जयपुर. हेरिटेज निगम ने अग्निशमन यंत्रों में खामी पाए जाने पर बुधवार को 21 कमर्शियल भवनों के खिलाफ कार्रवाई की. राजकोट और दिल्ली में हुई आगजनी की घटना से सबक लेकर जयपुर के दोनों निगमों की अग्निशमन शाखा अस्पतालों, गेम जोन, कमर्शियल भवनों और मेलों का निरीक्षण कर रही है. यहां अग्निशमन मानकों को परखते हुए फायर एनओसी और फायर इक्विपमेंट की जांच भी की जा रही है. अंतर सिर्फ इतना सा है कि ग्रेटर निगम फायर एनओसी नहीं मिलने पर सीलिंग की कार्रवाई कर रहा है, जबकि हेरिटेज निगम पांच-पांच हजार का चालान काट रहा है.
फायर सेफ्टी में खामी : आयुक्त अभिषेक सुराणा के निर्देश पर आदर्श नगर जोन एवं फायर उपायुक्त युगांतर शर्मा के नेतृत्व में चालान किए गए. इस संबंध में डीसी फायर युगांतर शर्मा ने बताया कि गुजरात के राजकोट अग्निकांड के बाद निगम आयुक्त ने स्कूल, गेमिंग जोन, अस्पताल सहित अन्य कमर्शियल भवनों के निरीक्षण के निर्देश दिए थे. इस पर फायर शाखा के अधिकारियों के साथ बुधवार को हेरिटेज निगम क्षेत्र में चारों जोन में 50 कमर्शियल भवनों का औचक निरीक्षण किया गया, जिनमें 21 भवनों में फायर सेफ्टी में खामी नजर आई. ऐसे में हेरिटेज निगम की ओर से सभी 21 भवनों का पांच-पांच हजार रूपए का चालान किया गया. उन्होंने भवन मालिक को सख्त निर्देश भी दिए कि भविष्य में खमियां नहीं सुधारी गई तो सीजर की कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा फायर शाखा ने जोरावर सिंह गेट स्थित प्रेम गार्डन, सुभाष चौक स्थित वी मार्ट, ब्रह्मपुरी थाने के पीछे वैक्स म्यूजियम, आमेर रोड स्थित होटल विंड पर भी कार्रवाई की.
हालांकि हेरिटेज नगर निगम के अलावा प्रदेश के अन्य नगरीय निकायों खासकर ग्रेटर निगम तो सीधे सीलिंग की कार्रवाई कर रहा है. इस पर हेरिटेज नगर निगम के कमिश्नर अभिषेक सुराणा ने बताया कि राजकोट में जो दुखान्तिका हुई है, उसे ध्यान में रखते हुए, उन सभी संस्थान की जांच की जा रही है जिन्हें फायर एनओसी लेना अनिवार्य है. उन सभी की जांच कराई जा रही है और जहां कहीं वायलेशन पाया जाएगा, उनके खिलाफ नगर पालिका अधिनियम 2009 के तहत विभिन्न धाराओं में कार्रवाई की जाएगी. इस निरीक्षण के दौरान फायर सेफ्टी की जांच की जाएगी, जिसमें उन्होंने फायर एनओसी ले रखी है या नहीं, अगर फायर एनओसी ले रखी है तो जो इक्विपमेंट लगे हैं वो वर्किंग है या नहीं. और नियमों के विरुद्ध पाए जाने पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोशिश यही है कि इस कमी की वजह से जयपुर में किसी तरह की अनहोनी ना हो. उन्होंने स्पष्ट किया कि नगर पालिका अधिनियम में पहले शास्ति और उसके बाद सीजर की कार्रवाई के निर्देश हैं, उसी के तहत कार्रवाई की जा रही है.