रायपुर : राजभवन में पुरस्कृत होने के बाद बातचीत के दौरान डॉक्टर रश्मि सिंह धुर्वे ने बताया कि उन्हें डॉ.पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यह राज्य स्तरीय पुरस्कार विशेष रूप से लेखन से संबंधित क्षेत्र में काम करने वालों को दिया जाता है. अब तक मेरी 12 राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रों का प्रकाशन हो चुका है. जो हमारे सामाजिक सरोकार से संबंधित है.हाल ही में एजुकेशन सिस्टम पर एक पुस्तक लिखी गई है, इसके अलावा 11 साल तक प्रभारी प्राचार्य के तौर पर अपने विद्यालय के लिए काम किया है. जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में गरीब आदिवासी अंचल में बसा हुआ विद्यालय था.स्वच्छता शैक्षिक दृष्टि सहित हर तरीके से काफी पिछड़ा हुआ था.वहां मूलभूत संसाधन नहीं थे. वहां बच्चों की संख्या भी काफी कम थी.
डॉ रश्मि सिंह धुर्वे ने बताया कि जब उनकी लगभग 11 वर्ष पहले यहां पोस्टिंग हुई थी. तो उसे दौरान उन्होंने संकल्प ले लिया था कि अपने विद्यालय को विकास के नए आयाम पर पहुंचाऊंगी. हमारे विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 10 थी आज 200 हो गई है. हमारा परीक्षा परिणाम जो 20-30% होता है आज 76 प्रतिशत हो गया है.
''हमारा विद्यालय शैक्षणिक साहित्यिक हर गतिविधियों में आगे है. स्वच्छता की नेशनल प्रतियोगिता में भी हमारे विद्यालय ने राज्य स्तरीय सम्मान में प्राप्त किया है. शिक्षा मंत्री ने उन्हें सम्मानित किया और इन बच्चों ने छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व नेशनल लेवल पर भी किया है. मेरे इन्हीं प्रयासों के लिए पूर्व में भी राज्यपाल के द्वारा सम्मानित किया गया है यूनिसेफ ने भी हमारे नवाचार के प्रयासों को मॉडल के रूप में लिया है.'' डॉक्टर रश्मि सिंह धुर्वे, शिक्षिका तखतपुर
रश्मि धुर्वे ने बताया कि जब स्कूल में जॉइनिंग हुई वहां महज 10 बच्चे आते थे, उसे दौरान उन्हें लगा कि शिक्षक के तौर पर बेहतर कार्य करने के लिए इससे अच्छा अवसर कहीं नहीं मिलेगा. उन विषम चुनौतियों में कार्य किया और मुझे बहुत खुशी होती है कि उस विद्यालय में बच्चे उत्साह से आते हैं. मुझे बच्चों की मुस्कुराहट में एक सबसे बड़ा सम्मान मिल जाता है.
पहले और आज की शिक्षा में कितना अंतर आया है इस सवाल के जवाब में रश्मि ने कहा कि पहले और आज के शिक्षा में अंतर है.नवाचार का मतलब ही यही है कि आप इस प्रकार से कुछ नया करके पढ़ाइए कि बच्चे बोरियत महसूस ना करें. बच्चे सरल तरीके से और मनोरंजन के जरिए पढ़ सके. जो नवाचार पुस्तक प्रकाशित की जा रही है.हम लोग जो कई तरीके को उसमें अपना रहे हैं. जिससे बच्चे पढ़ाई की प्रति और ज्यादा उत्साह और आनंद से शिक्षा ग्रहण कर सके.
क्यों बच्चे जाते हैं प्राइवेट स्कूल ? : रश्मि ने बच्चों के प्राइवेट स्कूल की ओर जाने की वजह भी स्पष्ट की. उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग चाहते हैं कि पढ़ाई के माध्यम इंग्लिश होना चाहिए. हमारी मातृभाषा से हम जुड़े हुए हैं. मातृभाषा को ही प्रतिसाद करते हैं. सरकारी विद्यालयों की पढ़ाई सबसे बेहतर है.इस दौरान रश्मि ने शासकीय शिक्षकों भी संदेश दिया कि वह यदि स्कूलों पर ध्यान दें. बच्चों की अच्छी पढ़ाई कराकर आप भी सम्मान हासिल कर सकते हैं.
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