नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) द्वारा गैर-नेट-जेआरएफ विषयों की पीएचडी प्रवेश परीक्षाओं का जो आयोजन होना है. सूत्रों के अनुसार, इस परीक्षा का आयोजन केवल दिल्ली में किया जा रहा है, जबकि इसके लिए देश भर के छात्र तैयारी करते हैं. इसमें लेबर स्ट्डीज, कोरियन, सामाजिक बहिष्कार और समावेशी योजना, आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स विषय शामिल हैं. यह निर्णय देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले गरीब छात्रों के लिए कठिनाइयों का कारण बनेगा, जो इस परीक्षा में भाग लेने के लिए दिल्ली आने में असमर्थ हो सकते हैं.
एबीवीपी जेएनयू ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें मांग की गई है कि पीएचडी प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन पूरे भारत में किया जाए. एबीवीपी जेएनयू के अध्यक्ष राजेश्वर दुबे ने कहा कि यह निर्णय हमारे देश के विभिन्न हिस्सों के छात्रों के साथ अन्याय है. हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षा के अवसर सभी के लिए समान हो, चाहे वे किसी भी आर्थिक या भौगोलिक पृष्ठभूमि से आते हों.
वहीं, एबीवीपी जेएनयू की इकाई मंत्री शिखा स्वराज ने आशा जताई है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस ज्ञापन को गंभीरता से लेकर जल्द ही इस पर सकारात्मक कार्रवाई करेगा, ताकि सभी छात्रों को पीएचडी प्रवेश परीक्षाओं में भाग लेने का समान अवसर प्राप्त हो सके.
बता दें कि जेएनयू में इस साल यूजीसी द्वारा लागू किए गए पीएचडी दाखिले में नेट के माध्यम से दाखिले के नियम को लागू करने जा रहा है, जिन विषयों में नेट की परीक्षा आयोजित होती है उन सभी विषयों में जेएनयू में नेट परीक्षा के अंकों के आधार पर ही दाखिले दिए जाएंगे. इसके अलावा जिन विषयों में नेट की परीक्षा नहीं होती है उन विषयों के लिए जेएनयू अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने जा रहा है. जिसका सेंटर सिर्फ दिल्ली में ही रखा गया है जिसका एबीवीपी द्वारा विरोध किया जा रहा है.