पटना : निगरानी विभाग ने माना कि बिहार में नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के 20% फोल्डर गायब हैं. बिहार में भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ निगरानी विभाग की कार्रवाई लगातार जारी है और आगे भी जारी रहेगी. आज निगरानी विभाग के द्वारा किये गए प्रेस कॉन्फ्रेंस में गृह विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी, निगरानी ADG पंकज दराद ने विभाग के द्वारा किए गए कामों की जानकारी साझा की.
70,585 से अधिक नियोजित शिक्षकों के फोल्डर गायब : गृह सचिव अरविंद चौधरी ने नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच को लेकर एक बड़ी जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच के क्रम में 2768 अभियुक्तों के खिलाफ 1563 मामले सम्बद्ध जिलों में दर्ज किए गए हैं. 2006 से कुल 3 लाख 52 हजार 927 मामलों की जांच की जा रही है. 80 प्रतिशत फोल्डर मिले, जिसकी जांच की गई जबकि 20% नियोजित शिक्षकों के फोल्डर गायब हैं, जो अभी तक उपलब्ध नहीं करवाया गया है.
''नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों में बिहार के बाहर के 354 संस्थाओं के प्रमाण पत्र पर नौकरी की जा रही है. उन शैक्षिक संस्थाओं के प्रमाण पत्रों की जांच वहां से करवाई जा रही है.''- अरविंद चौधरी, प्रधान सचिव, गृह विभाग, बिहार
10 महीने में 13 मामले दर्ज : अरविंद चौधरी ने बताया कि निगरानी विभाग के द्वारा दी गई जानकारी में वर्ष 1-1-2024 से 31-10-2024 तक कुल 13 प्राथमिकी दर्ज की गई. जिसमें पैड के दुरुपयोग के 5 मामले, आय से अधिक संपत्ति के 2 मामले और रिश्वत लेते हुए 6 मामले दर्ज किए गए. घर की तलाशी के क्रम में 3 लाख 18 हजार नकद, 5 लाख 88 हजार 321 रु के आभूषण और रिश्वत लेते हुए 4 लाख 89 हजार रु जब्त किए गए.
''निगरानी विभाग पटना ने अपने अनुसंधान में 13 मामलों में 15 करोड़ 75 लाख 54 हजार 287 रुपये की चल और अचल की अवैध संपत्ति का पता चला. निगरानी विभाग के विशेष न्यायालय द्वारा 15 लोकसेवकों को सजा दी गई.''- अरविंद चौधरी, प्रधान सचिव, गृह विभाग, बिहार
'साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई' : निगरानी के एडीजी पंकज कुमार दराद ने बताया कि 2007 से यह विभाग काम कर रहा है. अब तक कुल 52 कांडों में प्राथमिकी विभाग के द्वारा दर्ज की गयी है. जिसमें 43 केस आय से अधिक संपत्ति के मामले हैं. 26 मामलों में विभाग द्वारा चार्जशीट दाखिल कर दिया गया है और 27 मामले का अनुसंधान चल रहा है. विभाग का प्रयास रहता है कि जिस भी केस में जो साक्षी रहते हैं उसके आधार पर कार्रवाई की जा सके.
भ्रष्ट अधिकारियों से मिली करोड़ों की संपत्ति : जनवरी 2024 से अक्टूबर 2024 तक लोकसेवकों के खिलाफ 23 करोड़ 57 लाख 77 हजार 60 रु का 25 पत्र जारी किया गया है. निगरानी विभाग के द्वारा सभी मामलों की जानकारी के लिए NIC पोर्टल का निर्माण किया गया है. जिसपर सभी मामलों की जानकारी अपलोड किया जाता है.
''वर्ष 1-1-2020 से 31-10-2024 तक घूस लेते 148 मामले, पद के दुरुपयोग के 25, धनार्जन के 43 मामले दर्ज किए गए. ट्रैप के 172 मामले में गिरफ्तार लोगों के पास से 80 लाख 5 हजार रु और 30 लाख 19 हजार 300 रु बरामद किए गए. 01-01-2020 से 31-10-2024 तक आय से अधिक संपत्ति के 43 मामलों में 46 करोड़ 68 लाख 91 हजार 486 रु की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया गया.''- पंकज कुमार दराद, एडीजी, निगरानी विभाग
1981 में हुआ निगरानी का गठन : बता दें कि बिहार में निगरानी विभाग का गठन 26 फरवरी 1981को हुआ था. लोक शिकायत अधिनियम 1988 के तहत कांडों के निपटारा के लिए बिहार में तीन विशेष निगरानी न्यायालय पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में कार्यरत है. पटना में 11, मुजफ्फरपुर में 4 ओर भागलपुर में 2 विशेष लोक अभियोजक काम कर रहे हैं.
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