बक्सर: बिहार के बक्सर जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित चौसा लगातार कई वर्षों से सुर्खियों में है. यहां 1320 मेगावाट क्षमता के थर्मल प्लांट का निर्माण किसानों और कंपनी के बीच उपजे विवाद के कारण प्रभावित है. चौसा में किसानों का धरना अब स्थानीय प्रशासन के लिए एक मुसीबत बनता जा रहा है. किसान पिछले 4 से 5 दिनों से चौसा पावर प्लांट के मुख्य गेट पर जमे हैं, जिससे प्लांट का काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है.
किसानों को अल्टीमेटम: उच्च न्यायालय पटना का आदेश है कि किसी भी स्थिति में निर्माण कार्य प्रभावित नहीं होना चाहिए. इसी कड़ी में बक्सर सदर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा और एसडीपीओ धीरज कुमार संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि चौसा पावर प्लांट के मुख्य गेट पर किसान अपने मुद्दे को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे काम पूर्ण रूप से प्रभावित हो गया है. किसान मुख्य दरवाजे पर बैठे हुए हैं और मजदूरों या अन्य काम करने वालों को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है.
"किसानों से कई बार बात भी की गई लेकिन कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला. ऐसे में अब किसानों से अंतिम अनुरोध है कि चौसा पावर प्लांट के मुख्य गेट को बक्सर चौसा सड़क तक 24 घंटे के अंदर खाली कर दें, वहां धारा 144 लगाई जा रही है."-धीरेंद्र कुमार मिश्रा, एसडीएम बक्सर
निर्माण कार्य पर लगा ग्रहण: बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्च 2019 में इसका शिलान्यास किया था. यह परियोजना अपने वर्तमान स्वरूप पर आंसू बहा रही है. 660-660 मेगावाट की दो यूनिट की इस परियोजना का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए हजारों मजदूर लगाए गए लेकिन कभी कोरोना तो कभी किसान-कंपनी विवाद से इसके निर्माण की मियाद बढ़ती जा रही है.
क्यों कर रहे हैं किसान प्रदर्शन: बताया गया था कि मार्च 2023 तक प्लांट तैयार हो जाएगा लेकिन नहीं हो सका. फिर दिसंबर 2023 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया फिर भी पूरा नहीं हो पाया. पावर प्लांट परियोजना के लिए दो मुख्य आधार माने जाने वाले वाटर पाइपलाइन और रेलवे कॉरिडोर का निर्माण अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है. इसके लिए अधिगृहित की जाने वाली जमीन के उचित मुआवजे की मांग को लेकर करीब एक साल से किसानों द्वारा शुरू किया गया अनिश्चितकालीन धरना- प्रदर्शन अभी तक जारी है.