रुड़की: निजी अस्पतालों पर लगाम लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार कार्रवाई कर रहा है. इसी क्रम में आज हरिद्वार एसीएमओ डॉक्टर अनिल वर्मा रुड़की पहुंचे और जांच-पड़ताल की. इसी बीच उन्होंने एक निजी अस्पताल को बंद कराया और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाने की कार्रवाई की.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की सख्त चेतावनी के बाद भी निजी अस्पताल संचालक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. दरअसल कुछ दिनों पहले रुड़की में कई निजी हॉस्पिटलों में महिलाओं के प्रसव के बाद मौत के मामले सामने आ चुके हैं. हाल ही में एसीएमओ द्वारा एक निजी हॉस्पिटल पर कार्रवाई भी की गई थी, जिसके बाद हॉस्पिटल को सील कर दिया गया था, लेकिन हॉस्पिटल संचालक द्वारा हॉस्पिटल के बोर्ड बदल दिए गए और हॉस्पिटल को खोल लिया गया.
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही डायमंड हॉस्पिटल में एक महिला की प्रसव के बाद मौत हो गई थी और महिला के पति ने आरोप लगाया था कि उन्हें सिविल अस्पताल से बहला-फुसलाकर लाया गया था और इस हॉस्पिटल की लापरवाही के चलते उनकी पत्नी की मौत हुई है. जिसके बाद सूचना पाकर स्वास्थ्य विभाग से एसीएमओ अनिल वर्मा ने रुड़की पहुंचकर हॉस्पिटल में ताला लगवा दिया था और पूरे मामले के जांच के निर्देश दिए थे. हालांकि अभी जांच पूरी भी नहीं हुई थी कि बिना किसी आदेश के इस हॉस्पिटल पर डायमंड अस्पताल के बदले जीवनदीप नर्सिंग होम का बोर्ड लगाकर अस्पताल को खोल दिया गया.
एसीएमओ अनिल वर्मा ने कहा कि ऐसे कोई आदेश नहीं हुए हैं. इसी को लेकर आज वो रुड़की पहुंचे और अस्पताल का निरीक्षण किया. साथ ही अस्पताल संचालक को तुरंत बोर्ड हटाने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर बोर्ड नहीं हटाए गए तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही स्वास्थ्य विभाग का आमजन के जीवन से खिलवाड़ करने वाले अस्पतालों के खिलाफ अभियान जारी है और लगातार कार्रवाई जारी रहेगी.
हालांकि हॉस्पिटल संचालक को टीम के आने की भनक लगने के बाद मौके पर दोबारा ताले लगा दिए गए, लेकिन हॉस्पिटल पर जो बोर्ड लगा हुआ था, वह बोर्ड डायमंड हॉस्पिटल की जगह जीवनदीप नर्सिंग होम पाया गया. साथ ही एसीएमओ ने पास में ही दूसरे अमृत हॉस्पिटल को भी बंद कराया गया, जो पहले ग्लोबल अस्पताल के नाम से बंद कराया गया था. इस अस्पताल पर भी कोई रजिस्ट्रेशन नहीं मिला. रुड़की क्षेत्र में कई ऐसे हॉस्पिटल हैं, जहां पर बोर्ड तो बड़े-बड़े लगे होते हैं और जिसके नाम का बोर्ड अस्पताल पर लगा होता है. वही, डॉक्टर मौके पर मौजूद नहीं होता.
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