बालोद: प्रदेश में आगामी बोर्ड एग्जाम को देखते हुए न्यायालय ने डीजे बजाने के लिए समय सीमा तय कर दी है. इसके बाद से पुलिस विभाग द्वारा नियम तोड़ने वाले डीजे संचालकों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है. पुलिस कार्रवाई से नाराज डीजे संचालक प्रशासन से चर्चा करने पहुंचे. उनका कहना है कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान साउंड सिस्टम वालों को भी पक्षकार बनाना था, ताकि वे अपनी बात कोर्ट में रख सकें.
पुलिस की कार्रवाई से डीजे संचालक परेशान: दरअसल, पुलिस द्वारा डीजे उपकरणों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है. डीजे संचालक लगातार हो रही कार्रवाई से परेशान हैं. उनका कहना है कि जो छोटे-छोटे साउंड सिस्टम वाले हैं, जिनकी आवाज बेहद कम होती है, उन पर भी कार्रवाई की जा रही है, जो कि गलत है. यदि 10:00 बजे के बाद डीजे बजाया जाता है तो करवाई डीजे संचालकों पर नहीं, बल्कि जिनके घर डीजे बजाया जा रहा है, उन पर होनी चाहिए. साउंड सिस्टम संचालक लगातार हो रही कार्रवाई से परेशान हैं.
यह ठीक है कि तेज आवाज वाले डीजे पर कार्रवाई की जा रही है. पर छोटे छोटे साउंड सिस्टम वाले हैं, उन पर भी कार्रवाई की जा रही है. यह गलत है, क्योंकि इंस्ट्रूमेंट जो बजते हैं, उनकी आवाज बेहद सामान्य रहती है. - तरुण राठी, अध्यक्ष, डीजे साउंड सिस्टम यूनियन
"परिवार पालने में हो रही दिक्कत": साउंड यूनियन सदस्य उत्तरा कुमार ने बताया, "हम सब बैठकर अपनी मांगों को रखने आए हैं. हमारे छोटे छोटे परिवार हैं. कमाई नहीं होने से उन्हें परिवार पालने में दिक्कत हो रही है. साउंड सिस्टम में कर्मचारी हैं, उनको भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर इसी तरह कार्रवाई होती रही तो हम व्यापार नहीं कर पाएंगे. इतनी पाबंदियों में काम करना मुश्किल हो रहा है."
"साउंड सिस्टम वालों को भी बनाना था पक्षकार": साउंड यूनियन के सदस्यों ने बताया, "साउंड मापने की मशीन है, उसकी मापन क्षमता को इतना काम दिया गया है, जिसके मुताबिक डीजे तो क्या सामान्य साउंड बजाना भी मुश्किल होगा." साउंड यूनियन की तरफ से यह भी कहा गया कि "जब न्यायालय में इस विषय पर चर्चा हुई तो साउंड सिस्टम वालों को भी पक्षकार बनाना था, ताकि वह अपनी बातों को रख सकें. जितनी क्षमता दी गई है, उतने में काम करना बहुत मुश्किल है.आज हम सब अपनी मांगों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने आये हैं. आगे क्या होता है, यह समय बताएगा."
क्यों हैं डीजे संचालक नाराज: आपको बता दें कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद डीजे और धूमाल बैंड संचालकों पर कार्रवाई की जा रही है. डीजे संचालकों की मांग है कि केंद्र और राज्य सरकार विधेयक लाकर 65 वर्ष पुराने 60 डीबी वाले कानून में आज के समय के हिसाब से संशोधन करे. साथ ही साउंड लिमिटर का प्रयोग करने वाले निर्णय को वापस लिया जाए. साउंड यूनियन की तरफ से यह भी कहा गया कि जब न्यायालय में इस विषय पर चर्चा हुई तो साउंड सिस्टम वालों को भी पक्षकार बनाना था, ताकि वह अपनी बातों को रख सकें.