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नाबालिग से दुष्कर्म का आरोपी पैरोल से फरार, जेल प्रशासन ने थाने में दर्ज कराया मामला - Convicted prisoner absconds

Rape Accused Absconds from Parole, अजमेर सेंट्रल जेल का सजायाफ्ता कैदी पैरोल से फरार हो गया. आरोपी को नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. वहीं, हाईकोर्ट के आदेश पर उसे कुछ समय के लिए पैरोल पर रिहा किया गया था, लेकिन समय खत्म होने के बाद भी जब आरोपी जेल नहीं लौटा तो फिर जेल प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज करवाया.

Rape Accused Absconds from Parole
Rape Accused Absconds from Parole
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 15, 2024, 3:38 PM IST

अजमेर. अजमेर केंद्रीय कारागार में सजायाफ्ता कैदी पैरोल से फरार हो गया. आरोपी ने 13 साल की नाबालिग बच्ची को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. इस मामले में पॉक्सो एक्ट प्रकरण की विशेष अदालत संख्या एक ने उसे सजा सुनाई थी. वहीं, पैरोल की अवधि खत्म होने के बाद जब आरोपी जेल नहीं लौटा तो जेल प्रशासन की ओर से उसके खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया.

केंद्रीय कारागार अधीक्षक की ओर से सिविल लाइन थाने में पैरोल से फरार कैदी सांवरलाल माली के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है. आरोपी सांवरलाल केकड़ी के जयपुर रोड स्थित पोकी नाड़ी का निवासी है. वो 2 जून, 2023 से केंद्रीय कारागार में सजा काट रहा था. कैदी को जोधपुर हाईकोर्ट में दायर रिट पर पैरोल के लिए 20 मार्च, 2024 को दिए आदेश की पालना के तहत 30 मार्च, 2024 को आपात पैरोल के तहत 15 दिन के लिए रिहा किया गया था. 13 अप्रैल, 2024 को उसकी पैरोल की अवधि समाप्त हो गई. बावजूद इसके वो जेल नहीं लौटा. इस पर जेल प्रशासन की ओर से उसके खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है. एएसआई कृष्ण कुमार इस पूरे मामले की जांच कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें - दो नाबालिग बहनों के साथ दुष्कर्म का आरोपी गिरफ्तार, दोनों ने कर ली थी आत्महत्या

जानें पूरा मामला : 13 साल की नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के मामले में अजमेर की पॉक्सो एक्ट प्रकरण की विशेष कोर्ट संख्या एक ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट के मुताबिक आरोपी को शेष प्राकृतिक जीवन जीने तक जेल में ही रहना होगा. साथ ही 58 हजार रुपए का जुर्माना भी आरोपी पर लगाया था. यह प्रकरण केकड़ी थाना क्षेत्र का था. 27 अप्रैल, 2020 को केकड़ी थाने में पीड़िता के पिता ने रिपोर्ट दिया था, जिसमें उसने बताया कि वो किसान है और खेती का काम करता है. घटना वाले दिन उसकी पत्नी रात को करीब साढ़े तीन बजे उठी, लेकिन घर पर बच्ची नहीं थी. ऐसे में वो लोग परेशान हो गए और आसपास बच्ची की तलाश करने किए. बावजूद उसका कहीं भी कुछ पता नहीं चला.

इस पर पीड़िता के पिता ने अपने ससुर को बेटी के लापता होने की सूचना दी. इस पर ससुर दामाद के खेत की ओर बढ़ने लगे. इसी बीच सड़क पर बदहवास और लहूलुहान हालत में नाबालिग बच्ची चिल्लाती मिली. पीड़िता ने बताया कि एक व्यक्ति उसे रात को सोते समय उठाकर लाया और फिर उसके साथ उसने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. वहीं, इसके बाद पीड़िता को इलाज के लिए केकड़ी अस्पताल ले जाया गया, जहां हालत गंभीर होने पर उसे भर्ती कर लिया गया. इधर, पीड़िता के पिता की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर केकड़ी पुलिस ने फरार आरोपी को गिरफ्तार किया.

इसे भी पढ़ें - नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा

इस मामले में केकड़ी पुलिस ने केकड़ी के 28 वर्षीय जयपुर रोड निवासी सांवरलाल माली को गिरफ्तार किया था. रात में अंधेरे के कारण पीड़िता आरोपी को पहचान नहीं पाई, लेकिन डीएनए और मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई थी. अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 50 दस्तावेज और 19 गवाह पेश किए गए थे. जज बीएल जाट ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपी ने घृणित कृत्य किया है. आरोपी के प्रति किसी भी तरह की नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता है. आरोपी ने गंभीर प्रकृति का अपराध किया है. इसके लिए उसे अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाते हुए आजीवन कारावास (प्राकृतिक जीवन जीने तक) और 58 हजार के अर्थदंड से दंडित किया था.

अजमेर. अजमेर केंद्रीय कारागार में सजायाफ्ता कैदी पैरोल से फरार हो गया. आरोपी ने 13 साल की नाबालिग बच्ची को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. इस मामले में पॉक्सो एक्ट प्रकरण की विशेष अदालत संख्या एक ने उसे सजा सुनाई थी. वहीं, पैरोल की अवधि खत्म होने के बाद जब आरोपी जेल नहीं लौटा तो जेल प्रशासन की ओर से उसके खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया.

केंद्रीय कारागार अधीक्षक की ओर से सिविल लाइन थाने में पैरोल से फरार कैदी सांवरलाल माली के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है. आरोपी सांवरलाल केकड़ी के जयपुर रोड स्थित पोकी नाड़ी का निवासी है. वो 2 जून, 2023 से केंद्रीय कारागार में सजा काट रहा था. कैदी को जोधपुर हाईकोर्ट में दायर रिट पर पैरोल के लिए 20 मार्च, 2024 को दिए आदेश की पालना के तहत 30 मार्च, 2024 को आपात पैरोल के तहत 15 दिन के लिए रिहा किया गया था. 13 अप्रैल, 2024 को उसकी पैरोल की अवधि समाप्त हो गई. बावजूद इसके वो जेल नहीं लौटा. इस पर जेल प्रशासन की ओर से उसके खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है. एएसआई कृष्ण कुमार इस पूरे मामले की जांच कर रहे हैं.

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जानें पूरा मामला : 13 साल की नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के मामले में अजमेर की पॉक्सो एक्ट प्रकरण की विशेष कोर्ट संख्या एक ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट के मुताबिक आरोपी को शेष प्राकृतिक जीवन जीने तक जेल में ही रहना होगा. साथ ही 58 हजार रुपए का जुर्माना भी आरोपी पर लगाया था. यह प्रकरण केकड़ी थाना क्षेत्र का था. 27 अप्रैल, 2020 को केकड़ी थाने में पीड़िता के पिता ने रिपोर्ट दिया था, जिसमें उसने बताया कि वो किसान है और खेती का काम करता है. घटना वाले दिन उसकी पत्नी रात को करीब साढ़े तीन बजे उठी, लेकिन घर पर बच्ची नहीं थी. ऐसे में वो लोग परेशान हो गए और आसपास बच्ची की तलाश करने किए. बावजूद उसका कहीं भी कुछ पता नहीं चला.

इस पर पीड़िता के पिता ने अपने ससुर को बेटी के लापता होने की सूचना दी. इस पर ससुर दामाद के खेत की ओर बढ़ने लगे. इसी बीच सड़क पर बदहवास और लहूलुहान हालत में नाबालिग बच्ची चिल्लाती मिली. पीड़िता ने बताया कि एक व्यक्ति उसे रात को सोते समय उठाकर लाया और फिर उसके साथ उसने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. वहीं, इसके बाद पीड़िता को इलाज के लिए केकड़ी अस्पताल ले जाया गया, जहां हालत गंभीर होने पर उसे भर्ती कर लिया गया. इधर, पीड़िता के पिता की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर केकड़ी पुलिस ने फरार आरोपी को गिरफ्तार किया.

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इस मामले में केकड़ी पुलिस ने केकड़ी के 28 वर्षीय जयपुर रोड निवासी सांवरलाल माली को गिरफ्तार किया था. रात में अंधेरे के कारण पीड़िता आरोपी को पहचान नहीं पाई, लेकिन डीएनए और मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई थी. अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 50 दस्तावेज और 19 गवाह पेश किए गए थे. जज बीएल जाट ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपी ने घृणित कृत्य किया है. आरोपी के प्रति किसी भी तरह की नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता है. आरोपी ने गंभीर प्रकृति का अपराध किया है. इसके लिए उसे अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाते हुए आजीवन कारावास (प्राकृतिक जीवन जीने तक) और 58 हजार के अर्थदंड से दंडित किया था.

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