नई दिल्ली: दिल्ली के पालम इलाके में नालों की साफ सफाई में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच अब एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) करेगी. उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से इस कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच एसीबी से कराने के आदेश दिए थे. इस संबंध में सतर्कता निदेशालय, दिल्ली सरकार की ओर से 11 सितंबर 2024 को एक पत्र एसीबी चीफ को लिखा गया था, जिसके बाद अब एसीबी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है.
बीजेपी पार्षद ने की थी भ्रष्टाचार की शिकायत: दरअसल, इस संबंध में एक लिखित शिकायत नजफगढ़ से बीजेपी के पार्षद और एडवोकेट अमित खड़खड़ी की ओर से उपराज्यपाल को दी गई थी. Fसमें लोक निर्माण विभाग के कई अधिकारियों पर नालों की डिसिल्टिंग कार्यों के नाम पर फर्जी भुगतान, टेंडर की दरों में अत्यधिक बढ़ोतरी, फर्जी बिलिंग समेत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने के गंभीर आरोप लगाए थे. यह पूरा मामला खासकर लोक निर्माण विभाग के साउथ-वेस्ट रोड-I (SWR-I) और साउथ-वेस्ट रोड-II (एसडब्ल्यूआर-II) डिविजनों के वर्ष 2021-22 से 2024-25 में किए डिसिल्टिंग कार्यों से जुड़ा है.
कदाचार और भ्रष्ट गतिविधियों को लेकर यह लगे बड़े आरोप
- कथित पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने तमाम कार्यों में बिलों को बढ़ाने के लिए नालियों की वास्तविक लंबाई में हेरफेर किया जिससे ठेकेदार को अनुचित लाभ हुआ.
- लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की ओर से गैर-मौजूद कार्यों के लिए फर्जी कार्य दिखाकर और फर्जी सर्टिफिकेट के जरिये ठेकेदार को धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से भुगतान किये गये.
- लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी दो अलग-अलग निविदाओं में एक ही क्षेत्र की डीसिल्टिंग को शामिल करके कार्यों की ओवरलैपिंग की गई, जिसके चलते एक ही काम के लिए ठेकेदार को डबल पेमेंट की गई.
- निविदाओं में हेरफेर करके और अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करके एक ही ठेकेदार को अत्यधिक बढ़ी हुई दरों पर कई टेंडर दिए गए.
- डिसिल्टिंग कार्यों से संबंधित बिलों को सुपर सकर मशीनों का उपयोग दिखाकर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, जबकि वास्तव में सफाई मैन्युअल रूप से की गई थी.
- पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की ओर से 7 अलग-अलग एनआईटी गैरकानूनी तरीके से जारी करके गंभीर अनियमितताएं और शक्ति का दुरुपयोग किया गया. इसके अलावा, इन एनआईटी में वास्तविक निविदा लागत दरों में अत्यधिक वृद्धि और धन का दुरुपयोग किया गया.
- लगातार चार सालों तक फर्जी बिल के आधार पर भुगतान किया गया जिसमें 78.40 करोड़ रुपये एक ही ठेकेदार को दिए गए हैं.
एसीबी चीफ ज्वाइंट सीपी मधुर वर्मा ने बताया कि शिकायत में कहा गया है कि ठेकेदार अन्य ज्ञात/अज्ञात पीडब्ल्यूडी अधिकारियों/लोक सेवकों/निजी व्यक्तियों आदि के साथ मिलकर इस मामले में सक्रिय रूप से शामिल है, जिसकी वजह से सरकार को राजकोषीय नुकसान हुआ है.
इन धाराओं में मामला दर्जः इस शिकायत के आधार पर एसीबी ने तत्काल मामले में पीओसी अधिनियम की धारा 7 ए के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 316(5)/318(4)/338/340(2)/61(2) के तहत मामला दर्ज किया है. पूरी साजिश का पता लगाने और मामले में शामिल ज्ञात/अज्ञात पीडब्ल्यूडी अधिकारियों/लोक सेवकों/निजी व्यक्तियों की भूमिका/अभियोजन तय करने के लिए एक व्यवस्थित जांच शुरू की गई है.
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