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उधार दिए रुपए का स्त्रोत और वित्तीय क्षमता साबित नहीं, अदालत ने खारिज किया परिवाद - Additional Chief Metropolitan Magistrate

अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने चैक अनादरण से जुड़े परिवाद को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने माना कि परिवादी के पास यह राशि देने की वित्तीय क्षमता नहीं थी.

COMPLAINT RELATED TO CHEQUE DISHONOUR,  DISMISSED THE COMPLAINT
अदालत ने खारिज किया परिवाद. (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 8, 2024, 9:52 PM IST

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने 3.5 लाख रुपए वार्षिक आय वाले व्यक्ति की ओर से 19 लाख 84 हजार रुपए बिना ब्याज के उधार देने पर संदेह जताया है. इसके साथ ही अदालत ने इस राशि का चैक अनादरण से जुडे़ परिवाद को खारिज कर दिया है. अदालत ने यह आदेश विजय कुमार जाट की ओर से दायर परिवाद पर दिए.

परिवाद में बताया गया कि उसने अपने परिचित नारायण लाल कुमावत को पत्थर कटिंग मशीन लगाने के लिए 16 अगस्त, 2016 को 19.84 लाख रुपए उधार दिए थे. परिवादी ने जब रुपए वापस मांगे तो नारायण ने उसे इस राशि का चेक दे दिया. जब परिवादी ने जुलाई, 2017 में चेक भुनाने के लिए अपने खाते में लगाया तो वह अपर्याप्त राशि होने के कारण बाउंस हो गया .ऐसे में उसे एनआई एक्ट के तहत चेक राशि की दोगुनी राशि दिलाई जाए और विपक्षी को जेल भेजा जाए.

पढ़ेंः 12 साल से पेंशन नहीं, मौत के बाद विधवा को भी पेंशन नहीं देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - Rajasthan High Court

इसके विरोध में नारायण के अधिवक्ता राम प्रकाश कुमावत ने कहा कि परिवादी ने बयान में माना है कि वह अपने भाई के साथ व्यापार करता है और दोनों मिलाकर तीन साल में करीब पांच लाख रुपए कमाते हैं. परिवादी की वार्षिक आय 1.5 से अधिक नहीं हो सकती. वहीं, परिवादी की ओर से पेश आयकर रिटर्न में उसकी कुल आय 3.5 लाख रुपए बताई गई है. ऐसे में वह 19.84 लाख रुपए कहां से लाएगा. वास्तव में उसने परिवादी को धर्म का भाई बनाकर उसके पास पत्थर कटिंग मशीन के हिसाब-किताब के लिए खाली चेक रखे थे. जिनका परिवादी ने दुरुपयोग किया है. दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत ने माना कि परिवादी के पास यह राशि देने की वित्तीय क्षमता नहीं थी और ना ही उसने इस राशि का स्रोत बताया है. ऐसे में परिवाद को खारिज किया जाता है.

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने 3.5 लाख रुपए वार्षिक आय वाले व्यक्ति की ओर से 19 लाख 84 हजार रुपए बिना ब्याज के उधार देने पर संदेह जताया है. इसके साथ ही अदालत ने इस राशि का चैक अनादरण से जुडे़ परिवाद को खारिज कर दिया है. अदालत ने यह आदेश विजय कुमार जाट की ओर से दायर परिवाद पर दिए.

परिवाद में बताया गया कि उसने अपने परिचित नारायण लाल कुमावत को पत्थर कटिंग मशीन लगाने के लिए 16 अगस्त, 2016 को 19.84 लाख रुपए उधार दिए थे. परिवादी ने जब रुपए वापस मांगे तो नारायण ने उसे इस राशि का चेक दे दिया. जब परिवादी ने जुलाई, 2017 में चेक भुनाने के लिए अपने खाते में लगाया तो वह अपर्याप्त राशि होने के कारण बाउंस हो गया .ऐसे में उसे एनआई एक्ट के तहत चेक राशि की दोगुनी राशि दिलाई जाए और विपक्षी को जेल भेजा जाए.

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इसके विरोध में नारायण के अधिवक्ता राम प्रकाश कुमावत ने कहा कि परिवादी ने बयान में माना है कि वह अपने भाई के साथ व्यापार करता है और दोनों मिलाकर तीन साल में करीब पांच लाख रुपए कमाते हैं. परिवादी की वार्षिक आय 1.5 से अधिक नहीं हो सकती. वहीं, परिवादी की ओर से पेश आयकर रिटर्न में उसकी कुल आय 3.5 लाख रुपए बताई गई है. ऐसे में वह 19.84 लाख रुपए कहां से लाएगा. वास्तव में उसने परिवादी को धर्म का भाई बनाकर उसके पास पत्थर कटिंग मशीन के हिसाब-किताब के लिए खाली चेक रखे थे. जिनका परिवादी ने दुरुपयोग किया है. दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत ने माना कि परिवादी के पास यह राशि देने की वित्तीय क्षमता नहीं थी और ना ही उसने इस राशि का स्रोत बताया है. ऐसे में परिवाद को खारिज किया जाता है.

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