शिमला: भारत में इन दिनों महिला सुरक्षा का मुद्दा एक गंभीर चिंता का विषय है. कोलकाता में महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या, कन्नौज में नाबालिग के साथ रेप जैसी घटनाओं ने देश के अंदर गुस्सा पैदा किया है. इस बीच एडीआर यानी Association for Democratic की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिपोर्ट में उन जनप्रतिनिधियों की सूची हैं जिनपर महिला देशभर के ऐसे जनप्रतिनिधियों की सूची जारी की है जिनके खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं. ये रिपोर्ट चुनाव के वक्त उम्मीदवारों द्वारा नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए जाे वाले हलफनामों के आधार पर तैयार की गई है.
कुल 151 जनप्रतिनिधियों का नाम
इस लिस्ट में कुल 151 जनप्रतिनिधियों का नाम है जो इस समय देश की संसद और विधानसभाओं में जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. एडीआर के मुताबिक इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से वर्तमान में 776 में से 755 सांसदों और 4033 में से 3938 वर्तमान विधायकों के एफिडेविट का विश्लेषण किया गया है. जो इन विधायक या सांसदों द्वारा चुनाव लड़ते वक्त नामांकन भरते समय दिया जाता है. इनमें से कुल 151 जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जिनपर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले चल रहे हैं. कुल 151 जनप्रतिनिधियों में से 16 वर्तमान सांसद और 135 वर्तमान विधायक हैं.
14 विधायकों और 2 सांसदों पर महिला से बलात्कार के आरोप
151 वर्तमान सांसद / विधयाक ऐसे हैं, जिन्होंने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से सम्बन्धित मामले घोषित किये हैं, जिसमें स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग (आईपीसी - 354 ) विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना (आईपीसी-366) संबंधी मामले दर्ज हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में 14 विधायकों और 2 सांसदों पर महिला से बलात्कर के आरोप हैं. बीजेपी और कांग्रेस के 5-5 विधायकों/सांसदों पर ये आरोप हैं. इसमें बीजेपी के 3 विधायक और 2 सांसद है. वहीं, कांग्रेस के 5 विधायकों पर इस तरह के आरोप हैं. AITC, AAP, भारत आदिवासी पार्टी,बीजेडी, टीडीपी के एक-एक विधायक शामिल हैं.
पश्चिमी बंगाल सबसे आगे
वर्तमान में पश्चिमी बंगाल में 25, आंध्र प्रदेश में 21 और ओडिशा में 17 विधायको/सांसदों पर महिला अपराध से संबंधित मामले दर्ज हैं, जबकि बीजेपी के 55, कांग्रेस के 44, बीजेपी के 17, आप के 13 विधायक सांसदों इस तरह के आरोप हैं.
वर्तमान में माननीयों पर इस तरह के आपराधिक आरोप लगने के कारण, भारत में चुनाव सुधार की मांग बढ़ती जा रही है. एडीआर रिपोर्ट राजनीतिक दलों के लिए अपने उम्मीदवारों की गहन जांच करने और सार्वजनिक पद चाहने वालों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में मतदाताओं को सूचित करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डालती है. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने के लिए भारतीय राजनीति में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता है. भारत के नागरिको, समाजिक संगठनों और राजनीतिक नेताओं को यह तय करना है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर ना आसीन करें, ताकि देश की अंखडता और राजनीति में सूचिता बरकरार रहे. संविधान की प्रस्तावना में ये साफ लिखा है कि भारतीय संविधान जनता से शक्ति प्राप्त करता है. जनता दागदार छवि वाले नेताओं को ना चुनकर भारतीय राजनीति में सुधार ला सकती है.
हिमाचल के सुदर्शन बबलू पर भी मामला दर्ज
इस सूची में हिमाचल प्रदेश के भी एक जनप्रतिनिधि का नाम शामिल है. गौरतलब है कि हिमाचल में चार लोकसभा और 3 राज्यसभा सांसद आते हैं जबकि 68 विधायक हिमाचल विधानसभा के सदस्य हैं. इनमें से एक विधायक का नाम एडीआर की रिपोर्ट में शामिल है. हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले की चिंतपूर्णी सीट से कांग्रेस विधायक सुदर्शन बबलू पर भी महिला अपराध से जुड़ा मामला दर्ज है. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक उनपर महिला अपराध से जुड़ी आईपीसी की धारा 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) के तहत एक मामला दर्ज है.
वैसे हिमाचल के अलावा मणिपुर, दादर नगर हवेली और दमन और दीव ही दो ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं जहां एक-एक जनप्रतिनिधि के खिलाफ महिला अपराध से जुड़े मामले चल रहे हैं. इसके बाद गोवा, असम में 2-2, पंजाब, झारघंड में 3-3, यूपी, गुजरात, तमिलनाडु में 4-4, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, केरल में 5-5 जनप्रतिनि इस सूची में शामिल हैं. इसके अलावा राजस्थान में 6, कर्नाटक में 7, बिहार में 9, महाराष्ट्र और दिल्ली में 13-13, ओडिशा में 17, आंध्र प्रदेश में 21 और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 25 सांसद या विधायक इस लिस्ट में शामिल हैं.
एडीआर की ओर से चुनाव और जनप्रतिनिधियों की उम्र, शिक्षा, संपत्ति, आपराधिक मामलों आदि से जुड़ी रिपोर्ट समय-समय पर जारी की जाती है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) की ये हालिया रिपोर्ट भारत में मौजूदा संसद सदस्यों और विधायकों के आपराधिक रिकॉर्ड और खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों पर प्रकाश डालती है.
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