल हुए हैं.
सबसे ज्यादा नमूने जयपुर में लिए, फेल भी वहीं हुए : जयपुर में खाद्य सुरक्षा के दो जिले बने हुए हैं. दोनों का मिलाकर 835 नमूने लिए हैं. इनमें से 216 फेल हुए हैं फेलियर प्रतिशत 25.87 है, लेकिन प्रदेश में सर्वाधिक नमूने लेने और फेल होने का रिकॉर्ड जयपुर के नाम ही है. दूसरे नंबर पर अलवर में 587 नमूने लिए हैं और इनमें 30.49 फीसदी 179 नमूने फेल हो गए हैं. नमूने फेल होने की संख्या में सबसे नीचे धौलपुर है. यहां पर 139 नमूने लिए हैं, जिनमें से 9 नमूने फेल हुए हैं. इसके बाद करौली में 153 में से 10 फेल हुए हैं.
प्रदेश के फूड सेफ्टी और कंट्रोल कमिश्नर इकबाल खान से सीधी बातचीत :
लगातार मिलावट के मामले बढ़ रहे हैं? : विभाग ने सैंपल लेने का टारगेट बढ़ाया है. इसीलिए अब आने वाले समय में भी और ज्यादा नमूने लिए जाएंगे. इसी के चलते मिलावट के मामले पकड़ में आ रहे हैं. विभाग का टारगेट है कि मिलावट खोरी को रोकना है. इसलिए उन्हें एरिया में ज्यादा कार्रवाई की जा रही है. इसलिए सैंपल भी ज्यादा फेल हुए हैं.
मिलावटखोरी मिलने पर क्या एक्शन हो रहा है? : मिलावटखोरों के खिलाफ रेगुलर और सख्त एक्शन लिए गए. इसलिए भी मिलावट के केस ज्यादा आ रहे हैं और लोगों में जागरूकता भी बढ़ रही है. इसके बाद उनके खिलाफ एडीएम और सीजेएम कोर्ट में मामले को पहुंचा कर सजा दिला रहे हैं.
23 फीसदी नमूने फेल हुए हैं तो को प्रदेश में इतनी मिलावट मानी जाए? : ऐसा बिल्कुल भी नहीं माना जा सकता है, क्योंकि नमूने शिकायत के आधार पर ही अधिकांश उठाए गए हैं. हमने रैंडम सैंपलिंग की है. ज्यादा नमूने वहां से उठाएं हैं, जहां पर शिकायत रहती है. इसका उदाहरण है कि कहीं 10 दुकानों पर कार्रवाई हुई, उनमें से आठ सैंपल फेल हो गए तो ऐसा नहीं है कि 80 फीसदी मिलावट है. केवल पर्टिकुलर एरिया में गड़बड़ी हो रही थी, उसे रोका गया है.